Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 28
________________ ( २८ ) एक कासार्नु वासण लेइने तेने पाणीथी भरो; अने तेमा सर्यों प्रतिबिंब जुओ. जो ते पडछायाना मध्य भागमा बाकुं (छिद्र ) देखाय तो ते जोनार दश दिवसमा मरण पामशे. जो पडछायो धूमाडावाळो जगाय तो तेज दिवसे मरण थाय. जो ते परछाया दक्षिण, पश्चिम के उत्तर दिशा भणी जगाय तो जरूर तेनुं मरण अनुक्रमे छ, बे, के ऋण महिनामा थाय. आ प्रमाणे सर्वज्ञोए जीवननी मर्यादा बांधी छे. जो मनुष्य जमना दूतनी मूर्ति जुए तो जरुर ते मरी जवानो. ज्यारे बहारथी चामडी ठंडी होय अने अंदरनो भाग गरम होय त्यारे जरुर एक मासमा तेनुं मरण थाय. ज्यारे माणसनो काइ पण कारण सिवाय एकाएक स्वभाव बदलाय छे, एटले सारी टेवोने बदले नठारी अथवा नठारीने बदले सारी टेवो ग्रहण को छे त्यारे जरूर मरण थाय छे. .. ज्यारे नसकोरामाथी :नीकळतो श्वास ठंडो होय भने मुखमाथी नीकळतो श्वास अग्नि जेवो उष्ण होय तो जरुर ते सख्त तावथी मरण पामे. जे भयंकर आपत्तिओ, अने दीवो सळगाव्या सिवाय चळकतो प्रकाश जुए छे, ते नव मास पहेला मरण पामे छे. जेने एकाएक भारे वस्तुओ वजनमा हलकी लागे छे, अने हलकी वस्तुओ वजनमा भारे लागे छे, जे स्वभावे काळो होवा छतां रोगथी . - सोनेरी रंगनो देखाय छे, ते जरुर मरण पामे छे. नाह्या पछी, जेना हाथ, छाती अने पग एकदम सूकाइ जाय छे, ते दश दिवस पण जीवतो नथी. ने माणसनी आंखोजें तेज घटी जाय छे, अने बीजानी आंखनी कोकीमा पोताना मुखने न जोइ शके, ते जरुर मरण पामे .. हवे तने हुँ " छाया पुरुष " संबंधमा थोडं कहीश, जे जागवायी मनुष्य त्रिकाळज्ञानी बने छे. Scanned by CamScanner

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