Book Title: Veerjinindachariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ प्रस्तावना से उनका निर्वाण संवत् माना जाता है जिसका इस समय सन् १९७१-७२ में पौषीस सौ अन्ठान्नछे ( २४९८ ) दो वर्ष प्रचलित है तथा दो वर्ष पश्चात् पूरे पच्चीस सौ वर्ष होनेपर एक महामहोत्सव मनानेकी पोजना चल रही है। किन्तु इस संवत्सरका प्रचलन अपेक्षाकृत बहुत प्राचीन नहीं और महावीरके समयमें तथा उसके दीकाल पश्चात् तक किसी सन्-संवत्के उल्लेखका प्रचार नहीं था । पश्चात्कालीन ग्रन्थों में जो कालसम्बन्धी उल्लेख पाये जाते हैं उनमें कहीं-कहीं परस्पर कुछ विरोध पाया जाता है और कहीं अन्य साहित्यिक उल्लेखों तथा ऐतिहासिक घटनाओं से मेल नहीं खाता । इससे निर्वाण कालके सम्बन्धमें आधुनिक विद्वानोंके बीच बहुत-सा मतभेद उत्पन्न हो गया है। एक ओर जर्मन विद्वान डॉ. याकोबीने महावीर निर्वाण का समय ई.पू. चार सौ सतहत्तर ( ४७७) माना है। इसका आधार यह है कि मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्तका राज्याभिषेक ई. पू. ३२२ (वीन सौ बाईरा ) में हुआ और हेमचन्द्र-कृत परिशिष्ट पर्व (८-३३१ ) के अनुसार यह अभिषेक महावीरके निर्माणसे १५५ ( एक सौ पचान ) वर्ष पश्चात् हुआ था। इस प्रकार महावीर निर्वाण ३२२ + १५५ = ४४७ वर्ष पूर्व सिद्ध हुआ । किन्तु दूसरी ओर डॉ. काशीप्रसाद जायसवालका मत है कि बौखोंको सिंहल-देशीय परम्परामें बुद्धका निर्वाण ई.पू. ५४४ माना गया है। तथा मजिझमनिकायके सामगाम सूक्तम व त्रिपिटको अन्यत्र भी इस बातका उल्लेख है कि भगवान् बुद्धको अपने एक अनुयायी द्वारा यह समाचार मिला था कि पायामें महावीर का निर्माण हो गया। ऐसी भी धारणा रही है कि इसके दो वर्ष पश्चात् बुद्धका निर्माण हुआ। अतएव यह सिद्ध हुआ कि महावीर-निर्वाणका काल ई. पू. ५४६ है 1 किन्तु विवार करनेसे में दोनों अभिमत प्रमाणित नहीं होते। जैन साहित्यिक तथा ऐतिहासिक एक शुद्ध और प्राचीन परम्परा है जो वीर-निर्माण को विक्रम संवत् से ४७० ( चार सौ सत्तर) वर्ष पूर्व तथा शक संवत् से ६०५ ( छह सौ पाँच ) वर्ष पूर्व हुआ मानती है। इस परम्परा का ऐतिहासिक क्रम इस प्रकार है : जिस रात्रिको वीर भगवान्का निर्वाण हुआ उसी रात्रिको उज्जैनके पालक राजाका अभिषेक हुआ। पालकने ६. वर्ष राज्य किया । तत्पश्चात् नन्दवंशीय राजाओंने १५५ वर्ष, मौर्यवंशने १०८ वर्ष, पुष्यमित्रने ३० वर्ष, बलमित्र और भानुमित्रने ६० वर्ष, नहपान ( नहृवान नरवाहन या नहसेन ) ने ४० वर्ष, गर्दभिल्लने १३ वर्ष और एक राजाने ४ वर्ष राष्प किया, और तत्पश्चात् विक्रम-काल प्रारम्भ हुआ । इस प्रकार वीरनिर्वाणसे ६० + १५५ + १०८+ ३० +६०+ ४०+१३+ ४ = ४७० वर्ष विक्रम संवत्के प्रारम्भ तक सिद्ध हुए । डॉ. याकोबीने हेमचन्द्र आचार्यके जिस मतके आधारपर वीर-निर्वाण [८]

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