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दूसरा कोष्ठक
पृष्ट ७८ मे १४.५ १ पुस्तक शास्त्र, २ पुस्तको का चयन, ३ विभिन्न दर्शनों के धर्मग्रन्य, ४ प्रामाणिक ग्रन्थ, ५ युक्ति एवं न्याय में अन्धों की प्रामाणिकता, ६ पुस्तक प्रकाशन, ७ विश्व के प्रख्याल पुस्तकालय, ८ अनु'मन, ६ अनुभवहीन, १० परीक्षा, ११ परीक्षा आवश्यक, १२ परीक्षाविधि, १३ परीक्षा का समय, १४ दर्शन, १५ आस्तिक, १६ नास्तिक, १७ नास्तिकों का कथन, १८ सम्यगदर्शन-सम्यक्त्व, १६ सम्यकत्व को दुर्लभता, २० सम्यकत्व से लाभ, २१ सम्यक्त्व का महत्व, २२ सम्यग दृष्टि, २३ श्रद्धा, २४ श्रद्धावान, २५ अश्रद्धावान् शिकापील) २६ संशय (का), २७ विश्वास, २८ विश्वास के अयोग्य, २६ विश्वासपात, ३० मिन्यादर्शन (मिथ्यात्व), ३१ मिथ्यात्व के भेद ३२ मिथ्यादृष्टि ।
तीसरा कोष्ठक
पृष्ठ १४८ से १२१ १ तत्व, २ द्रव्य, ३ नय-प्रमाण, ४ निश्चय व्यवहार राय, ५ स्पायाय, ६ उताग-'अपवाद, सिद्धान्त, ८ चारित्र, ६ चारित्र को महत्व, १० ज्ञान के साथ चारित्र आवश्यक, ११ चारित्र की रक्षा, । १२ चरित्र से लाभ, १३ त्याग, १४ त्याग के भेद, १५ त्यागी,
१६ प्रत्याख्यान, १७ आचार (आचरण), १८ आचरण' बिना ज्ञान, १६ आचारधान, २० आचारहीन, २१ कायन के समान आचरण आवश्यक, २२ शील, २३ वत, २४ महायत, २५ सभ्यता, २६ योग, ९७ योग महिमा, २८ योगी, २६ योगियों के चमत्कार ।
बौथा कोष्ठक
पृष्ठ २२२ से ३३६ । १ संयम, २ संयम से लाभ, ३ संयम की दुष्करता, ४ संयम में सुख-दुख, ५ संयम दीक्षा का समय आदि, ६ संयम से भ्रष्ट होने के अठारह स्थान, ७ संयम के भेद, ८ साधना, ६ साधु, १० मुनि,