Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 16
________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ज्वर के सामान्य लक्षण शरीर गर्म होना, पसीना न निकलना, भूख मन्द होना, अंग जकड़ना, मस्तक में पीड़ा होना, थकावट मालूम होना, हाथ पैर टूटना, शरीर मलीन होना, काम में मन न लगना, मुँह का स्वाद बिगड़ जाना, आँखों से पानी आना, जम्हाई आदि आना ये सब लक्षण ज्वर के होते हैं। ज्वर आते ही व्यक्ति के शरीर में ये दस उपद्रव खड़े हो जाते हैं- श्वास, मूर्च्छा, अरूचि, वमन, तृषा, अतिसार, कब्ज, हिचकी, खांसी और शरीर में दाह । ज्वर में गर्म पानी पीना चाहिये, हल्का लंघन करना, वायु रहित स्थान में रहना, हल्का पथ्य करना, ज्वर आने से तीन दिन तक खटाई तथा जुलाब न लेना । ज्वर में पथ्य मूंग, मसूर, कुलथी और सोंठ को उबालकर उसका पानी पीना चाहिये, - स्वास्थ्य अधिकार साग में घीया, तोरई, परमल व दूध आदि पथ्य हैं। ज्वर में अपथ्य भारी पदार्थ, पत्तों का साग (शाक), बेसन तथा मैदे का पदार्थ आदि का विशेष परहेज रखना चाहिये । - ज्वर में सावधानी नवीन ज्वर में पहले 2-3 दिन लंघन करने से आम पचकर जल्दी नष्ट हो जाते हैं, परन्तु ध्यान रहे कि क्षय, वात, काम, क्रोध तथा भय से उत्पत्र होने वाले ज्वर में, प्रलाप तथा जीर्ण ज्वर व गर्भवती स्त्री को लंघन नहीं कराना चाहिये । - ( 24 ) बात ज्वर 1. सेर भर पानी को उबालकर अष्टमांश रहने पर उस पानी को लेने से वात - ज्वर मिटता है। 2. 2 कालीमिर्च, 10 तुलसी के पत्तों का काढ़ा दोनों समय पीकर गर्म कपड़ा ओढ़कर सोने से थोडी देर में पसीना आकर वात- जवर उतर जाता है । 3. काढ़ो पीवे सोंठ का, जो कोई मिश्री मिलाय । तीन दिना सेवन करे, वात- ज्वर मिट जाय । 4. गिलोय, सोंठ, नागर मोथा और जवासा इन सबाक क्वाथ बनाकर देने से वात-ज्वर नष्ट होता है। 5. गिलोय, सोंठ और पीपलामूल इन सबका काढ़ा पीने से वात - ज्वर मिटता है । 6. चिरायता, कुटकी, नागर मोथा, पित्तपापड़ा और धमासा इन सबका क्वाथ वात-पित्त ज्वर को नष्ट करता है। 7. पीपलामूल, पित्त पापड़ा, अडूसा का पत्ता भाड़ंगी, गिलोय का क्वाथ पीने से बात- ज्वर नष्ट होता है । 529

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