Book Title: Tattva Bindu
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१६०)
स्वबिन्दुः ५२६ भवचक्रमां चार वार आहारकशरीर करनार मुनि तद्भवमा
सिद्धिगामीछे.
५२७ आचारांगमूत्र वृत्ति तृतीयाध्ययन, प्रथम उद्देशामा स्त्यान
धिंत्रिकोदय थएछते सम्यक्त्व प्राप्ति अने भवसिद्धि कोइनी थती नथी.
५२८ एक भवमां, एक जीवने, कर्मगतिवैचित्र्यताथी त्रणवेदनो
उदय पण संपजेछे निशीथचूर्णि.
५२९ कोइ पण निर्भाग्यना संसर्गथी घणा भाग्यवंतोनो पण पुण्यो
दय हणायछे.
५३० द्रव्यथी परमाणु नित्यछे. पर्यायथी अनित्यछे. भगवती सूत्र
१४ शतक-चोथा उद्देशामां कहूंछे के-परमाणु पुग्गलेणं भंते सासए असासए? गोयमा सियसासए,सिअअसासए,सेकेण ठेणं भंते एवं वुच्चति? गोयमा!!! दव्वठयाए सासए,पज्जवठयाए असासए, इत्यादि यत्तु केचित् परमाणोनित्यत्वेनतत्पर्यवाणां नित्यत्वंमन्यते तदसत्. पंचमांगे स्पष्टतोऽनित्यत्वोक्ते,, केटलाक परमाणुना नित्यपणावडे तेना पर्यायोने पण नित्य
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202