________________
न होने से फलचदजी को गोद ले लिया अपने स्पुभ्रातायो किसनलालना सा के हाथ सोपते हुए-मिश्रीलालजीने जरा भी भानासानी नहीं की-बस यहीं से याने इस सहयोगके मतापसे इनका अद्भुत उत्थान हुआ-उम समय बैंगलोर में ये तीन पेहिये मुचारु रूपसे चल रही है
(१) में मिश्रीलालजी जेरतराज (२) मे. फिशनलाल फूलचर
(3) मे किसनलाल लालचट आप अपनी कुनेह व व्यापारिक दक्षतासे सूर भागे वढे और स २००० में अहमदावादमें 'लालचद मिश्रीलाल' नामसे कपडे का (व्यापार) ब्युजीनेस मारम किया-जो फर्म व्यापारी-आलममें ख्यानिनामा पेडियोकी गिनती में है
सयोगसे बदाम सदृश गुणोको धारण करनेवाली सामाई जैसी गृहदेवी आपको मिली. जो सोनेमें सुगधका राम रती है-पासारिककाौके साथ ही धर्म कार्योंमें युगलका सहयोग मद्भाग्यसे किसीकोही मिलता है।
अपनी जन्मभूमि 'चडावल' में एक बडा हास्पीटल खोल रक्खा है एक विशाल धर्मस्थानकभी नवा दिया है-महिलामडळ आदि देशोत्थानकी अनेक प्रवृत्तियों आपकी तरफसे चलती है-अत्यत प्रसन्नता सी बात तो यह है कि- अडिग धार्मिक श्रद्धा के कारण अनन्तजीवोका उद्धार करने वाली पवित्र गगा-जिनवाणी के कार्यकी तरफ आपमा लक्ष्य गया-सेवाका यह अपूर्व अवसर जान सर्व प्रथम आप " शास्त्रोद्धार समितिके मेंबर ५०१ में बनेपश्चात अमृत फलका सुमधुर रसास्वाद आने से श्रीउपासक दशाग सूत्र प्रकाशित करनेके हेतु रु. ५००१) प्रदान किये है । श्री बदाम बाइ भी कहा पीछे रहनेवाली हैं उन्होंने भी ५०१) देकर इस चालू कार्य मे अपना हाथ वटाया है । ऐसे परोपकारके स्थायी कार्योमे आप अपने द्रव्यका अधिकसे अधिक सदुपयोग करते रहें साथ ही इस आदर्श मार्गका अनुसरण करनेवाले अन्य भी रन नाहर आवे ऐसी सद्भावना __आपश्रीके वंशज भावी अकुर श्री शातिकुमार, अशोक्कुमार, जयचद हुकमीचद, विजयराज, रत्नचद्र आदिकी आपके ही अनुगामी हो. और अपने वशकी यशोगाथा में चार चाद और लगावे