Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 200
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्त्वबिन्दु. ६४१ बहु आलाप अने अयोग्यने उपदेश आपवानी टेव भूल. ६४२ समय अने पात्र विना गुह्य मूक्ष्मतत्त्व प्रकाशीश नहि. !!! ६४३ जीव जीत्र प्रति भिन्न भिन्न कर्मछे. क्षयोपशम पण भिन्नछे. अनादि कालथी मिथ्यात्व अने समकित, जगतमांछे. ६४४ संघयण, काल, ज्ञान अने मनोबलनी योग्यताथी ध्यान थइ शकेछे. ६४५ ज्ञाननी अनन्त शक्तिछे. ज्ञानि गुरुनो समागम अति दुर्लभछे. अज्ञानी, ज्ञानिने पारखी शकतो नथी. ६४६ धलना ढगलामांथी खांडना कणिया शोधी काढबाना करतां आ शरीररुपी पुद्गल ढगलामा व्यापी रहेला आत्माने ध्या. नोपयोगथी शोधी काढवो ते अति दुर्लभ कार्यछे. ६४७ अज्ञानी जीव जे शरीरना उपर ममत्वभाव राखेछे तेना क रोड अंशे पण आत्मा उपर राखतो नथी. ज्ञानी आत्मामांज रमणता करे छे. ६४८ अप्रति वद्ध विहारथी ज्ञानीने सहज दशानो अनुभव थायछे. ६४९ क्रिया शास्त्रछे अने ज्ञान योद्धोछे. For Private And Personal Use Only

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