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हड़तालों, हिंसा आदि को देखते हुए जुलाई १९८५ में दक्षिण अफ्रीका में फिर आपातकाल स्थिति की घोषणा की ।" डॉ० नेलसन मंडेला जेल में लगभग २४ वर्षों से बंदी होने के कारण रंगभेद अत्याचार का प्रतीक बन गये, जिससे उनके प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की सहानुभूति बढ़ती गई । लगभग १९६१ से जेल में रहने के कारण वे आन्दोलन में सक्रियता से भाग न ले सके । उनकी अनुपस्थिति में उनकी पत्नी विनी मंडेला प्रवक्ता के रूप में कार्य करती रही । रंगभेद समर्थक सरकार ने उन पर भी प्रतिबंध लगाया व उन्हें नजरबंद किया । पीटर बोथा के दृढ़पूर्ण रवैये के साथ-साथ डॉ० मंडेला को मुक्त कराने के प्रयत्न भी किये गए। विश्व के कई वरिष्ठ नेताओं ने मंडेला को मुक्त कराने लिए दक्षिण अफ्रीका पर दबाव डाले । डरबन के वकील आर्ची गुमेडे ने "फ्री मंडेला " " मंच की स्थापना की जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के जुड़ने से व्यापकता मिली। पीटर बोथा ११ वर्ष तक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे । इस दौरान रंगभेद नीति के कारण इस आशा के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में उनकी सरकार व देश के विरुद्ध व्यापक प्रतिबन्ध लगाने की बात हुई थी कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार अपने व्यवहार में सुधार करेगी । परन्तु बोथा ने विश्व को स्पष्ट कर दिया था कि उनकी नीतियों में परिवर्तन नहीं आयेगा । उन्होंने वामपंथी सरकारों की भर्त्सना की और अन्य देशों पर आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका ने जो सम्पन्नता अर्जित की है उसे वे लूटना चाहते हैं । कुछ समय से यह आशा की जा रही थी कि वे लंबे समय 'कारावास में बंदी डा. नेलशन मंडेला को, जो अब तक अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके थे, छोड़कर प्रतीक के रूप में समस्या के समाधान की शुरूआत करेंगे । किन्तु बोथा के रंगभेद नीति के कट्टर समर्थक होने के कारण ऐसा संभव नहीं हुआ । अतः उन्होंने १५ अगस्त १९८९ को अपने पद से त्याग-पत्र दिया । उनके शासनकाल में २० हजार से अधिक अश्वेतों को बगैर मुकदमा चलाये जेलों में रखा गया । १९८४ में उन्होंने तीन सदनीय संसद की स्थापना कर भारतीयों व मिश्रित जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया, परन्तु अश्वेतों को कोई स्थान नहीं दिया गया, इसके विरोध में हुए दंगों में २ हजार से अधिक अश्वेत मारे गए
डब्लू. डी. क्लार्क के नये राष्ट्रपति के स्थान लेने के साथ ही नयी संभावनाओं ने जन्म लिया । शपथ ग्रहण करने के पश्चात् उन्होंने कहा कि वे दक्षिण अफ्रीका का नया निर्माण करेंगे । इस दिशा में आगे बढ़ते हुए उन्होंने फरवरी १९९० में ए. एन. सी. से प्रतिबंध उठाया तथा उसके प्रमुख नेता नेलसन मंडेला को २७ वर्ष पश्चात् कारागार से मुक्त किया । अन्तर्राष्ट्रीय दबाव व आन्तरिक परिस्थितियों ने राष्ट्रपति को दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने तथा रंगभेद की नीति को त्यागने के लिए विवश किया। राष्ट्रपति व ए. एन. सी. के मध्य वार्ता का क्रम प्रारंभ हुआ और दोनों पक्षों में कुछ विषयों पर आम सहमति भी हुई । अन्तरिम राष्ट्रीय सरकार की स्थापना तथा श्वेत प्रशासन की सभा का गठन जो राष्ट्र के लिए लोकतंत्रीय व्यवस्था की स्थापना के लिए संविधान का निर्माण करे, अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर संसद का निर्वाचन, राष्ट्रपति की शक्तियों में कमी, स्वतंत्र न्यायपालिका
खण्ड २१, अंक १
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