Book Title: Tandulvaicharik Prakirnakam
Author(s): Ambikadutta Oza
Publisher: Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha

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Page 47
________________ SinMahavir dain AradhanaKendra www.kobatirtm.org Acharya Sur Kassegarmur Gyarmandir ४२ जीवह, वारस मास सयाई जीवंतो चउवीसं पक्ख सयाई जीवइ, चउवीसं पक्खसयाई जीवंतो छत्तीसं राईदियसहस्साई जीवइ, छत्तीसं राइंदियसहस्साई जीवंतो दस असीयाई मुहुत्त सयसहस्साई जीवइ, दस असीयाई सहुत्त सय सहस्साई जीवतो चत्तारि उस्सासकोडीसए सच य कोडीश्री अडयालीसं य सयसहस्साई चचालीसं य सहस्साई जीवइ । चत्तारि उस्सासकोडीसए जाच चत्तालीसं य उस्साससयसहस्साई जीवंतो अद्धतेवीसं तंडुलवाहे भुजह । कहमाउसो ! अद्धतेवीस तंड लषाहे झुंजह १ गोयमा ! दुब्बलाए खंडियाणं बलियाए छडियाणं खयरमुसलपच्चाइयाणं ववगयतुसकणियाणं अखंडाणं अफुडियाणं फलगसरियाणं एक कवीयाणं अद्धतेरसपलियाणं पत्थएणं, सेवियणं पत्थए मागहए कल्लं पत्थो सायं पत्थो चउसट्ठी तंडलसाहस्सीओ मागहो पत्थो । विसाहस्सिएणं कवलेणं बचीसा कवला पुरिसस्स आहारो, अट्ठावीसं इत्थीयाए, चउवीसं पण्णगस्स । एवामेव पाउसो ! एयाए गाणाए दो असइयो पसई, दो पसईओ सेइया होइ, चत्तारि सेइया कुलो, चचारि कुलया पत्थो, चत्वारि पत्था भादगं, सट्ठीए पाढयाणं जद्दएणए कुभे, असीइए आढयाणं मज्झिमे कुभे, पाढयसयं उकासए कुभ, भट्ठव आढग सयाई वाही। एएणं पाहप्पमाणेणं अद्भुतेवीसं तंडुलवाह भुजह । आयुष्मन् । स यथानामकः कश्चित् पुरुषः स्नातः कृतवलिकर्मा कृतकौतुकमङ्गलप्रायश्चित्तः शिरसि स्नातः कण्ठे मालाकृतः आविद्यमणिसुवर्णः महतसुमहावखपरिहितः चन्दनोलिलच गानशरीरः सरससुरभिगन्धः गोशीर्षचन्दनानुलिप्तगात्रः शुचिमालावर्णकविलेपनः कल्पितहाराहार त्रिसरक पालम्प प्रलम्बमानः कटिसूत्रकसुकृतशोमः पिनद्ध चेयकान लीयक ललिताणदललितकृताभरणः नानामणिकनकरत्नकटकत्रुटितस्तम्भितमुजः अधिकरूपसश्रीकः कुण्डलोद्योतिताननः मुकुटदचशिराः हारावस्तृतसुकृतरतिद वक्षाः पालम्ब प्रलम्बमानसुकृतपटोतरीयः SAGESEREESHOTSANEESHAMISHESTEHSS345134ENSE For Private And Personal Use Only

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