Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 186
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तवं बिन्दु. ५९२ गाथा. कालो खित्तं दव्वं, भावोय जहुत्तरं सुहुमभेया ॥ थोवा असंखाणंता, संखाइ जमोदि विसयम्मि ॥१॥ ( १७७ ) कालयकी क्षेत्र असंख्यात गुण, क्षेत्रथकी द्रव्य अनन्त गुण, अने द्रव्यथी पर्याय असंख्यातगुण, वा संख्यातगुण एम अवधिज्ञान' त्रिपयमां जाणवुं. ५९३ तेया भासादव्वाण, अंतरा एथ्थ लभइ पडवओ गुरु लहुआ गुरु लहुयं, तंपिय तेणावतिठाइ ॥१॥ गुरु लहु तेया सन्नं, भासासण्णमगुरुं च पासेजा आरंभे जं दिनं, दहूणं पडइ तं चैव ॥ २ ॥ तैजस द्रव्यासन्न गुरुलघुने अने भाषाद्रव्यासन्न अगुरुलघुने अवधिज्ञानी प्रारंभमां देखे. For Private And Personal Use Only ५९४ मिथ्यात्व, अविरति कषाय अने योगथी कर्मनो बन्ध थायछे, पांच प्रकारनां मिथ्यात्व, बार अव्रत, पच्चीस कषाय, १५ पर पनरयोग ए सत्तावन उत्तर हेतु जाणवा. प्रथम गुणस्थानकमां आहारक अने आहारकमिश्रयोग विना १३ तेरयोग सर्व मळी पंचावन हेतु प्रथम गुणस्थानकमां.

Loading...

Page Navigation
1 ... 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202