Book Title: Traivarnikachar
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: Jain Sahitya Prakashak Samiti

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Page 5
________________ भक्तमरके मूल श्लोक, फिर पं० गिरिधर शर्माकृत सुन्दर हिन्दी-पद्यानुवाद, वाद मूलका खुलासा भावार्थ, फिर मक्तामरके मंत्रोंको सिद्ध करनेवालोंकी तेतीस सुन्दर और अद्भुत कथाएं, और अन्तमें मंत्र, द्धि और उनकी साधन-विधि तथा अड़तालीस ही श्लोकोंके अड़तालीस यंत्र दिये गये हैं । मूल्य कपड़ेकी जिल्दका १॥=) सादी जिल्दका ११) चन्द्रप्रभचरित-महाकवि श्रीवीरनन्दि आचार्यकृत संस्कृत काव्यका सरल हिन्दी अनुवाद । इसमें आठवें तीर्थंकर श्रीचंद्रप्रभ भगवानका पवित्र चरित वर्णन किया गया है । इसकी कथा बड़ी सुन्दर और मनको मोहित करनेवाली है । प्रसंगानुसार इसमें श्रृंगार, वैगग्य, वीर, करुणा आदि सभी रसोका विस्तृत वर्णन है । मूल्य कपड़ेकी जिल्द युक्तमा १॥) सादी जिल्द ११) नेमिपुराण-ब्रह्मचारी नेमिदत्त संस्कृत ग्रंथका स्व०पं० उदयलालजी काशलीवाल कृत नया हिंदी अनुवाद । इसमें बाबीसवें तीर्थंकर श्रीनेमिनाथ भगवानका पवित्र चरित और राजकुमारी राजीमतीकी कक्ष्ण कथा बड़ी सुन्दरतासे लिखी गई है । इसमें प्रसंगानुसार कंत और कृष्ण सम्बन्धकी अनेक अद्भुत घटनायें, कृष्णके द्वारा चाणूरमटकी मृत्यु, द्वारिका-निर्माण, कृष्ण तथा बलदेवकी दिग्विजययात्रा, नेमिप्रभुके गर्भ-जन्म-दीक्षा केवल-निर्वाण कल्याण, देवकी, बलदेव और कृष्णके पूर्व भव, कृष्णकी पट्टरानियाँ भवान्तर, प्रद्यमका हरण और विद्यालाभ-सहित वापिस आगमन, कृष्णकी मत्य और पांडवोंका निर्वाणलाम आदि विषयोंका विस्तृत वर्णन है । मूल्य कपड़ेकी जिल ३) सादी जिल्द २॥) सुदर्शनचरित-भट्टारक समलकीतिक संस्कृत ग्रंथका स्व. पं० उदयलालजी काशलीवाल कृत नया हिन्दी अनुवाद । सुदर्शन बड़े बढ़ निश्चयी थे । शीलवतके पालनेवालोंमें सुदर्शनका नाम विशेष उल्लेख योग्य है । कामी त्रियोंने उनपर घोरसे घोर उपसर्ग किये, उनके साथ अनेक प्रकारकी वुरी चेष्टायें की, उन्हें शीलधर्मसे गिराने खूब ही प्रयत्न किया, परन्तु सुदर्शनका दृढ़ हृदय उनसे बिल्कुल चलायमान नहीं हुआ, वे अपने शीलधर्मपर सुमेरसे अचल-अडिग बने रहे। यह उन्हीं महात्माका चरित है । मूल्य बारह आना । पवनदूत काव्य-श्रीवादिचंद्रसूरिकृत संस्कृत काव्य और स्व० पं० उदयलाल काशली. वाल कृत नया हिन्दी अनुवाद । कीमत चार आना। श्रेणिकचरितसार-ब्रह्मचारी नेमिइत्तके संस्कृत श्रेणिक कथासारका स्व० पं० उदयलाल काशलीबालकृत हिन्दी अनुवाद ! मूल्य चार आने । पंचास्तिकाय-त्तमयसा -भगवान कुन्दकुन्दाचार्यकृत प्राकृतग्रंथकी स्व० पं० हीरान-- न्दजीने दोहा, चौपाई, कवित्त, सया आदिमें यह छन्दोबद्ध टीका लिखी है। यह आध्यात्मिक विषयका ग्रन्थ है । इसमें पहले पञ्चास्तिकाय और षवन्यका वर्णन कर बाद व्यवहार और निश्चयमोक्ष-मार्गका वर्णन किया गया है । संसार-भ्रमणके कारण राग-द्वेषादिक दोषोंके छुड़ानेका इसमें बड़ा अच्छा उपदेश दिया गया है । मु० १) रु० . . . . . . .

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