Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 191
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६१५ तबिन्दु ( १८२ ) ६१४ व्यवहारनयवादी कहेले के हेनिश्वयवादी? एकांत गुरुवा एकांतलघु सर्वथा द्रव्य नथी एम तुं कहेछे तेयोग्यनथी. कारणके लघुकर्म जीवनुं सौधर्मदेवलोकादिकमां गमन कछे. भारेकर्मिजीवनुं सप्तमनरकमां गमन शास्त्रमां कछे. सर्वसिद्धांतोएम जाणे. प्राय जीव अने पुद्गलो ऊर्ध्व अने अधोगामिछे. उंचाथी नीचा जायछे ते गुरुताविनाकेम घटे, नीचेथी उंचे जायछे ते लघुता विना केम घटे ? माटे गुरु, लघु, गुरुलघु, अगुरु लघु, ए चार प्रकारे वस्तु ने मानवी जोइए: गुरुता निबंधन अधोगमनछे. अयोगोलादिनं. लघुता निबंधन उर्ध्वगमन दीपकलिकादिनुंळे. गुरुलघुत्वसाध्य तिर्यग्गमन, वायु आदिनुंछे. अगुरुलघुताकारण अवस्थान- स्थिरता, आकाश देवलोकनीछे. इति व्यवहारनयमत. • Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निश्aranवादी प्रत्युत्तर आपेछे. अन्नचिय गुरुलहुया, अन्नो दव्वाणिविरिय परिणामो; अण्णोगइ परिणामो, नावस्सं गुरु लहु निमित्ता ॥ १॥ अत्र योनी गुरुलघुता भिन्न छे, अन्यवी परिणामछे. अने For Private And Personal Use Only

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