Book Title: Vijaydev Mahatmyam
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 111
________________ १०६ श्रीवल्लभोपाध्यायविरचित [पोशः इत्थं श्रीविजयादिदेवसुगुरु श्रीस्थम्भतीर्थे पुरे चातुर्मासकमद्भुतं समकरोत् सङ्घनग्रहादुत्सवैः। साम्राज्यं प्रतिपद्य सूरिपदजं जाग्रत्प्रतापोज्ज्वलम् श्रीश्रीवल्लभपाठकपठित हर्षे प्रकर्षपदम् ॥१२॥ इतिश्री श्रीबहत्खरतरगच्छीय श्रीजिनराजसूरिसन्तानीय पाठकश्रीज्ञानविमलशिष्य श्रीवल्लभोपाध्यायविरचिते श्रीमत्तपागच्छाधिराजपातशाह श्रीअकबरप्रदत्तजगद्गुरुबिरुदधारक श्रीहीरविजयसूरीश्वर पट्टालङ्कारपातिशाहि श्रीअकबरसभासंलब्धदुर्वादिजयवाद भट्टारक श्रीविजयसेनसूरीश्वरपट्टपूर्वाचल तहस्रकरानुकारि पातिशाहि श्रीजिहांगीरप्रदत्त महातपाबिरुदधारि श्रीविजयदेवसूरीश्वरगुणवर्णनप्रबन्धे श्रीमद्विजयदेवमाहात्म्यनानि महाकाव्ये श्रीविजयदेवसूरिश्रीस्थम्भतीर्थ-प्रथमचतुर्मासककरणवर्णनो नाम पोडशः सर्गः।

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