Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 39
________________ (३९) इच्छाओने काबुमा राखवानो हेतु ए छे के सूक्ष्मभुवनमा मनुष्य अनी इच्छा करे छे ते पोतानी नजर आगळ जुए छे. त्यां कोइ पण चीज मेळवकाने माटे 'इच्छा'ज पुरती छे. हवे जो आपणी इच्छाओ हलकी होय तो हलका पदार्थो आपणी नजर आगळ आवी उभा रहेशे; आधी आपणे तेमा लोभार जइशं, अने बीजाओने सहाय करवानें काम थइ शकशे नहि. जो ते समये आपणा गुरुदेव आपणी पासे होय तो ते वखते आपणने भारे लज्जा उत्पन्न थाय छे. माटे आ कामना अभ्यासीए हलकी इछाओं उपर पूर्ण काबु मेळववो जोइए. ३. शांति-आ गुणनी. आ मार्गना अभ्यासीमा खास जरुर छे. चिंता, उदासी, उद्वेग, शोक वगेरे बिलकुल असर न करी शके तेवी मननी शांति जाळववानी घणी जरुर छे. गुप्त मददगार थवा इच्छनार जे काम करवानां छे, तेमार्नु मुख्य लोकोने शांति आपवानु, लोकोनी दिलगीरी उदासी अने फीकर दूर करवानुं छे. पण मदद करनारनुं पोतार्नु ज मन खोजवाट, उस्केरणी, चिंता, शोक वगेरेथी भरपूर होय तो ते बीजाने शुं मदद करी शके ? जे पोते बंधायेलो होय से बीजाने शी रीते मुक्त करी शके ? आ वीसमी सदीनी कांइक जुदाज प्रकारनी धांधळ, धेघाट, नजीवी बाबतो माटे लांबी लांबी चर्चाओ, अने ‘कागनो वाघ' अथवा तो ' रजनुं गज ' बनावानी टेव-शा सर्व गुप्त ज्ञानना वधाराने माटे घणुज नुकसानकारक छे. आपणामांना घणाखरा पुरुषो एक नजीवी बायतने मोटुं रुप आपवानो ख्याल करीए बीए, अने नापी गंभीर जेवी गणीने चिंतातुर थवामा आथी शांत आपणाथी हजार गा जेओ ब्रह्मविद्याना भक्त हे ...न नी नकामी Scanned by CamScanner

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