Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 85
________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 3. तुलसी के पत्तों को सिजाकर पीस लें और लेप करने से अण्ड वृद्धि मिटती है। सोंठ, मिर्च, पीपल और त्रिफला के काढ़ा में जवाखार, सेंधानमक डालकर पीने से कफ की अण्ड वृद्धि मिटती है। पानी में मिश्री मिलाकर या शीतल पदार्थों का सेवन करने से रक्त की तथा पित्त की अण्ड वृद्धि मिटती है। . दूध में अरण्ड का तेल डालकर १माह तक पीने से वायु की आंत्रवृद्धि दूर होती है। ___ गुग्गुल व अरण्ड के तेल को गौमूत्र में मिलाकर पीने से पित्त की आंत्रवृद्धि दूर होती जुलाब लेने से भी रक्तकोप की आंत्रवृद्धि दूर हो जाती है। अण्डकोश बढ़ने पर :-सफेद आक की जड़ कांजी (करंजी) में घिसकर लेप करने से अण्डकोश सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। 8. अण्डकोष की सूजन पर धतूरे के पत्तों में तेल चुपड़कर अंडकोषों से चिपकाना लंगोट कस लेना चाहिए तीन से पांच दिन में सूजन चली जाती है। (178) शुक्राणुओं की वृद्धि हेतु 1. शुक्राणुओं की वृद्धि- अश्वगंधा चूर्ण ६ ग्राम, शुद्ध घी के साथ कुछ दिनों तक नित्य सेवन करने से शरीर में वीर्य वृद्धि, वीर्य गाढ़ा, शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है तथा शीघ्रपतन नहीं होता है। 2. शुक्राणु वर्द्धन हेतु- मीठी नीम की छाल के चूर्ण की १ ग्राम मात्रा शहद (चासनी) के साथ सुबह लेने से पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। अथवा आधा चम्मच आंवला का चूर्ण गर्म पानी से लेने पर वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा बढ़ती। 3. शुक्राणु की वृद्धि हेतु- बतासे पर बड़ के पत्ते का दूध डालकर खाने से वीर्य गाड़ा होता है व शुक्राणु की वृद्धि होती है। (179) स्वप्न दोष निवारण 1. स्वप्न दोष- कंधारी अनार के छिलके का चूर्ण ३-३ माशा सुबह शाम जल से लें। 2. स्वप्न दोष निवारण- पियावांसा (बज्रदंती) की तीन पत्तियां सुबह-शाम खाकर ऊपर से एक गिलास जल पीवें ७ दिन में रोग जाता रहेगा। 3. बिना बीज की बबूल की कच्ची फली, बबूल की कोंपल और बबूल की गोंद इनको बराबर कूट करके से छान कर लें। मात्रा 3.2 से 4.8 ग्राम लेकर ऊपर मिश्री मिलाकर दूध पीना चाहिये, इससे स्वप्नदोष, वीर्य का पतलापन शुक्रमेह, मूत्र के 598

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