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तैत्तिरीय ब्राह्मण अ० २, अ० ३, अ० १० में प्रजापतिने सोपरा जाको उत्पन्न किया, तीनों वेदों को रचे, सोमने वेदोंको मुहीमें छिपाया इत्यादि वर्णन
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(११) एकादश स्तंभ-- जैनाचार्यों के बुद्धिका वैभव. जैनमतानुसार गायत्री मंत्रका अर्थ
नैयायिक मतानुसार. वैशेषिकमतानुसार
सांख्यमतानुसार वैष्णवमतानुसार बौद्धमतानुसार
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जैमनि मतानुसार
सामान्य करके सर्व वादियोंके संवादि स्वरूप परमेश्वरका प्रणिधानरूप गायत्रीमंत्रका अर्थ
गायत्री सर्व बीजाक्षरोंका निधान है, ऐसे ब्रह्माणों के प्रवादको आश्रित्य होकर के कितनेक मंत्राक्षरोंके बीजोंका वर्णन
. ( १२ ) द्वादश स्तंभ - सायणाचार्य, शंकराचार्यादिकृत गायत्री अर्थका
व्याख्यान
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सायणाचार्यकृत भाष्यका व्याख्यान महीधरकृत यजुर्वेदभाष्य के तीसरे अध्याय में लिखे हुये अर्थका और शंकरभाष्यका व्याख्यान
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स्वामी दयानंद सरस्वतीका व्याख्यान
पूर्वोक्त व्याख्यानकी समीक्षा (वेद ईश्वरोक्त नहीं है ) मनुस्मृति में लिखा है कि जो वेदका निंदक है सो नास्तिक है इत्यादि आशंकाका समाधान महाभारतके १०९ और १७५ अध्यायमें वेदकी और हिंसक यज्ञकी निंदा लिखी है. तिसका वर्णन मत्स्यपुराण के अध्याय १४२ में हिंसक यज्ञकी उत्पत्ति और वसुराजाकी कथा महाभारत में लिखा है पुराण, मनुस्मृति, वेदादि शास्त्र आज्ञा सिद्ध होनेसें खंडन नही करना इसका उत्तर
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