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मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
तो कुछ ही दिन में भग संकुचित हो जाएगी। यदि इसी गीले वस्त्र को पुरुष अपनी इन्द्री पर लपेटा करे तो कुछ दिनों में उसकी इन्द्री सीधी तथा मोटी हो जाएगी। 15. शीघ्र पतन, शारीरिक कमजोरी- नाश्ते में उड़द की खीर खाकर दूध पीएं व उड़द की दाल का उपयोग करें। इससे नपुंसकता शीघ्रपतन, कमजोरी दूर होगी। अथवा लौंग का तेल इन्द्रिय पर मले शीघ्रपतन दूर होगा ।
16. शीघ्रपतन - चार-पांच साल रखा पुराना गुड़ तथा इमली का गूदा, सोंठ, मिर्च, पीपल बराबर मात्रा में पीसकर चासनी में मिलाकर कामेन्द्रिय पर लेप करके काम करने पर पत्नी शीघ्र स्खलित हो जाती है।
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स्वास्थ्य अधिकार
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दूध के साथ असगन्ध की फक्की लेने से बल बढ़ता है।
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बादाम की गिरी और भुने हुए चने छीलकर प्रतिदिन खाने से बल बढ़ता है। 3. बबूल का गोंद घृत में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषार्थ बढ़ता है।
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स्त्री स्खलन- तांत्रिकों के मतानुसार बिजौरा नींबू के रस को कामेन्द्रिय पर लेप करके कार्य करने पर स्त्री तत्काल स्खलित हो जाती है ।
नागकेशर नई का चूरन कर घी में डालकर रति समय चाटें तो रात्रि में गर्मी मालूम हो ।
(181) बल पुरुषार्थ ( शक्ति वर्धक )
पौरुष प्राप्त- बरगद के वृक्ष के दूध को प्रातः काल निकालकर एक बताशे में भरकर खाने पर अपार पौरुष प्राप्त होता है । यदि उस बताशे को दूध के साथ पीएं तो पेशाब में जलन व नपुंसकता दूर होती है।
कामशक्ति - घी के साथ गुंजा की जड़ रगड़कर इन्द्रिय पर मलने से कामशक्ति बढ़ती है।
पौरुष शैथिल्य- श्वेत आक का दूध और मधु (चासनी) मिलाकर लेप बनायें, उस लेप में श्वेताक फल से प्राप्त रूई की बत्ती बनाकर तर कर लें। संबंध के समय दीपक जला लें जब तक दीपक जलता रहेगा पुरुष को शिथिलता का अनुभव नहीं होगा ।
धातु पुष्ट- रात्रि में मिट्टी के बर्तन में आम के पेड़ की छाल को रखकर उसमें पानी भर दें और उसे वस्त्र से ढंक कर रख दें। प्रातः काल उस जल को छानकर उसमें दूध मिलाकर पी जाएं, इससे बल और धातु पुष्ट होता है।
शक्ति वर्धक- मीठा आमरस दूध में चीनी डालकर पीने से मर्दानगी बढ़ती है । तालमखाने, गोखरू, कोंच के बीज, तिल, उड़द इनके चूर्ण को दूध के साथ वह
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