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पहला कोष्टक
विवेक हेयोपादेयज्ञानं विवेकः । त्यागने योग्य एवं ग्रहण करने योग्य वस्तु के ज्ञान को विवेक
कहते हैं। २. विवेक केवल सत्य में पाया जाता है। —गेटे ३. उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं।
-वसवर्ष ४. अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ ! शब्दों का कर्म
से और कर्मों का शब्दों से मेल कराओ। -शेक्सपीयर विवेक के नियमों को सीखकर, जो उन्हें जीवन में नहीं उतारता, उसने खेत में मेहनत करके भी बीज नहीं डाला।
--शेखसादी समझा-समझा एक है, अनसमझा सब एक ।
समझा सो ही जानिए, जाके हृदय विवेक ।। —कबीर * ईर्ष्या हि विवेकपरिपन्थिनी । -कथासरित्सागर
हया ही विवेक की शत्र है। मदमूढ-बुद्धिषु विवेकिता कुतः ! ---शिशुपालवध मस से मोहित बुद्धिवालों में विवेक कहां ! यौवन और सौन्दर्य में विवेक कदाचित् ही होता है।
-होमर