Book Title: Vastu Ratna Kosh Author(s): Priyabala Shah Publisher: Rajasthan Oriental Research Institute Jodhpur View full book textPage 8
________________ इन पुष्पिकालेखोंसे ज्ञात होता है कि यह रचना ५००-६०० वर्ष जितनी प्राचीन तो अवश्य है ही; और इसके जो अनेकानेक पाठभेद मिलते हैं उनसे ज्ञात होता है कि अभ्यासियोंमें इसके पठन-पाठनका प्रचार भी बहुत ही रहा है । इसका रचयिता कौन है यह निश्चित रूपसे तो नहीं कहा जा सकता-पर केवल एक प्रतिमें, जैसा कि संपादिका विदुषीने अपने प्रास्ताविकमें सूचित किया है, कोई पृथ्वीधराचार्यका नाम लिखा मिलता है; सो अवश्य विचारणीय एवं विशेष अन्वेषणका विपय है । जबतक किसी कर्ताका निश्चय नहीं हो जाय तब तक हमने इसे अज्ञात विद्वत्कृत के विशेषणसे ही प्रसिद्ध करना उचित समझा है। इसके साथ कुछ प्रतियोंके पन्नोंके ब्लाक वनवा कर उनके प्रतिचित्र भी दिये जा रहे हैं। अन्तमें हम विदुपी संपादिका श्रीमती कुमारी डॉ. प्रियबाला शाहाके प्रति अपना आभार भाव प्रदर्शित करना चाहते हैं कि जिनने अत्यन्त परिश्रम पूर्वक इस रचनाका सुसंपादन कर, प्रस्तुत ग्रन्थमालाकी शोभावृद्धिके लिये सुन्दर पुष्प समर्पित किया । प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ) माघ शुक्ला १४, संवत् २०१६ -११. फरवरी. १९६० - मुनि जिन विजयPage Navigation
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