Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तत्त्वविन्दु. ५७१ तेजोलेश्याना परिणाम-मानरहितपणू, मायारहितपणुं, कूतुहल
रहितपणुं, विनयपणुं, भावनी द्धि, चपलतारहितपणुं, इन्द्रियोनुं दम, धर्मतत्त्वग्रंथ स्वाध्यादिकन करवू. धर्ममांश्रद्धा, पापकत्यथीभय, मोक्षनी वाच्छा इत्यादि
५७२ पद्मलेश्या-रागद्वेपनी उपशमता, इन्द्रियोनेदमवी, शुभअध्यव
साय, दयादिना परिणाम, त्रणयोगनी शुभमां प्रवृत्ति, अल्पभापण कर, जितेन्द्रियव मुकिनी वा छा आदि
५७३ शुक्ललेश्याना परिणाम-आर्तरौद्रनो परिहार. धर्मध्यान अने
शुकलध्यानावस्थापणुं.रागद्वेपनी उपशमता. त्रणगुप्ति अने पंच समितिमा रक्तता. जितेन्द्रियस. स्वस्वरूपमां दृष्टि इत्यादि.
५७४ जिनकल्पी उपशमश्रेणि तथा अपकणि मांडे नहीं अने तद्
भवमा मुक्ति जाय नहि.
५७५ नाममंगल, स्थापना मंगल,द्रव्यमंगल,अने भावमंगल,आ चार
प्रकारमा मंगळले.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202