Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 14
________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर संतर्पण चिकित्सा, स्नेहपान, स्वेदन, आदि सौम्यशोधन, स्निग्ध और उष्ण वस्ति, अनुवासन वस्ति, मात्रा वस्ति, सेक, नस्य, मधुर, अम्ल, नमकीन और चटपटे रसयुक्त भोजन, पौष्टिक भोजन, घृत या तेल का मर्दन, हाथ पाँव को दबाना, वस्त्र बान्धना, भय दिखाना, निद्रा,सूर्य का ताप, स्निग्ध उष्ण और नमकीन औषधियों के मृदुविरेचन, दीपन, पाचनादि औषधियों से सिद्ध घृतादि स्नेह या क्वाथादि सिंचन और गर्म वस्त्र का आच्छादन, गुनगुना पानी, गेहूँ, मूंग, घी, नवीन उरद, लहसुन, मुनक्का, मीठा अनार, दूध और सेंधानमक आदि वायु को शान्त करते हैं। (20).पित्त शामक उपाय - घृत पान, कषेला, मधुर और शीत वीर्य औषधियों का विरेचन, रक्तस्राव,दूध , शीतल, मधुर, कड़वे और कसेले रस युक्त भोजन, शीतल जल में बैठना, सुन्दर गायन सुनना, रत्न या सुगन्धित मनोहर शीतल पुष्पों की माला धारण करना, कपूर-चन्दन और खस आदि का लेप, शीतल वायु का सेवन, पंखे की वायु, छाया, बागान या जलाशय के किनारे रहना, रात्रि की चाँदनी में बैठना-सोना, विनोद से मधुर भाषा में वार्तालाप करना, द्वार पर या कमरे में जल सिंचन और पित्त शामक औषधियों का सेवन, मुनक्का, केला, आँवला, अनार, परवल, खीरा ककड़ी, करेला, पुराने चावल, गेहूँ,, मिश्री, चीनी, घी, अरहर, जौ, मूंग, चना, धान की खीर, मसूर, कुटकी, निसोर, पित्त-पापड़ा, त्रिफला, आदि पित्त कोप को शान्त करने वाले हैं। (21) कफ शामक उपाय विधि पूर्वक तीक्ष्ण वमन, चरपरी औषधियों से विरेचन, शिरोविरेचन, चटपटे, कड़वे और कषैले रसयुक्त रूक्ष भोजन, क्षार उष्ण भोजन, अल्पाहार, उपवास, तृषानिग्रह, कवल और गंडूष धारण, जागरण, मार्गगमन, जल में तैरना, सुख का अभाव, चिन्ता, रूक्ष औषधियों से मर्दन, धूमपान, मेदोहर और कफन औषधियों के सेवन, गर्म पानी पीना, गर्म घर में रहना,. त्रिफला का सेवन करना, साँठी, चावल, चना, मूंग, लहसुन, प्याज, नीम, निसोत और कुटकी से कफ प्रकोप शान्त होता है। (22) रोगी की मृत्यु की पहिचान 1. जिस रोगी को रात में दाह और दिन में ठण्ड लगे और कण्ठ में कफ का घर्राटा हो तो उसकी मृत्यु जानो। 2. जिस रोगी के नेत्र, देह और मुख का वर्ण बदल गया हो तो समझो की रोगी मृत्यु के मुँह में हैं। 527

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