Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 47
________________ छेवटना बे बोल. आ लखनार सारी रीते जाणे छे के आ विषय पर सर्वनी श्रद्धा बेसी शकशे नहि. आजकाल देवो'ना नामे अने 'भूतो'मा नामे एटला बधा ढेग सेग चाले छे के जेथी खरी वातो पण मनावी मुश्केल थइ पडी छे. पण ते माटे शोक करवो नकामो छे. जेओ पवित्र छे-जेओ परोपकारी छे--जेओ विवेक साथै श्रद्धा धरावे छे तेओने तो आ वातो जेवी वातो पोताना संबंधा बन्याना दाखला जोवा मळ्या हशे ज अगर नजीकना भविष्यमे मळशे ज. जेमने आ वातो मानवी न गमती होय महेमने आ लेखक टुंकमा अरज करे छे के, आ वात मानो तो तेथी तमारा धर्मवे कोड नुकसान थवानुं नथी अने न मानो तो सत्यने के देवोने का नुकशान थवानुं नथी. मानवाथी सारा कामो करवामा तमने श्रद्धा बंधाशे अने श्रद्धाथी तमे :परोपकारना काममा कंटाळो के डर राखवानुं भूली जा हिमतवाळा. बनशो ( कारण के एवा काभमां गुप्त मदद करनार देवो दूर नथी:एवी तमने खात्री होय छे ): एटलो लाभ छे. आ मान्यतामा श्रया राखदी, ए खोट वगरनो धंधो छे. Scanned by CamScanner

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