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तत्वविन्दुः
(४५) १५२ आ सप्त मंगीमा १ स्यात् अस्ति २ स्यात्नास्ति ३. स्यादव
क्तव्य ए त्रण अविकल्परूप छे. कारण के रत्रण भंगी सामान्यद्रव्पने ग्रहण करे छे. सामान्यद्रव्यविषयकज्ञानयां विक ल्प होतो नथी. आ त्रण भंगीथी संग्रह, व्यवहार अने रूजु सूत्रनयनो अनुक्रमे अभेद छे. अने तेथी संग्रह, व्यवहार, मुजुसूत्र ए त्रणनय पण निर्विकल्प कहेवाय छे. अने आगळनी ४ स्यात्अस्तिनास्ति. ५ स्यात्अस्ति च अवक्तव्य. ६ स्यात् नास्ति च अवक्तव्य. ७ स्यात्अस्ति नास्ति च युगपत् अव.. क्तव्य ए चार भंगी सविकल्पक छे.
शंका-छेल्ली चार भंगो सविकल्पक के तो तेनो निर्विकल्पकरूप
संग्रह, व्यवहार, रूजु सूत्रमा केम अन्तर्भाव कर्यो.
समाधान-यद्यपि संग्रहादिक, पर्यायसत्ताने बोधन करे छे तो
पण पर्याय समुदाय एटले सम्पूर्ण अवयवनी सताथी मूल द्रव्यनी सत्ता भिन्न नथी. जेम कोइ कहे के मारी पासे सो रूपैया छे. बोजो कहे के तमारो पासे पांच बीशी रूपैया के. तो पांच वीशीनी पांच सत्ताथी सो रूपैयानी मूल एक सत्ता भिन्न नथी. जो भिन्न मानीए तो पांच सत्ताने मूकीने मूल एक सत्ता ठरवी जोइए. पण ते ठरती नथी. तेम अत्र पण अवयव समुदायनी सत्ताथी मूल सत्तातुं स्वरूप कथंचित् भिन्न कहेवातुं नथी. तथा जणातुं नयी. अवयव समुदायनी
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