Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 182
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्वबिन्दु. (१७३) ८ गुणेपर्यायोपचार-मतिज्ञान ते पंचइन्द्रिय अने मनोजन्यछे माटे शरोरज कहीए अत्र मतिज्ञानरूप आत्मगुणमां शरीररूप पुद्ग लनो उपचार को. ९ पर्याये गुणोपचार:-शरीर ते मतिज्ञानरूप गुणजछे. अत्र शरीर पर्यायमां मतिज्ञानरूप गुणनो उपचार को जाणवो. ५७७ श्लोक अध्यात्मसार. अतो मार्ग प्रवेशाय, व्रतंमिथ्यादृशामपि ॥ द्रव्यसम्यक्त्वमारोप्य, ददते धीरबुद्धयः ॥ १७ ॥ ते माटे धीरबुद्धिवाळा रत्नत्रयिमार्गमा प्रवेशार्थे मिथ्यादृष्टिवाळाने पण द्रव्यसमकितनो आगेप करीने चारित्र आपेछे. ५७८ आर्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान अने शुकलध्यान ए ध्यानना चार भेदछे. ५७९ अवधिज्ञानमां क्षेत्राधिकारथी प्रमाणांगुल ग्रहण करायछे. अव विज्ञानना अधिकारथी उत्सेधांगुल प्रमाण जाणवू एम केटलाक कहेछे. (कि. प. १८८) For Private And Personal Use Only

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