Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 79
________________ 2. मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र हो । पुत्र प्राप्ति हेतु - कबूतर की बीट व सुहागा पीसकर शिश्न पर लेप करके सहवास करें तो पुत्र होता है। 3. 4. 5. 6. 7. 8. स्वास्थ्य अधिकार 9. 10. 11. मुनि प्रार्थना सागर पुत्र प्राप्ति हेतु - पलाश के कोमल पत्ते दूध के साथ लेने से पुत्र उत्पन्न होता है । पुत्र प्राप्ति हेतु - पुत्रजीवा वृक्ष की जड़ और देवदारु इन दोनों को दूध में पीसकर पीने से पुत्र अवश्य होता है । पुत्र प्राप्ति हेतु - पुत्र प्राप्ति हेतु सदैसर के पत्ते, तुलसी के पत्ते, नागकेशर ४८ ग्राम, पारस पीपल फल ४८ ग्राम, आसंधि ४८ ग्राम, खांड ४८ ग्राम, वृद्धदारु ४८ ग्राम, सूंठ ४८ ग्राम, दारु हल्दी ४८ ग्राम, एक वर्णी गाय के घी से अवलेह करें। खुराक १२ ग्राम प्रमाण से पुत्र की प्राप्ति होगी। ऋतु स्नान के बाद यह औषध लेना प्रारम्भ करें । पुत्र प्राप्त तन्त्र - गुरुपुष्य अथवा रविपुष्य के दिन सफेद फूल वाली कटेरी की जड़ उखाड़ लावें, ऋतु स्नान के चौथे-पाँचवे दिन एक तोला जड़ बछड़े वाली गाय के दूध में पीसकर लें और छठे दिन पति से संबंध बनाये तो पुत्र होय । ऋतुस्नान के दिन पानी में अश्वगंधा को मिलाकर घी व दूध से सेवन करें तो निश्चय ही पुत्र होता है। पुष्य नक्षत्र के दिन देवरानी की चार माशे जड़ को दूध में पीसकर सेवन करने से भी जन्मबंध्या स्त्री पुत्र उत्पन्न करती है । मयुर शिखा की जड़ को ३ दिन दूध के साथ पीने से स्त्री पुत्रवान होती है । लक्ष्मणा भाग ३, उभयलिंगी भाग ४, विरहाली भाग ६ सब एकत्र करके गाय के दूध में पीस कर ऋतु समय में स्त्री को पिलाने से पुत्र होता है। 12. सुवर्ण, चांदी या लोहे की उत्तम भस्म लेकर अग्नि बलानुसार सूक्ष्म मात्रा से दही अथवा दूध या एक अंजली जल के साथ पुष्प नक्षत्र में पीने से अवश्य ही पुत्र पैदा होता है। ऋतुस्नान के बाद बकरी के दूध में काली अपराजिता की जड़ को पीसकर सेवन करने से जन्मबंध्या गर्भ धारण करती हैं। इसके अलावा पिप्पली, नागकेसर, सौठ, काली मिर्च को गाय के घी में पीसकर सेवन करने से भी जन्मबंध्या स्त्री पुत्र लाभ प्राप्त करती है। 13. नींबू के पुराने वृक्ष की जड़ को दूध में पीसकर घी में मिलाकर पीने से दीर्घ जीवी पुत्र की प्राप्ति होती है । 592

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