Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तस्वबिन्दुः
सिद्धि वरे. अप्रतिपतितसम्यक्त्वधारियोमा एक समयमा चार उत्कृष्टा सिद्धि वरे. (प्र. सा.)
उक्तंच. जेसि मणंतो कालो, पडिबाओ तेसि होइ अठसय; अप्परिवडिए चउरो, दशगं२ च सेसाणं ॥१॥
५३५
गाथा. अंबत्तणेण जीहाइ, कूचिया होइ खीर मुदयंमिः हंसो मुत्तण जलं, आवियइ पयं तह सुसीसो ॥२॥
१३६ दीर्घ वैताढयमां-कांचनगिरिमां चित्रविचित्र पर्वतमां यमक
समक पर्वतमा तिर्यगजंभक देवताओरहेछ. ते व्यंतरविशेषछे.
५३७ समवायांग वृत्तितः नारकी जे पुद्गलोनो आहार करेछे. तेने
अवधिज्ञानवडे पण जाणता नथी. लोमाहारपणाथी चावडे देखी शकता नथी. असुर. व्यंतर, ज्योतिष्य अने वैमानिक जे
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202