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मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
5. स्तनों की कठोरता - असगन्ध, कूट, शतावर, बालछड़ और कटेरी के पुष्प का कल्क बनाकर उसे तिल के तेल में पका लें, फिर उस तेल की मालिश से स्तनों में कठोरता आती है व वृद्धि होती है । और यही तेल पुरुषेन्द्रिय को दृढ़ता एवं स्थूलता प्रदान करता है।
स्वास्थ्य अधिकार
6. स्तनों की शिथिलता दूर हेतु :- छोटी कटेरी (भटकटैया, कंटकारी) की जड़ किंटुरी की छाल तथा अनार की छाल को एक साथ पानी में पीसकर लेप करने से स्त्रियों के लटकते (ढीले) स्तन चुस्त हो जाते हैं ।
7. स्तन शैथिल्य - ढीले होकर लटके हों तो चुस्त स्तन करने के लिए धतूरे के पत्तों को सुहाते गरम (थोड़े गरम ) करके स्तनोंपर बांधना चाहिए।
सरसों के तेल में सफेद सरसों और असगंध मिला तेल सिद्ध करें। इस तेल के मलने से स्तन, कान आदि की वृद्धि होती है।
मूलहटी, महुआ का चूर्ण, इनको दूध में मिलाकर शुष्क करें । पश्चात् कटेरी के फल के स्वरस में लेप करने से स्तन वृद्धि होती है।
10. कमलगट्टा की मींगी का चूर्ण 4.8 ग्राम शक्कर सहित दूध में स्त्रियाँ सेवन करें तो गर्भस्थापक, श्वेत प्रदर नाशक होता है, इससे स्तनों की दृढ़ता भी होती है । (175) योनि दोष दूर हो जाता
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1. नीम, हल्दी, घी, काला अगर, गुग्गल की धूप योनि में देने से योनि शुद्ध होती है जिससे पति खुश होता है।
2. बबूल (कीकर) वृक्ष की चिकनी बक्कल तोड़ लाएँ फिर उसे नींबू के रस में डुबो दें, एक दिन डूबी रहने दें फिर दूसरे दिन उसी में एक शुद्ध वस्त्र डाल दें, जब वस्त्र उस रस में भींग जाए तो निकाल लें इसका रंग धुआँ सा होगा। फिर गीले वस्त्र को एक गिलास दूध में डाल कर धो डालें और उसी में उसे निचोड़ दें। अब यह दूध पी जाएँ इससे कुछ दिनों में वीर्य गाढ़ा हो जाएगा और शीघ्र स्खलन होना रूक जाएगा, देह भी पुष्ट हो जाएगी। यदि स्त्री इस गीले वस्त्र को अपने भग में रखेगी तो कुछ ही दिन में भग संकुचित हो जाएगी। यदि इसी गीले वस्त्र को पुरुष अपनी इन्द्री पर लपेटा करे तो कुछ दिनों में उसकी इन्द्री सीधी तथा मोटी हो जाएगी।
3. गुड़, तेल, छुवारे के क्वाथ में नमक मिलाकर पीने से अशुद्ध योनि वाली स्त्री के योनिदोष दूर हो जाते हैं।
4. योनि संकोच - माजूफल, फिटकरी और कपूर को पीसकर चूर्ण को एक चुटकी
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