Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 43
________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ८ ५ लोंग का चूर्ण मिश्री की चासनी के साथ लेने से वमन मिटता है। ९. पका केला खाने से भी वमन मिटती है। १०. पिस्ते खाने से जी मचलना और वमन मिट जाता है। 11. नारियल की जटा को जलाकर उसकी राख में थोड़ा सफेद नमक मिला लें। इसे जल में घोलकर पिलाने से कै बंद हो जाएगी। 12. रुधिर की वमन रोकने के लिए पेठे का स्वरस पिलाना चाहिये। (73) वमन कराने के उपाय १. गर्म पानी में नमक अथवा तिल का तेल मिलाकर पीने से वमन होता है। (74) हैजा-रोग १. लालमिर्च, हींग और वच की गोलियाँ बनाकर देने से हैजा रोग मिटता है। २. जायफल को तेल में घिसकर मर्दन करने से हैजे में आने वाले बांइटे मिटते हैं। ३. नीम के तेल का मर्दन करने से विषूचिका में तथा बुखार में आने वाले बांइटे मिटते हैं। ४. कड़वे तेल को गर्म करके मर्दन करने से हैजा में कुक्षि की पीड़ा मिटती है। ५. कमलगट्टा की गिरी, तगर, मुलैठी, सफेद चन्दन इन सब को सम भाग लेकर काढ़ा करके पिलाने से वमन मिटता है। (75) पथरी रोग १. कफ की पथरी के लिए- जवाखार ३ माशा, नारियल के फूल ३ माशा इन दोनों को जलाकर पीसकर सेवन करने से उत्कट पत्थरी रोग मिटता है। २. गोखरू के बीज २ आने भर लेकर पीस लें, फिर बकरी के दूध में मिलाकर पीने से पथरी रोग मिटता है। ३. कफ की पथरी के लक्षण- कफ की पत्थरी में बस्तिस्थान ठण्डा और भारी होता है, तथा सुई चुभने जैसी वेदना रहती है। ४. पित्त की पथरी के लक्षण- इसमें बस्तिस्थान में जलन होती है, पेशाब करते समय मालूम होता है जैसे कोई क्षार से जलता है तथा हाथ लगाने से गर्म मालूम होता है। ५. बादी की पथरी के लक्षण- इसमें अत्यन्त दर्द के कारण रोगी दाँतों को पीसता हुआ काँपने लग जाता है, दर्द के मारे भारी बेचैनी रहती है, अधोवायु के साथ मूत्र निकल जाता है और बूंद-बूंद करके टपकता है। ६. अंगूर की लकड़ी की राख ४.८ ग्राम गोखरु के रस या क्वाथ में चाटने से पथरी रोग मिटता है। अथवा अंगूर के पत्तों का रस पीने से पत्थरी रोग मिटता है। 556

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