Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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तत्त्वबिन्दु.
(१८५) ६१७ चउदमा राजलोकने अवधिज्ञानी देखतो छतो कालथी स्तोकोन
पल्योपम देखे. कालवृद्धिना सामर्थ्यथी कर्मद्रव्यने अतिक्रमीने तेना उपर ध्रुवादिवर्गणा देखतो क्रमथी परमावधि पामे.(वि)
६१८ जे अवधिज्ञानी तेजस शरीरने देखेछे ते कालथी बे भवथी
ते नवभव देखेछे. (वि)
६१९ परमावधौ समुत्पन्ने सति किलान्त महतैनावश्यमेव केवलज्ञान
मुत्पद्यते. परमावधिज्ञान उत्पन्न थएछते अन्तर्मुहूर्तमा अवश्य केवलज्ञान उत्पन्न थायछे. (वि)
६२० नारकीओने क्षेत्रथी उत्कृष्ट अवधिज्ञान, योजनप्रमाण होय.
जघन्यथी एकगाउ होयछे. योजनप्रमाण, रत्नप्रभा पृथ्वीमा
अने एकगाउ प्रमाण सातमी नरकमां (वि) नरकः पहेली. बीजी त्रीजी. चोथी. पांचमी. छठी. सातमी. ऊ. गा. ४ ॥ ३ २॥ २ २ १ ज. गा. ॥ ३ २॥ २ ॥ १ ॥
६२१ सौधर्म अने इशानकल्पना देवताओ अवधिज्ञानवडे नीचुं प्रथम
नरक पर्यंत देखेछे. त्रीजा अने चोथा देवलोकना देवता बीजी नरक सुधी नीचं देखेछे, ब्रह्मलोक अने लांतकलोकना देवता श्रीजी नरक सुधी देखे. सातमा अने आठमा देवलोकना देवता चोथी नरक सुधी देखेछे. नवमा अने दशमा देवलोकना देवता पांचमी नरक मुधी देखे. अगियारमा अने वारमा देवलोकना देवता, विशुद्धतर बहु पर्याय विशिष्ट पांचमी नरकने
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