Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 78
________________ स्वास्थ्य अधिकार मन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर निश्चित ही गर्भ रहे। 17. गर्भ रहे- मातुलिंग (बिजोरा) के बीज की दूध के साथ खीर बनाकर घी के साथ पीवें तो स्त्री को निश्चित ही गर्भ रहे। किन्तु खीर ऋतु समय तीन दिन खाना चाहिए। 18. गर्भ रहे- श्वेत पुनर्नवा मूल को दूध के साथ घिसकर पिलाने से स्त्री को गर्भ रहता है। 19. कड़वी तूंबी में सिद्ध किये हुए तेल को मलने से योनि दोष दूर होकर गर्भ रह जाता 20. पुष्य नक्षत्र में लक्ष्मण की जड़ को पीसकर घृत के साथ प्रतिदिन एक महीना तक पीने से निश्चय ही गर्भ रहता है। असगंध का काढ़ा-मंदी-मदी आँच पर पकाकर ऋतुमती स्त्री पीवे तो जिसके आज तक सन्तान न हुई हो उसके भी हो जावे। नागकेशर का चूर्ण 1.6–3.2 ग्राम बछड़े वाली गाय के दूध के साथ लेने से सन्तान होती है। बिजोरे नीम्बू के बीज बछड़े वाली गाय के दूध के साथ चौथे दिन पीने से सन्तान होती है। 24. कांगणी १ पाव को पीसकर उतना ही आटा मिलावें सेर भर लड्डु बनावे, घृत डाले, बूरा डाले फिर खाबें तो प्रदर रोग दूर होवे, गर्भ भी धारण कर एक का परेज रखें। रात्रि में एक बजे के बाद जावें तो अवश्य ही पुत्र होगा। 25. संतान प्रदाता:- स्त्री को ऋतु स्नान के तीसरे दिन शिवलिंगी के दस बीजो को निगलना पड़ता है। हाँ पहले वह बीजों को जल की सहायता से गीले वस्त्र पहने हुए ही निगले, वाद में वस्त्रों को “चेंज" करे। एक बार इस प्रयोग को सम्पन्न करके वह नौ माह तक इंतजार करे। नौ माह में गर्म न रहने की स्थिति में वह दुबारा प्रयोग करे। नोट-शिवलिगीं के बीचों को घर में २-३ दिन से अधिक नहीं रखना चाहिए अन्यथा बेवजह की अशांति उत्पन्न होती है। अतः उक्त प्रयोग हेतु बीजों को केवल एक-दो दिन पूर्व ही लाकर रखें तथा केवल आवश्यक बीजों को ही घर में रखें। (166) पुत्र प्राप्ति हेतु 1. पुत्र प्राप्ति- लौकी का गूदा बीज सहित मिश्री से खावें तो पुत्र हो (गर्भ ठहरा है तब से तीन माह तक) स्त्री के सहवास में ४-६-८ व १२ वें दिन जावें तो पुत्र 591

Loading...

Page Navigation
1 ... 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103