Book Title: Tulsi Prajna 2008 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ मनुष्य कोई ईंट नहीं है, कोई कापी या पेन नहीं है,जिसे एक सांचे में ढालकर हजारों एक जैसे बनाए जा सकें। जड़ वस्तु का निर्माण यंत्र द्वारा होता है। मनुष्य चेतनावान प्राणी है, उसका निर्माण यंत्र द्वारा नहीं किया जा सकता। जहां चेतना है वहां चिन्तन है, स्मृति और कल्पना है। कुछ नया करने की भावना है। जहां यह सब होते हैं वहां एकरूपता का होना कठिन ही नहीं, असंभव है। सामूहिक जीवन के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या है और इस समस्या का हेतु है - रुचिभेद, विचारभेद, चिन्तनभेद। समाधान की भाषा में जरूरी है'नियंत्रण और परिष्कार'। अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 98