Book Title: Swarshastra Author(s): Vadilal Motilal Shah Publisher: Vadilal Motilal Shah View full book textPage 7
________________ सर्वव्यापी धनंजय तो मृत शरीरने पण छोडतो नथी. भा बधा वायु ज्यारे नारीभोमा .फरे छे त्यारे माणस जीवे के एम भापणने शान थाय छे. इहा, पिंगला अने सुषुम्णा नामनी मुख्यः त्रण नाडीओ वाटे स्वरनी केवी क्रियाओ थाय छे, ते सुज्ञ मनुष्ये 'जाणवा प्रयत्न करवो जोइए. - शरीरना हाबा अर्धा भागमा इडा नाडीने जाणवी भने शरीरमा नमणा अधी भागमां पिंगला नाडीने भोळखवी जोइए. - इडा नाडीमां चंद्रनी स्थापना छ, भने पिंगलामा सूर्यनी स्यापना छे. सुषुम्णामां शंभुनी स्थापना छे. अंभु, हे हंस: (धास अने सच्चबासनो) नो भात्मा छे. चंद्र शक्तिरुपे प्रगट थइ डाबी नाडीने वहेवरावे के अने सूर्य शंमु रुपे प्रकट थइ जमगी नाडीने वहेती करे . डावी नासिकामां ज्यारे वायु म्हेतो होय त्यारे सुज्ञ पुरुषे करेलु दान आ जगतमा करोडगणुं वृद्धि पामे छे. योगीए एक चित्तथी अने ध्यानपूर्वक पोताना मुख तरफ जोवू; अने सूर्य नाडी चाले के के चंद्र नाडी चाले छे, तेनी बराबर खात्री करवी. ज्यारे प्राण शांत होय त्यारे योगीए तत्वोनुं ध्यान करवू; पण प्राण अशांत होय त्यारे कदापि ध्यान करवु नहि. जो आम करे तो तेनी इच्छा पार पडे, अने तेने घगो लाभ अने विजय प्राप्त थाय. जे मनुष्यो अभ्यास पाडी चंद्र तथा सूर्य नाडीने पोतानी इच्छा प्रमाणे व्यवस्थापूर्वक चलावे छे, तेओने भूत अने भविष्यकाळचं ज्ञान . हस्तामलकवत् थइ रहे छे. ___ हावी नाडीमां ज्यारे प्राण होय त्यारे ते अमृत तुल्य गणाय छे. ते भाखा जगतने पोषण आपनार छे. गति आपनार विभाग जे जमणी नाही सेमा जगत्ना मनुष्यो जन्मे छे. वचमा रहेली सुषुम्गा बहुज खरावरीते वर्ते छे, अने सर्व कार्यामा भशुभ गणाय के. दरेक प्रकारना मंगल कार्यामा हावी नाही बढ अर्पमार गणाय , Scanned by CamScannerPage Navigation
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