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शोभायमान हो रहा है।
निम्न श्लोक में स्पष्ट ही कवि ने गौरांग-परिवारों का निष्कासन बता दिया हैसत्कीतिरञ्चति किलाभ्युदयं सुभासा
स्थानं विनारि-मृदुवल्लभराट् तथा सः । याति प्रसन्नमुखतां खलु पद्मराजो
निर्याति साम्प्रतमितः सितरूक् समाजः ॥ कि सम्प्रति सुभाषबोस की उज्ज्वल कीर्ति अभ्युदय को प्राप्त हो रही है। अजातशत्रु राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति बन रहे हैं और देश स्वतन्त्र होने से पद्मराज प्रसन्न है क्योंकि सितरूच गौरांग समाज यहां से जा रहा है। अपरपक्ष में प्रभात वेला है, सूर्य दीप्ति अभ्युदय हो रही है, कमल खिल रहे हैं और चन्द्रमा और नक्षत्र समूह तिरोहित हो रहे हैं।
___अगले तीन श्लोकों में महात्मा गांधी, नेहरू परिवार, सुभाषचन्द्र बोस, वल्लभ भाई पटेल, राजगोपालाचारी, सरोजनी नायडू, जिन्ना आदि की श्लेषाभिव्यक्ति है और गणतन्त्र की सफलता के लिये संसद और विधान सभा सुविचारित ढंग से काम करे-ऐसी कामना है-- मञ्जुस्वराज्य परिणाम समर्थिका ते
संभावितक्रमहिता लसतु प्रभाते । सूत्रप्रचालनतयोचित दण्डनीतिः
__ सम्यग्महोदधिषणा सुघटप्रणीतिः ।। यद्वा सुगां धियमिता विनतिस्तु राज
___ गोपाल उत्सव धरस्तब धेनुरागात् । हृष्टा सरोजनि अथो विषमेषु जिन्ना
नुष्ठानमेति परमात्मविवेक भागात् ॥ गान्धीरुषः प्रहर एत्यमृतक्रमाय
सत्सूत नेहरूचयो बृहदुत्सवाय । राजेन्द्र राष्ट्र परिरक्षणकृत्तवाय
मत्राभ्युदेतु सहजेन हि सम्प्रदायः॥ अर्थात् राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद अभ्युदय को प्राप्त हो रहे हैं। नेहरूपरिवार गांधीजी के रोष से विनम्र होकर सुगांधिय हो रहा है। गौओं के प्रति प्रेमभावना से राज गोपालाचारी और सरोजनी नायडू प्रसन्न हैं एक जिन्ना विषम पारस्परिक विरोध से हिन्दुस्तान-पाकिस्तान विभाजन का अनुष्ठान कर रहे हैं किन्तु हे महोद ! प्रताप देनेवाले राजन् ! आपकी बुद्धि मनोहर गणतन्त्र का समर्थन करने वाली हो । संसद् और विधान सभाएं अच्छी तरह विचारित कार्य प्रणाली से (सम्यक् भावितेन समितिषु चिन्तितेन क्रमेण कार्येण अहिता महिता) काम करें--यही
तुलसी प्रज्ञा
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