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स्वास्थ्य अधिकार
मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
आधा भाव होता है । शनि, रवि और मंगल के दिन मकर संक्रान्ति का प्रवेश हो तो अनाज का भाव तेज होता है । यदि मेष और कर्क संक्रान्ति का रवि, मंगल और शनिवार को प्रवेश हो तो अनाज महँगा, ईति-भीति आदि का आतंक रहता है । कार्तिक तथा मार्गषीर्श की संक्रान्ति के दिन जल वृष्टि हो तो पौष में अनाज सस्ता होता है तथा फसल मध्यम होती है। कर्क अथवा मकर संक्रान्ति शनि, रवि और मंगलवार की हो तो भूकम्प का योग होता है। प्रथम संक्रान्ति प्रवेश के नक्षत्र में दूसरी संक्रान्ति प्रवेश का नक्षत्र दूसरा या तीसरा हो तो अनाज सस्ता होता है। चौथे या पाँचवे पर प्रवेश हो तो धान्य तेज एवं छठवे नक्षत्र में हो तो दुष्काल होता है ।
_(190) संक्रान्ति से गणित द्वारा तेजी-मंदी का परिज्ञान
संक्रान्ति जिस दिन प्रवेश हो उस दिन जो नक्षत्र हो उसकी संख्या में नीधि और वार की संख्या जो उस दिन का हो, उसे मिला देना। जो योग्य फल हो उसमें तीन का भाग देने से एक शेष बचे तो वह अनाज उस संक्रान्ति के मास में मन्दा बिकेगा, दो शेष बचे तो समान भाव रहेगा और शून्य शेष बचे तो वह अनाज महँगा होगा ।
(191) तेजी-मंदी के उपयोगी के पंच वार का फल
जिस महीने में पांच रविवार हों उस महीने में राज्यभय, महामारी, अलसी, सोना आदि पदार्थ तेज होते हैं। किसी भी महीने में पांच सोमवार होने से सम्पूर्ण पदार्थ मंदे घृत, तेल, धान्य के भाव मंदे रहते हैं। पांच मंगलवार होने से अग्नि भय, वर्ष का विरोध, अफीम मन्दा तथा धान्य भाव घटता बढ़ता रहता है। पांच बुधवार होने से घी, गुड़, खांड आदि रस तेज होते हैं। रूई चांदी घट बढ़कर अंत में तेज होती है। पांच गुरूवार होने से सोना, पीतल सूत कपड़ा चावल चीनी आदि पदार्थ मंदे होते हैं। पांच शुक्रवार होने से प्रजा की वृद्धि, धान्य मंदा, लोग सुखी तथा अन्य भोग पदार्थ सस्ते होते हैं। पांच शनिवार होने से उपद्रव, अग्नि, भय, अफीम, की मन्दी धान्य भाव अस्थिर, और तेल महंगा होता है । लोहे का भाव पांच शनिवार होने से महंगा तथा अस्त्र-शस्त्र मशीन के कल पुर्जो का भाव पांच मंगल और पांच गुरू होने से महंगा होता है ।
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