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'सुविचार-माळा'-मणको २ जो..
स्वरशास्त्र..
जेमां शारीरिक, आर्थिक अने आत्मिक हित ।... साधवानी विद्यानुं स्पष्टीकरण ।
करवामां आव्युं छे.
लेखकः-एक ग्रॅज्युएट.
प्रसिद्धकर्ता वाडीलाल मोतीलाल शाह,
अधिपति अने मालिक समाचार' साप्ताहिक पत्र तथा 'जैनहितेच्छु' मासिक पत्र. व्यवस्थापकः 'सुविचार प्रसारक मंडल'.....
अमदावाद.. विक्रम संवत् १९६६-इ. स. १९१० ..... प्रथमावृत्ति- १५००
मूल्य ०-४-०
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श्री 'भारतबंधु प्रिण्टिंग वर्स'मां शाह पाहीलाल मोतीकाले छाप्यु.
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प्रस्तावना.
रु अने शिष्यना संवाद रुपे आ पुस्तकमां स्वर जेवा उपयोगी विषयतुं स्पष्टीकरण करवामां
आव्यु छे. आ ग्रंथ कोइ जैन शास्त्रमाथी सार ARE खंघीने रचायलो नथी पण उपनिषदोना आधारे एक विद्वाने लखेलो छे. शरीरसुखाकारी, संकटनिवर्तन अने ध्यान जेवी बाबतमां आ ग्रंथमांनुं ज्ञान घणुं उपयोगी थइ पडे तेम छे एम समजी गुजराती भाषामा त्हेने प्रगट करवानुं उचित धार्यु छे. वाचको जूदा जूदा धर्म अने जूदी जूदी मान्यतावाळा हशे; परन्तु तेओ दरेक जे वात पोताने उपयोगी लागे एटली ज ग्रहण करी बाकीनी वात पर आत्मक्लेश करवाना विचारथी दूर रहेशे तो विनामूल्य पुस्तको फेलाववाना साहसमां समायलो द्रव्यव्यय अने परिश्रम सफळ यो समजी ए साहसने वधारे आगळ खेंचवानुं बनी शकशे.
वा. मो. शाह. '-*
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स्वरशास्त्र.
शिष्यः – हे गुरुदेव ! मारा उपर कृपा करो भने जे ज्ञानथी सर्व बाबत जाणी शकाय ते ज्ञान मने जणावोः आ जगत क्यांथी उद्भव्युं ! ते केवी रीते टकी रहुं छे ? ते केवी रीते अदृश्य थाय छे ? आविवनुं तत्त्वज्ञान हे देव ! मने आपो.
गुरुः– आ विश्व पांच तत्त्वमांथी उद्भव्युं, ते पांच तत्वथी टकी रधुं छे, अने पांच तत्वमां अदृश्य-विलय थशे. आ तत्त्वोवढे ज बिश्वव्यवस्था जाणी शकाय छे.
शिष्यः -- तत्त्वोना ज्ञाता आ तत्त्वोने बधाना मूळरुप गणे छे; पण हे देव ! ते तत्त्वोनुं स्वरुप केर्वु छे, ते विषय पर प्रकाश पाडो.
गुरुः– अव्यक्त, निराकार, प्रकाश आपनार एक महान् शक्ति छे, मांथी प्रथम आकाश प्रकट थयुं अने ते आकाशमांथी वायु प्रकट थयो. वायुमांथी अग्नि उत्पन्न थयो, अग्निमाथी जल प्रकट थयुं, अने जळमांथी छेवटे पृथ्वी उद्भवी. आ पांच तत्वो छे.
आ पांच तत्वोथी जगत् प्रकट थयुं; भा पांच तत्वोथी जगत् टकी र छे; आ पांच तत्त्वोमां जगत् विलय पामे छे; अने करीथी तेज त 'वोमा जगत् प्रकट थाय छे.
शरीर पण पांच तत्वोनुं बनेलुं छे. हे शिष्य ! पांच तत्वो मनुsaना शरीरमां सूक्ष्मरुपे रहेलां छे. जेओ भा तत्वोना अभ्यास पाचक तथी मंडया रहे थे, तेभो ते सहधोने जाणी शके के.
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आ कारणथो हुँ प्राणायाम संबंधी तने कहीश; कारण के श्वासोच्छवासना ( स्वरना ) ज्ञानथो मागस त्रिकालज्ञानी बने छे.
आ स्वरशास्त्र गुप्तमां गुप्त रहस्य छे, कल्याणर्नु दीवनारुं छे, अने डाह्या पुरुषोना हाथमां रत्न समान छे.
आ ज्ञान सूक्ष्ममा सूक्ष्म छे, छतां सहेलाइथी समजाय तेवु छे. तेथी सत्यमां श्रद्धा थाय छे. ते अज्ञानोना मनमा आश्चर्य उत्पन्न करे , अने समजदाराने श्रद्धाना पायारुप थइ पडे छे.
जे मनुष्य शांत छ, शुद्ध छे, सद्गुणी छे, श्रद्धावान् छे, कृतज्ञी छे, • अने गुरुनो परम भक्त छे, तेवाने आ स्वरनुं ज्ञान आप, जोइए.
जे मनुष्य दुराचारी छे, अपवित्र छे, क्रोधी छे, असत्यवादी छे, - व्यभिचारी छे अने जे विषयासक्तिथी पुरुषार्थहीन बनेलो छे, तेवाने आ ज्ञान आप न जोइए.
ह शिष्य ! शरीरमा रहेलु ज्ञान सांभळ; जो ते बराबर समजवामां आवे तो तेथी सर्वज्ञपणुं थाय छे.
स्वरमां वेद अने शास्त्रो समाइ जाय छे, मोटा गंधर्वो स्वरमां आवी वसेला छे, त्रण भुवन' पण स्वरमा समाय छे, स्वर ए परब्रह्मर्नु प्रतिबिंब छे.
स्वरशास्त्रना ज्ञानविना जोशी, स्वामी विनाना घर जेवो, ज्ञान विना भाषण करनार जेवो अथवा तो माथा वगरना धड जेवो छे.
जे माणसने नाडीओनु, प्राणनु, तत्वन अने सुषुम्णानुं ज्ञान छे, ते । मनुष्यने मोक्ष मेळवतुं स्हेलुं छे.
ज्यारे स्वर उपर संपूर्ण सत्ता मळे छे, त्यारे ते मंगळकारी गणाय । छे. हे शिष्य ! स्वरशास्त्रनुं ज्ञानज मंगलसूचक छे *
आ विश्वना केटलाक विभागो अने मूळ तत्वो स्वरथी उत्पन्न थया छे. स्वर ए महानशक्ति छे; तेनामा उत्पन्न करवानी अने नाश करवानी शक्ति रहेली छे.
* आ वाक्यमां ज्ञान अने क्रियानो भेद बताववामां आव्यो छे. ज्ञान प्रमाणे किया थाय ता उत्तम छे; पण ते प्रमाणे न वाय तो पण ज्ञाननी बलिहारी छे.
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स्वरशास्त्र करतां वधार उडं ज्ञान, स्वरशास्त्र करता वारे उपयोगी दोलत, स्वरशास्त्र करतां वधारे निमकहलाल मित्र कदापि जोवामां के सांभळवामां आव्यो नथी.
स्वरशक्तिथी शत्रु नाश पामे छ, मित्रो एक बीजा प्रति आकर्षाय छे. स्वरशक्तिथी धन, आश्वासन अने कीर्ति प्राप्त थाय छे.
स्वरशक्तिथी पुत्री के पुत्र मळे छ, अथवा राजाने मळी शकाय छे; देवो पण ते शक्तिथी संतुष्ट थाय छे, अने राजा पण मनुष्यने वश थाय छे.
स्वरशक्तिथी गति करी शकाय छे. स्वरशक्तिथी खोराक लेइ शकाय छे. मूत्र अने पूरीषोत्सर्ग क्रिया पण स्वरनी शक्तिथीज थाय छे.
सघळां शास्त्रो, सघळो पुराणो, वेदांत अने उपनिषधी शरु करीने सर्व शास्त्रोमा स्वरज्ञान करतां वधारे उत्तम तत्त्व बीजं एक पण नथी.
सघळां नाम अने रुप छे; आमां भूल खाइ लोको आथडे छे. ज्यां सुधी मनुष्यो तत्वोने न जाणे त्यां सुधी तेओ अज्ञानमां भटके छे.
आ स्वरशास्त्र उच्चमा उच्च छे. आत्ममंदिरने प्रकाश आपवाने ते एक दीपक समान छे.
ज्यां सुधी कोइ सवाल न पूछे त्यां :सुधी आ के पेला माणसने आ स्वरशास्त्रनुं ज्ञान आपबुं न जोइए. माटे पोताना ज प्रयत्नथी आमामां अंने आत्माथी ज जाणवू जोइए.
___ ज्यारे आ स्वर उपर मनुष्यने संपूर्ण सत्ता मळे छे, त्यारे हे शिष्य ! चंद्र के दिवस, नक्षत्र के सूर्य, वार के ग्रह, .. देव के वरसाद, व्यतिपात के वैध्रत-आ सर्व तेना पर असर करी शकता नथी. पण सर्व बदलाइ तेने लाभरुप थाय छे.
शरीरमा नाडीओने घगा आकारो होय छे, अने घणी जग्याए फेलायेली होय छे. ज्ञानने खातर डाह्या पुरुषोए ते नाडीओने ओळ. खवी जोइए.
नाभिना मूळमाथी शरु करी भाखा शरीरमा ७२००० नाडीओ आवेली छे..
नाभिनी अंदर कुंडलिनी शक्ति सर्पनी माफक आवेली छे, त्यांची दश नाडीओ उंचे जाय छे, अने दश नाडीओ नीचे जाय छे..
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आमांनी बे नाडीओ एक बोजानी आडी आवेली छे. आ रीत नाडीओनी संख्या चोवीश थाय छे. मुख्य नाहीओ दश छे, अने तेमा दश प्रकारनी शक्ति काम करे छे.
. उंचे नीचे के वांको आखा शरीरमां प्राण तेमनी मारफते प्रकट भाय छे. शरीरमा चक्राकारे ते नाडीओ आवेली छे, अने प्राणने प्रकट थवामां ते आधारभूत छे.
__ आ बधीमा दश मुख्य छे, अने ते दशमां पण त्रण मुख्य छे:-इसरा, पिंगळा अने सुषुम्णा.
बीजी नाडीओनां नाम गंधारी, हस्ति जीह्ना, पूषा, यशस्विनी, आलम्बुषा, कुहू, शंखिनी अने दमिनी छे.
शरीरना डाबा भागमा इडा रहे छे; पिंगला जमणा भागमा रहे छे; सुषुम्णा वचमा रहे छे; गंधारी डाबी आंखमा रहे छे.
जमगी आंग्नमां हस्तिजीह्वा, जमणा कानमां पूषा, डाबा कानमां यशस्विनी अने मुखमां आलम्बुषा रहे छे.
लिंगमां कुहू, गुदामां शंखिनी रहे छे. आ प्रमाणे दरेक द्वारे एक नाडी आवेली छे.
इडा, पिंगळा शने सुषुम्णा प्राणना मार्गमां आवेली छे. आ दश नाडीओ शरीरमां दी जूदी रीते पथरायेली छे.
उपर प्रमाणे नाडीओनां नाम आप्यां; हवे हुँ शक्तिओनां नाम आपीश. ( ते शक्तिओ वायुरुपे छे ). तेओनां नाम (१) प्राणवायु (२) अपानवायु (३) समानवायु (४) उदान (५) व्यान (६) नाग (७) कूर्म (6) क्रिकिल (९) देवदत्त (१०) धनंजय. आ दश वायुमाथी प्राण छातीमा रहे छे. अपान गुदा भागमा रहे छे.
समान नाभि चक्रमा रहे छे. उदान गळामां रह छे, ब्यान आखे शरीरे व्याप्त छे. आ मुख्य पांच वायु छे.
प्रथमना पांच आपणे वर्गवी गया. बीजा पांच नागथी शरु थाय छे. तेओना नाम अने स्थान हुँ हवे आपुंछु.
हेडकी अथवा वरधनीमा नागवायु काम करे छे. आंखना उधारमींचवामा कूर्म नामनो वायु काम करे छे. भुखनु कारण क्रिकिल नामनो वायु छे. बगासु खावामा देवदस नामनो वायु उपयोगी थाय हे.
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सर्वव्यापी धनंजय तो मृत शरीरने पण छोडतो नथी. भा बधा वायु ज्यारे नारीभोमा .फरे छे त्यारे माणस जीवे के एम भापणने
शान थाय छे.
इहा, पिंगला अने सुषुम्णा नामनी मुख्यः त्रण नाडीओ वाटे स्वरनी केवी क्रियाओ थाय छे, ते सुज्ञ मनुष्ये 'जाणवा प्रयत्न करवो जोइए.
- शरीरना हाबा अर्धा भागमा इडा नाडीने जाणवी भने शरीरमा नमणा अधी भागमां पिंगला नाडीने भोळखवी जोइए. - इडा नाडीमां चंद्रनी स्थापना छ, भने पिंगलामा सूर्यनी स्यापना छे. सुषुम्णामां शंभुनी स्थापना छे. अंभु, हे हंस: (धास अने सच्चबासनो) नो भात्मा छे.
चंद्र शक्तिरुपे प्रगट थइ डाबी नाडीने वहेवरावे के अने सूर्य शंमु रुपे प्रकट थइ जमगी नाडीने वहेती करे .
डावी नासिकामां ज्यारे वायु म्हेतो होय त्यारे सुज्ञ पुरुषे करेलु दान आ जगतमा करोडगणुं वृद्धि पामे छे.
योगीए एक चित्तथी अने ध्यानपूर्वक पोताना मुख तरफ जोवू; अने सूर्य नाडी चाले के के चंद्र नाडी चाले छे, तेनी बराबर खात्री करवी.
ज्यारे प्राण शांत होय त्यारे योगीए तत्वोनुं ध्यान करवू; पण प्राण अशांत होय त्यारे कदापि ध्यान करवु नहि. जो आम करे तो तेनी इच्छा पार पडे, अने तेने घगो लाभ अने विजय प्राप्त थाय.
जे मनुष्यो अभ्यास पाडी चंद्र तथा सूर्य नाडीने पोतानी इच्छा प्रमाणे व्यवस्थापूर्वक चलावे छे, तेओने भूत अने भविष्यकाळचं ज्ञान . हस्तामलकवत् थइ रहे छे. ___ हावी नाडीमां ज्यारे प्राण होय त्यारे ते अमृत तुल्य गणाय छे. ते भाखा जगतने पोषण आपनार छे. गति आपनार विभाग जे जमणी नाही सेमा जगत्ना मनुष्यो जन्मे छे.
वचमा रहेली सुषुम्गा बहुज खरावरीते वर्ते छे, अने सर्व कार्यामा भशुभ गणाय के. दरेक प्रकारना मंगल कार्यामा हावी नाही बढ अर्पमार गणाय ,
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(<)
व्हार जवामां डाबी नाडी मंगलसूचक छे, अने अंदर आववामां जमणी नाडी मंगलकारी छे. चंद्र बेकी दर्शक छे अने सूर्य एक दर्शक छे.
चंद्र खी छे भने सूर्य पुरुष छे. चंद्र सुंदर छे अने सूर्य ( चंद्रनी अपेक्षाए ) काळो छे. ज्यारे चंद्र नाडी वहेती होय त्यारे सघळा शांति भ काम करai जोइए. सूर्य नाडी वहेती होय त्यारे बधा उग्र-तेजस्वी कार्ये करवां. पण सुषुम्णा नाडी चालती होय ते वखते तो एवां काम करवां के जेथी सिद्धिओ प्राप्त थाय अने मोक्ष पण मळे.
शुक्लपक्षमां चंद्र प्रथम आवे छे. अने कृष्ण पक्षमां सूर्य प्रथम आवे छे पहेला सोमवारथी शरु करीने त्रण त्रण दिवसने आंतरे नाडीओ बदलाय छे. एक दिवसनी साठ घडीओ छे, तेमां दर अढी घडीए सूर्य नाडी अने चंद्र नाडी बदलाय छे. दरेक घडीए पांच तत्व वहे छे. दिवसनी गणत्री प्रतिपदा एटले शुक्ल पडवेथी गणवी. जो आ नियममा फेरफार पढे तो असर पण विपरित आवे. शुक्ल पक्षमां डाबी : नाडी शक्तिमान् होय छे, अने कृष्ण पक्षमां जमणी नाही जोरथी वहे छे. शुद पडवेथी शरु करीने योगीए आ अनुक्रममां नाहीभोने लाववा प्रयत्न करवो.
जो सवारमा सूर्योदय वखत चंद्र नाडी चालती होय अने सूर्यास्त वखत सूर्य नाडी वहेती होय तो ते बहु लाभ आपनार गणाय. आधी उल होय तो परिणाम उलटं आवे.
आखो दिवस चंद्र नाडी वहेवा देवी जोइए, अने आखी रात्रि सूर्य नाडी वहेवा देवी जोइए. जे आ प्रमाणे नाडीओने वहेवा देइ शके के तेने खरेखर योगी ज जाणवो. चंद्र नाडीने सूर्य नाडीमां फेरवी शकाय, अने सूर्य नाडीने चंद्र नाडीमां फेरवी शकाय. जे मनुष्य आ ते त्रण ते एक नाडीमां चालता स्वरने बीजी नाडीमा फेरवी शके छे, भुवन उपर विजय मेळवे छे ( त्रण भुवनमां कोइ पण चीज तेना पर असर करी शके नहि. )
गुरुवार, शुक्रवार, बुधवार अने सोमवारना दिवसोमां अने खास करीने शुक्ल पक्षमां डाबी नाडी बधां कार्यामां विजय आपे छे.
रविवार, मंगळवार ने शनिवारना दिवसोमां अने खास करीने कृष्ण पक्षमां जमणी नाही सघळां दीप्त कार्यामा विजय आपे है.
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( ५ )
पांच घडिमां दरेक पीए घडीए एकेक तत्व अनुक्रमवार बदलाय छे.
दिवस अने रात्रिमा बार फेरफार थाय छे.
वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर अने मीन भा राशिमोमा चंद्रस्वर चाले के, एटले दावी नाही चाले छे.
मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धन अने कुंभ आ राशिभोमा सूर्यस्वर . चाले छे. एटले डाबी नाडी चाले छे.
आ उपरथी शुभ अशुभ फळनो निश्चय करी शकाय छे..
सूर्यन स्थान पूर्व अने उत्ता दिशा छ; अने चंदन स्थान पश्चिम अने दक्षिण दिशा छे. माटे डाबी नाडी एटले चंद्र स्वर चालतो होय त्यारे कोइए पूर्व के उत्तर दिशामा मुसाफरी करवी नहि.
पोतान कल्याण इच्छनारा सुज्ञ पुरुषोए उपर जणाव्या प्रमाणे मु. * साफरी करवी नहि. कारण के सेम करवाथी को तो दुःख के को तो
मरण निपजे छे. __ज्यारे शुक्ल पक्षमा चंद्र स्वर वहेतो होय त्यारे ते माणसने ते लाभदायी गगाय के. नम्र कार्यामां ते माणसने ज्या त्या सिद्धि मळे छे.
ज्यारे सूर्य नाही चालवी जोइए त्यारे चंद्र नाडी चाले अथवा तो चंद्र नाडी चालची जोइए त्यारे सूर्य नाडी चाले तो कलह कंकाश उत्पन्न थाय छे अने भय जागृत थाय छे भने सघळु शुभ काम नाश पामे छे.
___ ज्यारे सवारमा स्वर विपरित चाले एटले सूर्य स्वरने बदले चंद्र स्वर अने चंद्र स्वरने बदले सूर्य स्वर चाले त्यारे प्रथम दिवसे मना गभराट थाय छे, बोजे दिवसे धननुं नुकशान थाय छे, श्रीजे दिवसे मु. साफरी करवी पडे छे, चोये दिवसे इष्ट वस्तुनो विनाश थाय छे, पांचमे दिवसे कीर्ति के पदवीनी हानि थाय छे, छठे दिवसे सर्व वस्तुओनो
नाश थाय. छे, सातमे दिवसे रोग अने दुःख थाय छे अने आठमे दिवो. . मरण थाय छे..
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(१०) आठ दिवस सुधी लागलागर ऋणे वखते ( सवारे, बपोरे अने सांजे ) स्वर विपरित चालतो होय तो अवश्य तेनी असर माठी थाय छे. पण जो ते प्रमाणे न होय तो असर थोडी घणी सारी थाय छे *
ज्यारे सवारमा अने बपोरे ( मध्याह्न काले ) चंद्र स्वर चालतो होय अने संध्या समये सूर्य स्वर वहेतो होय तो जरुर विजय अने लाभ मळे छे. आथी उलटो स्वर होय तो ते दुःखना कारणरुप थाय छे. .
चंद्र स्वर चालतो होय त्यारे झेर नाश पामे छे. सूर्यस्वर समये कोइ पग शरीर उपर सत्ता मेळवी शकाय छे. सुषुम्णा नाडी चालती होय त्यारे मोक्ष मेळवी शकाय. एकज स्वर पिंगला, इडा अने सुषुम्णा नाडीरुपे परिगाम पामे छे.
ज्यारे आपणे कांइ काम करवा मागता होइए, अने ज्यारे योग्य . रघर न चालतो होय त्यारे कार्य तो न करी शकाय; तो पछी व्यापारी आ स्वाना आधारे केवी रीसे वर्ती शके ?
दिवसे तेमज रात्रे शुभ के अशुभ कार्यो थाय छे. ज्यारे जरुर पढे स्यारे नाडीने फेरबंधी जोइए अने योग्य बनाववो जोइए.
इडा.
. जे कार्यो लांबा वखत सुधी चाले तेवा होय तेवा कार्यामा, अलं- . कार पहेरवामां, दूर मुसाफरी जवामा, कोइ पग आश्रममा दाखल थवामा, धन एकहुं करवामां तथा
कूवा, तळाव अने सरोवर खोदाववामा, स्तंभ आदि स्थापवामां, वासग खरीदवामां, लग्नमां, वस्त्र झवेरात अथवा दागीना तैयार कराववामा
शांत अने पोषण करनारी दवाओ तैयार करवामा, पोतामा शेठ ( रवामी ) ने मळवामा, व्यापारमा, अनाज एकहुं करवामा तथा
* खाय रवानी असर तेना बळ उपर आधार राखे छे. धणे भागे तो आयु परिणाम आववानो संभव थाय छ; अथवा चिंता थाय छे..
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नवा घरमा प्रवेश करवामां, नवी जग्यानो चार्ज लेवामा, खेडवामां, बीज नाखवामा, मंगळ अने शांतिना कामोमा अने व्हार जवााः ___ एटला कामोमा चंद्र स्वर उत्तम छे.
वाचवाना कामनो आरंभ करवामां, सांस्नेहीमोने मळवामां, धर्म कार्यमां, धर्मगुरु पासेथी काइ अभ्यास शिखवामा, मंत्रनो जाप जपवार्मा, काळ ज्ञानना सूत्रो वाचवामां, ब्हारथी चोपगां जानवर घेर लाववामा, रोगनो उपचार करवामां, पोताना उपरीनी मुलाकात लेवामा, घोडा के हाथी उपर सवारी करवामां, बीजार्नु भलं करवामां, :थापण मूकयामा, गावामा, वाजोंत्रो वगाडवामा, गायनना सूरोन शास्त्र विचारवार्मा, कोइ गाम के शहेरमा प्रवेश करवामां अने राज्याभिषेका, रोगमा, शो. कर्मा, उदासीनतामा, तावा, मूर्छामां, पोताना हाथ नीचेना अथवा उपरी मनुष्यो साथे कॉन्ट्राक्ट करवामा, धान्य अने लाकडो एकठाँ करवामां, स्त्रीए शणगार सजवामा, वरसाद आवतो होय त्यारे, गुरुभक्तिमा, आटला कार्यामा, हे शिष्य ! चंद्रस्वर मंगळकारी छे. - योगाभ्यास जेवां महत्वनो कार्यों पण इडा नाडीमां-चंद्रस्वरमा थइ
शके छे. चंद्रस्वर चालतो होय त्यारे ममुध्ये आकाश अने तेज तस्वनो त्याग करवो जोइए.
- जो चंद्रस्वर चालतो होय तो सघळां मंगळकारी कार्यामां रात्रे के दिवसे लाभ थाय छे.
पिंगला.
सघळा दीप्त कार्यामा, कठग शास्त्रो शिखवामां के शिखववामा, व्हाण उपर मुसाफरी करवामां, सघळां खराब कार्यामा, अळ पीवामा, भैरव जेवा विक्राळ देवनो मंत्र जपवामा, शास्त्राभ्यासमां, जवामा, शि. कारमा, प्राणीओ वेचवामा, इंटो लाकडो पत्थर अने झवेरात महा महेनते मेळववामा, गायन कळानो अभ्यास पाडवामा, जंत्र तंत्र करवामा, उंची. जग्या के पर्वतपर चढवामा, जुगारमा, चोरीमा, हाथी के घोडाने केळवीने वस करवामां, नवा उंट भेंस हाथी के घोडा उपर स्वारी करवामां, झरो ओळंगवामां, दवामा के लखवामा, मलकुस्तीमा, मारवामा के गभराट करवामां, षट्कर्म करवामा, यक्षिनी, यक्ष, वेताल, भूत वगैरे
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(१२ ) तथा मेरी वस्तुओ उपर विजय मेळववामा, शत्रुतामा, मेस्मेरीसम (प्राणायाम)थो बोजाने बेभान करवामां, पोतानी आज्ञा प्रमाणे बोजाने चलववामा, कोइने कोइ पण बाबतमा खेचवामा, बुम के घेघाट करवामां, दानमा अने वेचवामा के खरीदवामा, तरवार साथे पटा खेलवामा, युद्धमा, राजाने मळवामां, खावामा, नहावामा, वेपारनी लेवढदेवामा, सख्त अने गरम कामोमाः आटला कामोमां सूर्यस्वर लाभकारी छे.
___ जम्या पछी तरतज जो सूर्य नाडी चाले तो ते मंगलकारी छे. ज्यारे सूर्य नाडी चालती होय त्यारे डाह्या पुरुषे सूह रहे. जे सघळां दीप्त कामो छे, जे कार्यों तेना स्वभावधीज क्षणभंगुर अने अस्थायी छे, ते सर्व सूर्य स्वरमा विजयवंत थाय छे. आ बाबतमा जरा पण शंका राखवा जेवू नथी.
सुषुम्णा . ज्यारे प्राण एक पळे एक नाडीमा चाले अने बीजी ज पळे बीजी नाडीमा चाले त्यारे ते स्थितिने सुषुम्णा कहे छे. ते सघळां कार्योनो नाश करनारी छे. ज्यारे सुषुम्णा नाडीमा प्राण चाले त्यारे ते चिता समान जाणवा. तेने 'विषुवत्' कहे छे अने ते सर्वनो नाश करनार गणाय छे. नाडीओ एक पछी एक चालवी जोइए, तेने बदले जो बन्ने नाडीभो एकज वखते चाले तो जेनी तेवी नाडी चालती होय तेने ते भय आपनार गणाय छे. एक पळे जमणी नाडीमा स्वर चालतो होय अने बीजी पळे जो ते स्वर बीजी नाडीमा चाले तो ते विसमभाव अथवा असाम्य स्थिति कहेवाय छे. हे शिष्य ! जाणवू जोइए के आवा स्वरन, धारेला करता तहन विपरित परिणाम आवे छे. ज्यारे बन्ने नाडीओ एकज वखते चाले . स्यारे ते स्थितिने सुज्ञ पुरुषो 'विषुवत्' कहे छे; तेवे वखते नम्र के दीप्त कार्य करवा नहि. कारण के बन्ने निष्फळ जशे. जीवता के मरतां, सवाल पूछवामा, आवक संबंधां अथवा देवा संबंधा, विजय के पराभव संबंधा दरेक बाबतमा 'विषुवत्' स्थिति होय त्यारे विरुद्ध अने अनिष्ट - परिणाम आवे छे. ते समये तो भगवाननु भजन करवू एज उत्तम मार्ग छे.
__ योग के ध्यान वगेरे कार्यों करी भगवाननुं स्मरण करवु. जे मनुष्यो विजय, आवक के शांति इच्छता होय तेमणे ते समये बीजु काइ पण कार्य करवू नहि. सुषुम्णा नाही चालती होय त्यारे आशीर्वाद यो के भाप चो पण बन्ने निष्फळ जवाना ए चोकस छे.
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( १३ )
एक पळे एक नसकोरामा पवन चालतो होय अने बीजी क्षणे बीजा नसकोरामा पवन चालतो होय तेवी विसमभाव स्थितिमा कोइए मुसाफरी करवानो विचार करबो नहि. कारण के तेम करवाथी दुःख के मृत्यु जरुर नीपजे छे. नाडी बद्दलाय के तत्व बदलाय तो दान वगेर मंगलकारी कहि पण शुभ काम करतुं नहि.
सम्मुख, डाबी बाजुए अने उंचे चंद्र छे; पछवाडे, जमणीबाजुए अने नीचे सूर्य छे. आ प्रमाणे सुज्ञ मनुष्योए “भरेलु” अने “खाली" ए शब्दनो अर्थ बराबर समजवो जोइए.
जे खबर आपनार दूत उंचे, सन्मुख के डाबी बाजुए होय से चंद्रमा मागे छे अने जे नीचे, पछवाडे के जमणी बाजुए होय ते सूर्यना मार्गमा छे.
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तो.
शिष्ये कः - हे महान् देव ! तमे एवं ज्ञान धरावो छो के जे ज्ञानमुं रहस्य जाणवाथी आखुं जगत् मुक्त थइ शके; ते ज्ञान शुं छे ते मने जणावो.
गुरुः- स्वरज्ञानमा रहस्य सिवाय बीजो कोइ देव नथी. जे योगी, स्वर शास्त्र बराबर समजे. ते मोटामां मोटो योगी समजवो.
पांच तत्वोमाथी सृष्टिमी उत्पत्ति थाय छे, अने तत्व तत्वमां विलय पामे छे. पांच तस्वनुं ज्ञान ए उंचामां उंचु ज्ञान छे. आ पांच तत्वोनी पेलीपार अरूपी तत्व (आत्मा) वसे छे.
पृथ्वीतत्व, जळतत्व, तेजस्तत्व, वायुतत्व अने आकाशतत्वः ए पांच तत्व छे, सकुं आ पांचतत्वोनुं बनेलुं छे. जे आ पांच तत्वोने यथार्थ जा ळे ते खरेखर पूज्य छे, वंदनीय छे.
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जगतनां सघळां प्राणीओमा सर्वस्थळे तत्वो एक सरखां छे. जगतथी सत्य लोक सुधी फक्त नाडीओना चक्रमां फेर के.
जमणी तेमज डाबी बाजुएथी आ पांचतत्वोनो उदय थाय छे.
आ तत्वोनुं ज्ञान आठ प्रकारर्नु छे. हे शिष्य ! से तुं सांभळ; हुं तने से कहीश.
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( १४ )
प्रथम तस्वनी संख्यानु ज्ञान; बीजुं स्वरनी साथै तत्वना संयोगनुं ज्ञान, श्रीजुं स्वरना चिह्ननुं ज्ञान; चोथुं तत्वना स्थाननुं ज्ञान; पचिमुं तत्वना रंगनुं ज्ञान; छटुं प्राणनुं ज्ञान; सातमुं तेभोना रसनुं ज्ञान; आठमुं तेभोना आंदोलनं ज्ञान.
सूर्य स्वर, चंद्र स्वर अने विषुवत् स्वर संबंधी आ आठ प्रकारनी बातमी सांभळ. हे शिष्य ! स्वर करतां उंचुं कोई तत्वज आ जगतमा नथी.
वखत जतां दृष्टिजोवानी शक्ति जागृत थाय त्यारे प्रयत्नथी जोवुं जोइए. योगीओ काळने छेतरवाने अर्थ उद्यम करे छे.*
मनुष्ये पोताना बे कान अंगुठा वडे, नसकोरां वचली आगळीओ वढे, म्हे! छेल्ली अने ते अगाउनी ( अनामिका ) वढे अने आंखो अंगुठानी जोडेनी (तर्जनी) वती बंध करवी.
आ स्थितिमां घणे भागे तत्वो धीमे धीमे पीळा, धोळा, राता, वादळी अने बीजी कोइ पण जातनो उपाधि वगरना बाघा डावा वाळ मालूम पडता जशे.
चाटलामा जोइ तेनापर आपणो श्वास फेंकवो; अने आ प्रमाणे आकार उपरथी तत्वोने ओळखता शिखवं जोइए.
चोरस आकारना, अर्ध चंद्राकार, त्रिकोणाकार, गोळाकार अने बाघा डावावाळा अनुक्रमे पांच तत्वोना आकार छे.
प्रथम पृथ्वी तत्व वचमां वहे छे; बीजुं जळ तत्व नीचे वहे छे; श्रीजुं अग्नि तत्व उंचु वहे छे; चोधुं वायु तत्व अमुक काटखुणे वहे छे; अने आकाश दरेक बेनी बच्चे वहे छे.
* आ शब्दो बहु विचार करवा लायक छे. कर्म प्रमाणे मनुध्यने सुख दुःख आवे छे. अने घखत जतां कर्मनो उदय थाय छे त्यारे, अमुक प्रकारना सुखना के दुःखना संजोगो हयातीमां आवे छे. पंण योगी तो योगाभ्यासथी शरीरनां तत्वो पर काबु मेळवे छे, अने रोगनां जे बीज प्रकट थर्ता अने नाश पामतां घणो वखत लागे ते बीजने एक क्षणम पकवीने काढी नाखे छे. जैन परिभाषामा आ क्रियाने ' उद्दीर्णा' कहे है.
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पृथ्वी तत्व पीळ छे, जळ तत्व धोळ छे, अनि रातु छे, वायु आकाशना से, भूरु छे, अने आकाशमा परेक रंगना पडछाया पडे छे.
प्रथम वायु तत्व वहे छे, बीजं तेजस्तत्व वहे छ, त्रीजु पृथ्वी तत्व वहे छे, चोथु जळ तत्व वहे छे.
बे खभानी वचा अग्नि तत्व आवेलुं छे, नाभिना मूळमां वायु तत्व रहेलुं छे, घुटगमा जळ तत्व वसे छे, पगमा पृथ्वी तत्व आवेलं छे. अने माथामा भाकाश तत्व वसे छे.
पृथ्वी तत्वनो स्वाद मीठो छे, जळ सत्वनो कटु छे, तेजनो तीखो छे, वायुनो आम्ल छे, अने आकाशनो कडवो छे.
- वायु तत्व आठ आंगळ पहोळ वहे छे, अग्नि चार आंगळ, पृथ्वी बार आंगळ, जळ सोळ आंगळ पहोळु वहे छे.
वायुनी उर्ध्व गति मरण लावे छे, नीचि गति शांति तरफ कोरे छे, काटखुगानी गति बेचेनी उपजावे छे, मध्य गति सहनशीलता प्रे छे अने आकाश तो सर्वने समान छे.
पृथ्वी तत्व वहेतुं होय त्यारे लांबा समय सुधी चाले तेवां कामो करवां, जळ तत्व वखते दररोजनां कामो करवां, तेजस्तत्व चालतुं होय त्यारे सख्त अथवा दीत कामो करवां. मारनारा लोको वायु वखतनो लाग साधे छे. ... पण आकाश तत्व चालतुं होय त्यारे तो योग वगेरेना अभ्यास सिवाय बोजु कांह पण काई करवु नहि; कारण के ते स्थितिमा बीजा कार्यानुं फळ आवशे नहि.
' पृथ्वी अने जळ तत्वमा विजय मळे छे. तेजस्तत्वमा मरण थाय छे, वायु तत्वमा घटारो थाय छे. अने तत्वना जाणकार लोको जणावे छे के आकाश तत्व तो तद्दन निरुपयोगी छे.
पृथ्वी तत्वमा लाभ बहु मोडो :मळे, जळ तत्वमा लाभ तरत ज आवे, तेजस्तत्वमा अने वायु तत्वमा नुकशान थाय, अने आकाश तो निरर्थक गणवं.
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( १६ ) पृथ्वी तत्व पीळा रंगनुं होय छे, तेनी गति धीमी होय छे, ते ववमां वहे छे, अने छेक 'स्टेर्नम ना छेडा सुधी पहेचि छे, तेनो भवाज भारे होय छे, अने ते थोडं गरम होय छे. ते लांबा काळ सुधी टकी शके सेवा काममा विजय आपे छे.
जळ तत्व धोळा रंगनुं होय छे, तेनी गति उतावळी होय छे, नीचे वहे छे, ते सोळ आंगळ नीचे छेक नाभि ( हुंटी) सुधी वहे छे, तेनो अवाज भारे होय छे, भने ते ठंड होय छे. ते मंगळकारी कार्यामां विजय अर्पे छे.
तेजस्तत्व (अतित्व ) राता रंगनुं होय छे, ते उंचे वहे छे, ते चक्राकारे वहे छे, हडपवीथी मीचे चार आंगळ सुधी ते वहे छे, अने ते बहुज गरम होय छे. ते सख्त कार्योते जे कार्योमा जुस्सो प्रधान पद भोगबतों होय तेवां कामोने-जन्म आपे छे.
वायु तत्व आकाश जेवा भूरा रंगनुं होय छे, ते काटखुणे बहे छे. से गरम पण होय अने हुं पग होय. ते क्षत्रिक कार्योर्मा विजय आपे छे. । आकाश तत्व ए सघळा तत्वोनी सामान्य सपाटी रूप छे. सघळ तनुं प्रतिबिंब तेमां पडे छे. ते योगीने योग साधवामां मददगार थाय छे.
पृथ्वी तत्व पीळा रंगनुं, चोरस आकारनु, मीठा स्वादनुं, मध्यम बहेतुं, अने सुखने आपनाएं होय छे; अने ते बार आगळ मीचे बहे छे.
जळ तत्व धोळा रंगनुं, अर्ध चंद्राकारनुं, कटु स्वादनुं, नीचे बहेतुं अने लाभने आपनारुं होय छे; अने ते सोळ आंगळ वहे छे.
वायु तत्व भूरा रंगनुं, गोळाकारनु, आम्ल (खाटा ) स्वादनु काटणे वहेतुं, मुसाफरीने सुचवतुं होय छे ते आठ आंगळ वह छे.
सघळा रंगोना प्रतिबिम्ब रूप, कानना आकारनुं, कडवा स्वादनुं, सर्व स्थळे वहेतुं, मोक्षने आपना आकाश तत्व छे, पण भा तत्व सघळ सांसारिक कामोने वास्ते तद्दन निरुपयोगी है.
पृथ्वी अने-जळ तत्व मंगळकारी छे, तेजस्तत्वनुं फळ मध्यमसरनुं आवे छे. आकाश अने वायु अमंगलकारी के अने नुकशान के मरण करावे
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जळतत्व पूर्वमा ले, पृथ्वीतत्व पश्चिममा छे, बायु उत्तामा छे; तेज. स्तत्त्व दक्षिगमा अने आकाशतत्त्व मध्यमों छे..
पृथ्वीतत्व के जळतत्वमा चंद्ररवा चालतो होय तो अघळो नम्र कार्यामा विजय म छे. अग्नितत्वमा सूर्यस्वर चालतो होय तो सघना दीत कार्यामां लाभ मळे हे.
पृश्वीतत्व विवो लाभर्नु कारग थाय छे. जळतत्व रात्रिए लाभन कारण थाय छे. तेजस्तत्व मरणर्नु कारण बने छै. वायुतत्वमा घटारोनुकशान थाय छे. अने आकाशतत्व फेटलीकवार बाळे हे.
जोववानी योग्यतामां, पत्तेह मेळववामी, आपकमरे, खेतीमों, ( केटलाकना मत प्रमाणे भोग भोगववामा) धन एकहुं करवामा, मंत्रनो अर्थ समजवामां, लडाइ संबंधी सवाल पूछवामा, जवा आचयामाः एरला कामोमा जळतत्वमा लाभ म छे.
पृथ्वीतत्वमा मंगळवारी कार्य होय त्यांन त्यो पही रहे थे; वायु तत्वमा ते बीने जतुं रह छ; अने आकाश के तेजस्तत्वमा तो माग के नुकशान थाय छे.
पृथ्वीतत्वमा मूळीनो विवार ‘आवे छे अने जळ वायुतत्वमा जीवतो प्राणीओनो विवार आवे छे. तेजस्तत्वमा खनीज पदार्थको विवार उद्भवे छे. आकाशमा शून्य अथवा काइ पग विवार उठतो नथो.
पृथ्वीतत्वमां मनुष्य घगा पगवाळां जानवरोनो विचार करे छे, जळ अने पायुतस्वमो के पगां प्राणीनो अने तेजस्तस्वमा चोपगांनो अने आकाशतत्वमा पग रहितनो विचार थाय छे.
सूर्यस्वा चालतो होय त्यारे मंगळ ते अग्नितत्व है, रवि ते पृथ्वी __ तत्व थे, शनि ते जळ तत्व छ, राहु ते वायु छे. . चंद्रस्वा यालतो होय त्यारे चंद्र ते जळतत्व छे, गुरु से पृथ्वी तत्व छे, बुध ते वायुतत्व , शुक्र ते तेजतत्व है. *
* आवो मत केटलाएक विद्वानोनो थे, पग आ लेखकनो तथा महान ज्योतिवेत्ता बराहमिहिरनो अभिप्राय आ पछोना रेग्राफ.मां आपघामां आवेलोछे.
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( १८ )
गुरु ते पृथ्वीतत्व छे; चंद्र अने शुक्र ते जळतत्व में सूर्य अने मंगळ ते तेजस्तत्व छे; राहु, केतु अने शनि ते वायुतत्व छे; अने बुध ते आकाशतत्व है.
पृथ्वीतत्व चालतुं होय त्यारे कोइ सवाल पूछे तो कहने के ते पृथ्वी संबंधी (मूळ संबंधी ) छे; जळतत्वमां जींदगी संबंधी है; तेजस्तवमा खनीज पदार्थ संबंधी छे; अने आकाशतत्त्वमां कांइ पग संबंधी नथी.
पृथ्वी अने जळतत्वमां (1) सुख (२) वृद्धि (३) प्रेम (४) खुशमीजाज (५) विजय भने (६) हास्य बने थे.
तेजस्तत्व अने अग्नितत्वमां (७) कर्मेन्द्रिओनी काम करवानी अशक्ति (८) ताव, (९) कम्प, (१०) परदेशगमन आटली कामो बने छे.
आकाश तत्व, (११) निस्तेजपणुं अने ( १२ ) मरण निपजे छे. आ बार बाबतो चंद्रनी जूदी जूही स्थितिओ के.
पूर्व, पश्चिम, दक्षिण : अने उत्तर दिशामां पृथ्वीतत्व, जळतत्व, तेजस्तत्व अने वायुतत्व मुख्य होय छे; माटे ते प्रमाणे जवाब आपवो.
हे शिव्य ! आ शरीर पृथ्वी, जळ, तेजस्, वायु अने आकाश ए पांच महाभूतनुं बनेलं छे, एम जागवुं.
1. ब्रह्मविद्या जगावे छे के- शरीरमा हाडकां, स्नायु, चामडी, नाही अने वाळ आ पांच पृथ्वीतत्वना विभाग छे.
ब्रह्मविद्या जगावे छे के: वीर्य, रजस्, चरबी, मूत्र, अने थूक आ पांच जळतत्वना विभाग शरीरमां
ब्रह्मविद्या जणावे छे के:- भूख, तरस, उंघ, प्रकाश अने सुस्ती आ पांच तेजस्तत्वना विभाग शरीरमां छे.
ब्रह्मविद्या जगावे छे के:-दूर कर, चाल, संघ, संकोचानुं भने
विकरवर थ आ पांच वायु तत्वना विभाग शरीरमां छे..
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( १९ )
ब्रह्मविद्या जगावे हे के:-मेळववानी इच्छा, दूर करवानी इच्छा, शरम, भय अने विस्मृति आ पांच आकाशतत्वना विभाग छे.
पृथ्वीने पांच गुण छे, जळने चार, तेजस्ने त्रग, वायुने बे अने आकाशने एक गुण छे. तत्व संबंधी ज्ञाननो आ एक अंश छे.
पृथ्वीतत्वनुं वजन ५० पळ छे, जळतत्वनुं ४० पळ छे, तेजस्तत्वनुं ३० पळ छे, वायुंनु २० पळ छे अने आकाशनं १० पळ छे. पृथ्वीतत्वमां लाभ मळतां वार लागे छे, जळतत्वम तरत मळे छे, वायुतत्वमां थोडो लाभ मेळे छे, अतित्वमा तो हाथम भावेलु पंग नाश पामे छे.
धनिष्ठा, रोहिणी, ज्येष्ठा, अनाराधा, श्रावणं, अभिजित् भने उतराषाढा - आटली नक्षत्र पृथ्वीतत्व सूचये छे.
भरणी, कृत्तिका, पुष्प, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वभाद्रपदा अने स्वाती आटलो नक्षत्र तेजस्तत्वं सूवर्क है.
पूर्वाषाढा, आश्लेषा, मूल, आर्द्रा, रेवती, उत्तराभाद्रपदा अने शतभिषज-आटला नक्षत्र जळतत्व सूचक छे.
विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, पुनर्वसू, अश्विनी, मृगशीर्ष आटला नक्षत्र वायुतत्वने सूचवे छे.
आपणी पूर्ण नाडी तरफ उभा रहीने पूछवा भावनार में शुभ के अशुभ बाबत संबंधी आपणने पूछे छे ते तेमज बने छे. खाली नाडी तरफ उभो रहीने पूछे तो तेथी उलटं परिणाम आवे छे. *
नाडी पूर्ण होय पण ओो तत्व अनुकूल न होय तो विजय मळतो नथी. तत्वनी साधे अनुकूळ होय त्यारे ज चंद्रस्वर के सूर्यस्वर 'विजय आपे छे.
रामने मंगळसूचक तत्वमां ज विजय मळ्यो हतो भने अर्जुनने पण सेमज थयुं हतुं. प्रतिकूळ तत्वने लोधे ज कौरवो युद्धमा मार्या गया हता. पूर्व
* जे नाडीमांथी वायु नोकळतो होय ते 'पूर्ण' नाडी समजवी अने जे नाडीमांथी वायु न नीकळतो होय ते 'खाली' जाणवी.
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( २० )
. भवमा मेळधेली झडपथी ( पूर्व भवना संस्कारथी) अथवा गुरुकृपायों,
मनने पवित्र राखवानी रेव पालीने आ तत्वनुं ज्ञान टुंक वखतमा मेळवी शकाय छे.
पांच तत्त्वो परनुं ध्यान. पृथ्वीतत्वने चोरसे आकारन, पीळा रंग, मीठा स्वाइनु, तमारा . शरीरनो रंग सुवर्ग जेवो शुद्ध बनावतुं, शरीरने रोगथी मुक्त अने हल' करतु कल्पी तेनापर · लम् ' शब्दथी ध्यान करो.
__ अळतत्वने अर्धचंद्राकारर्नु, चंद्र जेQ धोलु, भुख अने तरस सहन करवानी शक्ति आपनाएं, अने जळमा डुबकी मारी होय तेवा प्रकारनी लागमी उत्पन्न करतुं कल्पी तेना पर 'वम् ' शब्दथी ध्यान करो.
तेजस्तत्वने त्रिकोण आकारर्नु राता रंगर्नु, घणो खोराक अने पाणी पचाववानी शक्ति आपतुं, अने सख्त अग्निनो ताप सहन करवानुं बळ आपतुं कल्पी तेनापर ' रम्' शब्दथी ध्यान करो...
वायुतत्वने गोळ आकारनु, आकाश जेवा भूरा रंगर्नु, अने आ
काशमा जवानी अने पक्षीनी माफक उडवानी शक्ति आपतुं कल्यी तेना (यम् ) पर धम् शब्दथी ध्यान करो.
आकाशतत्वने आकार वगरनु अनेक रंगोना प्रतिबिंब ग्रहण करतुं, "त्रिकाळ ज्ञानने अने अणिमा, लघीमा वगेरे योगनी आठ सिद्धिोने आपतुं, कल्पी तेनापर 'हम्' शब्दथी ध्यान करो.
. स्वरशास्त्रना, यथार्थ ज्ञान करता मोटुं धन आ जगतर्मा बीजं एक पण नथी. स्वरशास्त्रने बराबर जागनार बहु धांधळ शि
काय सारं फळ मेळवे छे. .. शिष्ये पूछयु:-हे गुरुदेव ! हे सुखदाता ! स्वरोदयतुं ज्ञान उसमा : त्तम छे; पण तेथी त्रिकाळ ज्ञान शी रीते थइ शके ? ... गुरुए जवाब वाळ्योः-हे शिष्य ! आ त्रिकाळ ज्ञान छे ते नाचना अण बाबतोने लगतुं . .
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(२१ ) (१) धन (२) लडाइमां विजय (३) कार्यनुं शुभाशुभ फळ.
तस्वोने लीधे ज कोइ पग कामर्नु सार के माटुं परिणाम आवे छे; तत्वोने लीधे ज विजय के पराभव थाय छ; अने तत्वोने कीधे ज धन पुष्कळ के ओछु म छे. आ तत्वो ग रुपमा प्रकट थाय छे.
शिष्यः-हे देव : आ संसाररुपी मोटा समुद्रमा मनुप्यनो मित्र भने मगार कोग छे ?
गुरु:-प्राण एज मोटो मित्र छ; प्राग एज मोटो मददगार छे. हे शिज्य : प्राग करता वधारे सारो बीजो कोइ मित्र नथी.
शिष्यः-प्रागनी शक्ति शरीरमा केवी रीते रहेली छे ? शरीरमा प्राण देखाय छे ए शुं ? प्राण तत्वोमा कार्य करी रहेलो , सेने योगीओ शी रीते जाणे छे ? - गुरुः–शरीररुपी नगरमा प्राण ए मोटो रक्षणकर्ता छे; ज्यारे प्राण अंदर जाय छे स्यारे तेनी लंबाइ दस आंगल होय छे; ज्यारे से व्हार . नोकळे छे त्यारे तेनी लंबाइ बार आंगळ थाय छे. .
चालती वखते ते २४ आंगळ थाय छे; दोडती वखते ४२ आंगळ थाय छे. मैथुन समये ते ६५ आंगळ थाय छ; अने उघमा १०० आगळ थाय छे.
हे शिष्य ! प्रागनी साधारण लंबाइ १२ आंगळ छे. खाकामा भने बोलवामा ते वधीने १८ आंगळ थाय छे.
जो प्राण एक आंगळ ओछो थाय तो तेना परिणामे मनुष्य तृष्णाभोथी छुटे छे; जो बे आंगळ ओछो थाय तो शरीरमा भानंद न्यापे;
भने जो अग आंगळ ओछो थाय तो कवित्व शक्ति प्रकट थाय छे. ... जो प्राग चार आंगळ ओछो थाय तो वक्तृत्व कळा प्रकाये है, जो पांच आंगळ ते ओछो थाय तो अंतरनी दृष्टि खुलवा मांडे के जो छ आगळ ओछो थाय तो मनुष्य उंचे उही शके छे; जो सात भांगळ प्राण ओशो थाय तो ते घणी ज त्वराथी धारे त्या जइ शके छे..
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... (२२) जो प्राग आठ भौगळ ओछो थाय पटले फक्त चार ओगळ हे नो अगिमा वगैरे योगनीं आठ सिद्धिओ ते मेळवे छे. जो नव आंगळ ओछो थाय तो नवनिधिओ तेना हाथमा आवी बेसे छे. जो प्राण दर्श आंगळ ओछो थाय तो दश आंकडा तेना हाथमा आवे छे, अर्थात् गमे सेवा हिसाबो एक क्षगमा ते गगी शके छे. ज्या अगोआर आंगळ प्राग भोटो थयो त्यारे तेना शरीरनी छाया पाती बंध थाय छे.
___ अने ज्या बारबार आंगळ प्रागं ओछो थइ गयो त्यो तो श्वास अने उच्छवासमा ते मनुष्य अमृत ज पीए छे. ते वखते छेक नख सुधी प्राग तेना शरीरमा व्यापी रहे थे, तो पछी खोराकनी तेने जरुर ज क्या रही ?
प्राग संबंधी आ महा गुप्त नियम छे. गुरु पासेथी ज ते मेळवी शकाय. हजारो सायन्सो के शास्त्रो अवलोकतां पग ते मळी शके नहि.
जो नशीबजोगे चंद्रस्वर सवारमा अने सूर्यस्वर संध्या समय शरु न थाय तो तेओ घणुं करीने मध्यान्ह भने मध्य रात्रि पछी अनुक्रमे शरु थाय छे.
युद्ध. दूर देश साधेना युद्धमा चंद्रस्वर मंगलकारी छ; अने पासेना देश साथैनी लडाइमां सूर्यस्वर मंगळकारी छे. चालती वखते प्रथम जे पग उपाउवामां आवे ते तरफनी नाडी वहेती होय तो अवश्य वि. जय मळे छे.
मुसाफरी करवामां, लग्न प्रसंगे, कोइ शहेरमा प्रवेश करवामां अने सघळां मगळकार्यामां चंद्रस्वर विजयकारी छे.
पोताना लश्करने पूर्ण नाडी तरफ अने शत्रुना लश्करने खाली नाडी तरफ उभु राखीने अनुकूळतत्व प्रमाणे मनुष्य आखी दुनिआने जीती शके. . . . . . . .
. . . जे बाजुए नाडी वहेती होय ते बाजु उपर उभा रहीने लडवानो - पोताना शत्रुओने हुकम आपवो. आम करवाथी, सामो इन्द्र आन्यो
होय तो पण जरुर विजय मळे.
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जो लडाइ संबंधी कोइ प्रभ पुछे, अने जो ते पूछनार पूर्ण नाही तरफ उभो होय तो जरूर ते विजय पामवानो; पग जो ते खाली नाही तरफ उभो होय तो अवश्य ते पराभव पामे.
पृश्योतत्व जगावे छे के पेटमां घा पडेलो छे; जळतत्व पगर्मा, अग्नितत्व जांधा, वायुतत्व हाथमा अने भाकाशतत्व माथामा घा पडया जगावे छे. आ पांच प्रकारना घा स्वरशास्त्रमा वर्गवेला छे.
जेना नामना अक्षर बेकी (बे, चार, छ के आठ ) होय ते जो चंद्रस्वामां सवाल पूछे तो ते जरूर विजय भेळवे छे. जेना नामना अक्षर एको ( एक, ग, पांध के सात ) होय ते जो सूर्यस्वरमा प्रश्न पूछे तो ते जरुर विजय भेळवे छे.
जो पंद्रस्वरमा सवाल पूछवामां आवे तो ते सवालनो शांतिमा अंत आवे छे, अने जो सूर्यस्वरमा पुलवामां आवे तो अवश्य लडाइ थाय.
पृथ्वीतत्त्वमा युद्धमा बन्ने पक्ष सरखा उतरशे; जळत-स्वमा परिणाम सरखं आवशे. तेजस्त-त्वमा हार-पराभव थशे. वायु अने आकाशतत्वमा मरग थशे.
जो कदाच कोइ कारगथी कइ बाजुनी नाडी वहे छे, ते बाबतनी बराबर सवाल व खते सजग न पडे तो डाह्या मनु ये आ नीनी युक्तिनो आश्रय लेवो. _ शांत अने स्थिर बेसवु, अने पोताना तरफ बीजाने एक पुष्प ना. खवा जगाववू; जरुर ते पुष्प पूर्ण नाही तरफ पहशे. पछी तेणे सामा पुरुषने जवाब आपवो.
- आ के बीजे स्थळे स्वरशास्त्रना नियमोनो जाणनार प्रबळ शक्तिमान् गगाय छे. तेना करतां वधारे समर्थ बीजो कोण होइ शके ? '
'शिष्ये पूछयुः-ज्यारे मनु यो माहोमांहे लडे त्यारे तो उपर जगा. वेला नियमो ला। पडे, पण मनु यो ज्यारे यम साथै लडे त्यारे विजय शी रीते प्राप्त थाय ? .
गुरुः–ज्यारे प्राण शांत होय त्यारे चंद्रत्वरमा इष्ट देवनी स्तुति करवी, अने ज्यारे बन्ने प्राण मळे एटले के सुषुम्ना नाडी चालती होय त्यारे तेणे मरवू जोहए. जो आ प्रमाणे से करी शके तो तेनी इच्छा प्रमाणे लाभ अने विजय ते मेळवी शके छे.
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( २४ )
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वर्ष.
चैत्र सुद पडवे * दिवसे तत्वोर्नु पृथक्करण करीने सूर्यनी उत्तर तथा दक्षिग तरफनो गति डाह्या योगीए जागवी जोइए.
जो चंद्रस्वर वखते पृथ्वी, जळ के वायुतत्वमो योग होय तो पु. प्कळ धान्य पाके छे.
- जो आकाश अने वायुतत्व बहेतुं होय तो भयंकर दुःष्काळ आवे छे. आ काळy माहात्म्य छे. आ प्रमाणे वर्षमा, महिनामा के दिवसमा काळनुं शुं परिणाम आवशे ते जगाइ आवे छे.
सघळा सांसारिक कार्यामा अशुभ गणाती एवी सुषुम्णा नाडी जो ते वखते चालती होय तो देशमा गभराट थाय; राज्यनी उथलपाथल थाय, अथवा राज्यने भय थाय, मरकी अने बीजा अनेक रोगोनो उपद्रव याय.
ज्यारे सूर्य इ--मां जाय, स्यारे योगीए स्वरखें ध्यान करवू, अने ते वस्त्रते चालतुं त-त्व जोइने आखा वर्षतुं फळ अथवा भाव कहेवा. भाखं वर्ष, महिनो के दिवस लाभकारी थशे ए, पृथ्वी वगेरे त-स्वथी जणाय छे. अने ते सर्व खराब नीकलशे ए, वायु के आकाशतत्वथी जगाय छे.
जो ते दिवसे पृथ्वीत-त्व चालतुं होय तो राज्यमा सुख अने. वै. भव पुष्कळ थशे, पृथ्वीमा धान्य पुष्कळ पाकशे, अने ज्या त्या शांति • अने सुख व्यापी रहेशे.
जो जळत-त्व चालतु होय तो पुष्कळ वरसाद वरसशे, पुष्कळ धान्य पाकशे, कोइ पग बाबतनी तंगी पडशे नहि, ज्या त्या शांति प्रसरशे अने खेतो पाकथी उभराइ जशे.
जो अग्नित-त्व चालतुं होय तो दुकाळ पडे, राज्यनी उथलपाथरू थाय, अथवा ते संबंधी भय थाय, भयंकर मरको वगेरे रोगो थाय अने. अम बने तेम ओछो यरसाद वरसे.
जे वखते. सूर्य--नक्षत्रमा जाय त्यारे जो वायुत-स्व चालतुं होय तो. अकस्मातो, गभराट उपजावे तेवा बनावो, दुकाळ, भोछो वासाद अने छ प्रकारनी इतिओ ( उपद्रवो) थाय..
* आ दिवसे विक्रमादित्यमा संवत् वर्षनो आरंभ थाय छे. ...
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( २५ )
जो ते बखते आकाशतत्व चालतु होय तो धान्यनी तंगी पडे अने शांतिनो अभाव थाय.
जो योग्यस्वर att होय अने योग्यतत्व चालतु होय तो सर्व प्रकारनो विजय मळे छे. जो चंद्र अने सूर्यस्वर प्रतिकूळ चालतां जगाय तो ते वर्षने माटे अनाज भरी राखवुं.
जो अग्नितत्व चालतु होय तो कीमत एक सरखी रहेशे नहि. जो आकाशतत्व चालतुं होय तो दुकाळ लांबो काळ चालशे. माटे वस्तुओ भरी राखवी. ते पछी बे मास पछी कीमतम वधारो जरुर थशे.
ज्यारे चंद्रस्वर बदलाइने सूर्यस्वर थइ जाय त्यारे भयंकर रोगोने ते जन्म आपे छे.
जो आकाश अने चायुतत्व जोडे अग्नितत्व चाले तो आ पृथ्वी
नरक समान थइ जाय.
तत्वोनी समानतानो नाश थवाथी रोग थाय छे, अने दरेक तत्वने लगता रोग होय छे.
रोग.
पृथ्वीतत्वमा पृथ्वीने लगतो रोग थाय छे, जळतत्वमां जळने लगतो, अग्नितत्वमा अग्निने लगतो अने वायु के आकाशमा वायु के आकाशने लगतो रोग याय छे.
जो दूत ( सवाल पूछनार ) प्रथम आपणी खाली नाडी तरफ . आवे अने पछी आपणी पूर्ण नाडी तरफ बेसे तो जेना संबंधां ते सवाल पूछवा आव्यो होय ते मरणनी मूर्छामाँ कदाच पडयो होय तो पग जरुर जीवे.
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* ज्यारे बे मनुष्यों एक बीजाना संबंधमां आवे छे त्यारे तेओना प्राणनो रंग बदलाय छे. आ रीते पोतानी पासे बैठेला कोइ पण मनुयनो रंग पोताना शरीरमी ते क्षणे थयेला क्षणिक फेरफारथी जाणी शकाय छे. वर्तमानकाळ ए भविष्यनो पिता छे. आ उपरथी ते मनुष्यना रंगनी परीक्षा करीने लेना रोगनो क्यारे अंत आवशे अथवा तो ले क्यारे मरशे ते कही शकाय.
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( २६ ) मांदो माणस जे बाजुए होय ते. याजुए बेसीने जो योगी ( आ बाबतना जाणकार स्वरशास्त्री ) ने सवाल पूछवामां आवे तो ते मनुष्यना शरीरमां गमे तेटला रोगोए घर कर्यु होय छतां ते मांदो माणस जरुर जीवशे. • जो जमणी नासीका ( सूर्यस्वर ) व्हेती होय, अने ते दूत पोतार्नु दुःख दया उपजावे तेवा स्वरमां रडे तो जरुर ते मांदो माणस जीवे. पण जो धंद्रस्वर चालतो होय तो तेनुं फळ सामान्य थाय छे.
पोताना प्राण सन्मुख मांदा माणसनी छबी धरीने अने तेना. सामुं जोइने जो सवाल पूछवामां आवे तो जरुर ते मांदो माणस सजीबन थाय.
चंद्र के सूर्यस्वर गमे ते चालतो होय, अने योगी गाडीमो बेसतो होय तेवामां कोइ दूत तेने सवाल पूछे तो ते दूतनी धारेली इच्छा अवश्य पार पडे.
सवाल पूछवाना समये योगी उपरना माळे बेठो होय अने. दरदी नीचेने माळ होय तो जरुर ते दरदी जीवे; पण जो दरदी उपरना माळे होय तो जरुर ते यमने धाम पधारे.
सवाल पूछती वखते दूत आपणी खाली नासिका तरफ बेठो होय, पण तेने जे जोइतुं होय तेनाथी विरुद्ध पूछे तो अवश्य ते विजय मेळवे, पण माथी उलटुं बने तो परिणाम पण उलटुं आवे.
जो मांदो: माणस चंद्र भणी होय अने पूछनार सूर्य भणी होय तो ते दरदी हजारो वैधो पासे होवा छतां जरुर मरण पामे. * ..
जो दरदी सूर्य भणी होय अने पूछनार चंद्र भणी होय, त्यारे (कदाच देव रक्षणं करनार होय तो पण (ते दरदी मरण पामे छे.
जो एक तत्व अव्यवस्थित थाय तो लोकोने रोग थाय छ, जो बे तत्वो प्रतिकूळ होय तो मित्रो अने सगांस्नेहीओमां दुःख उत्पन्न. करावे छे. बे पखवाडीआं सुधी जो तत्वो प्रतिकूळ रहे तो अवश्य मरण थोय. , . .. ...
* चंद्र अने सूर्य कह दिशाओ सूचवे छे ते प्रथम जणाववामा - आध्यु छे.. ....
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(२७)
मरणनां चिन्ह. पखवाडीभा, महीना के वर्षनो शरुआतमा सुज्ञ मनुष्ये प्राणनी गति वगेर उपरथी सरणकाळनो निश्चय करवो.
आ पांच तत्वोना दीवानुं तेल चंद्रमाथी आवे छे, माटे सूर्यना बळमाथी तेर्नु रक्षण करवु जोइए. तेथी जींदगी लांबी थशे.
स्वर उपर पूर्ण विजय मेळवीने जो सूर्यस्वरने दाबमा राखवामा आवे, अर्थात सूर्यस्वर जेम ओछो चहे तेम वर्तवामां आवे तो जींदगी लंबाय छे.
शरीररुपी कमळोने अमृत सिंचतो चंद्र स्वर्गमाथी उतरे छे. सारां कामो करवानो अभ्यास पाडवाथी अने योगथी चंद्रना अमृतघडे मनुष्य अमर बने छे.
दिवसनी अंदर चंद्ररवर वहेवा दो, अने रात्रिनी अंदर सूर्यस्वर चहेया दो. आ प्रमाणे जे दिन रात करी शके छे ते खरेखरो योगी छे. .. जो एक आखो दिवस अने एक आखी रात एकज नळीमा प्राण
चाल्यां करे, तो व्रण वर्षमा मनुष्यर्नु मरण थाय. .. वे आखा दिवस भने बे आखी रात्रि सुधी पिंगला नाडी ( सूर्य स्वर ) चालु रहे तो तत्वना जाणकार कहे छे के ते मनुष्यने माटे हवे बे वर्ष बाकी छे..
जो आखी रात चंद्रस्वर वहे अने आखो दिवस सूर्यस्वर बहे तो तेनुं मरण जरुर छ मासनी अंदर आवे.
जो सूर्यस्वरज चाल्यां करे अने चंद्ररवर तद्दन बंध थइ जाय तो . ते माणस पंदर दिवसमा मृत्यु पामे. ए प्रमाणे काळशास्त्र अगावे छे. .
जेनी एक नासिकामांथो त्रग रात लागलागट प्राग चाल्या करे ते फकत एकज वर्ष जीवी शके; ए प्रमाणे आ शास्त्रना जाणकारो जगावे छे.
. * मनुष्ये मरण काळ जाणघो अहरनो छ, कारण के मरण का पासे भाग्यो जागी मनुष्य यथाशक्ति धर्मध्यान करी शके.
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( २८ ) एक कासार्नु वासण लेइने तेने पाणीथी भरो; अने तेमा सर्यों प्रतिबिंब जुओ. जो ते पडछायाना मध्य भागमा बाकुं (छिद्र ) देखाय तो ते जोनार दश दिवसमा मरण पामशे. जो पडछायो धूमाडावाळो जगाय तो तेज दिवसे मरण थाय.
जो ते परछाया दक्षिण, पश्चिम के उत्तर दिशा भणी जगाय तो जरूर तेनुं मरण अनुक्रमे छ, बे, के ऋण महिनामा थाय. आ प्रमाणे सर्वज्ञोए जीवननी मर्यादा बांधी छे.
जो मनुष्य जमना दूतनी मूर्ति जुए तो जरुर ते मरी जवानो. ज्यारे बहारथी चामडी ठंडी होय अने अंदरनो भाग गरम होय त्यारे जरुर एक मासमा तेनुं मरण थाय.
ज्यारे माणसनो काइ पण कारण सिवाय एकाएक स्वभाव बदलाय छे, एटले सारी टेवोने बदले नठारी अथवा नठारीने बदले सारी टेवो ग्रहण को छे त्यारे जरूर मरण थाय छे. .. ज्यारे नसकोरामाथी :नीकळतो श्वास ठंडो होय भने मुखमाथी नीकळतो श्वास अग्नि जेवो उष्ण होय तो जरुर ते सख्त तावथी मरण पामे.
जे भयंकर आपत्तिओ, अने दीवो सळगाव्या सिवाय चळकतो प्रकाश जुए छे, ते नव मास पहेला मरण पामे छे.
जेने एकाएक भारे वस्तुओ वजनमा हलकी लागे छे, अने हलकी वस्तुओ वजनमा भारे लागे छे, जे स्वभावे काळो होवा छतां रोगथी . - सोनेरी रंगनो देखाय छे, ते जरुर मरण पामे छे.
नाह्या पछी, जेना हाथ, छाती अने पग एकदम सूकाइ जाय छे, ते दश दिवस पण जीवतो नथी.
ने माणसनी आंखोजें तेज घटी जाय छे, अने बीजानी आंखनी कोकीमा पोताना मुखने न जोइ शके, ते जरुर मरण पामे ..
हवे तने हुँ " छाया पुरुष " संबंधमा थोडं कहीश, जे जागवायी मनुष्य त्रिकाळज्ञानी बने छे.
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(२९) हुं एवा प्रयोगो-अख्तराओ जणावीश के जेनी मारफते मृत्यु दूर होय ते पण जागवामां आवे. आ बधुं प्राचीन आचार्योना अभिप्राय प्रमागे जणावीश.
एकांत जग्यामा जइने अने सूर्यना सामी पीठ करीने पोतानी जे छाया जमीन पर पडे ते पर एक पित्तथी जोइए.
ज्या सुधी " ॐ काम् परब्रह्मणे नमः " आ मंत्र १०८ बार शांतिथी उच्चारी शके त्या सुधी ते जोया करवू. पछी एकदम आकाश भगी जोवं, तो त्या एक पुरुषनी आकृति जणाशे.
आवु छ मास सुधी करवाथी से योगी पृथ्वी उपर चालता सर्व जीवोनो अधिपति थाय छे. बे वर्षमा तो ते तद्दन स्वतंत्र अने पोताना आत्मानो स्वामी बने छे.
ते त्रिकाळ ज्ञान अने अपूर्व आनंद मेळवे छे. योगमा सतत अभ्यासीने आ जगतमा काइपण असाध्य के दुर्लभ नथी.
ज्यारे योगी निर्मळ आकाशमा काळा रंगनी आ आकृति जुए छे, त्यारे ते मासमा मरण पामे छे.
ज्यारे ते पीळी देखाय छे, त्यारे रोगनो भय रहे छे. जो ते लाल देखाय तो नुकशान थाय छे. ज्यारे ते आकृतिमां घगा रंग होय त्यारे उदासी अने गभराट थाय छे..। ___जो ते आकृतिने पग, अने जमणो हाथ न होय तो जरुर कोह . स्वजन मरण पामे.
- जो डाबो हाथ न होय तो पोतानी स्त्री मरण पामे, छाती अने जमणो हाथ न जणाय तो जरुर नाश अने मृत्यु थायछे..
जो वायु संचारनी साथे ज झाडो थइ जाय तो ते मनुप्य जरुर पश दिवसमा मरण पामे.
___ जो चंद्र नाडीज चाल्या करे अने सूर्य नाडी बीलकुल न चाले तो जरुर एक मासमा मरण थाय. आ प्रमाणे काळशास्त्र जणावे छे.
जेनुं मृत्यु नजदीक होय ते अरुन्धती, भुव, विष्णुपद, भने मातृ. मंडळ ज्यारे बताववामां आवे त्यारे जोइ शकतो नथी.
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(३०)
अरुन्धती एटले जीभ, ध्रुव एटले नाकनी अणी, विष्णुपद एटले भव, अने मातृमंडळ एटले आंखनी कीकी आ ते न जोइ शके.
जे मनुष्य भव जोइ शकतो नथी, ते नव दिवसमां मरण पामे छे; जे आंखनी कीकी जोइ शकतो नथी, ते पांच दिवसमा मरण
पामे छे;
त्रण दिवसमा मरण
अने जे जीभ जोइ शकतो नथी ते एक दिवसमां मरण पामे छे. आंखने नाक तरफ दाबीने लेइ जवाथी आंखनी कोकी जोवाय छे.
नाडीओ.
जे नाकनो अग्र भाग जोइ शकतो नथी,
पामे छे;
इने गंगा कहे छे, पिंगलाने जमुना कहे छे, अनें सुषुम्णाने सरस्वती कहे छे; आ त्रणेनुं संगमस्थान ते प्रयाग छे.
योगीए पद्मासन स्थितिमां बेसीने प्राणायाम करवा.
शरीर उपर निग्रह मेळवावा सारु योगीए पूरक, रेचक अने कुंभक क्रिया जाणवी जोइए.
पूरकने लीधे वृद्धि अने पोषण थाय छे; अने वात, कफ अने पित्त शांत थाय छे. कुंभकने लीधे शरीरनी स्थिरता वधे छे, अने आयुष्य लंबा छे. रेचक संघळां पापाने हरे छे. जे आ प्रमाणे करें छे ते योगावस्था प्राप्त करे छे.
मी नासिकाथी श्वास अंदर खेचवो, अने जेटलीवार सुधी ते अंदर रही शके तेलीवार सुधी प्राणने अंदर रोकवो अने पछी डाबी नासिका वंडे ते बहार काठवो. बीजीवार डाबी नासिकाथी श्वास अंदर लेइ जमगी नासिकाथी व्हार काडवो. श्वास अंदर चबो ते क्रियाने पूरक कहे छे, अंदर राखी मूकवानी क्रियाने कुंभक कहे छे अने बहार
पाछो काढवानी क्रियाने रेचक कहे छे.
चंद्र सूर्यने पीए छे, अने सूर्य चंद्रने पीए छे, एक बीजार्नु उपर प्रमाणे पान कराववाथी ज्यां सुधी चंद्र के तारा चाले त्यां सुधी मनुष्य जीवी शके.
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( ३१ ) नाडीओ पोताना शरीरमांज वहे छे, तेना उपर मनुष्ये पूर्ण अय मेळवयो जोइए. तेना उपर जय भेळवनार युवान् बने छे...
ज्यारे म्हो, नाक, आंख, कान वगेरे आंगळीओथी दाबवामां आवे छे, त्यारे आंख आगळ तत्वो देखावा मांडे छे.
__जे ते तस्वोनां रंग, गति, स्वाद, स्थान अने चिन्ह समजे छे, ते आ दुनियामां रुद्र जेवो शक्तिमान् थाय छे.
जे आ बधुं जाणे छे, अने निरंतर तेनो अभ्यास करे छे, ते सघळां दुःखथी मुक्त थाय छे, अने इच्छित वस्तु प्राप्त करे छे. .
जेना मगजमा स्वानुं ज्ञान छे, तेना पग नीचे नीधि आवीने रहे छे. जगतमा सूर्यनी मारफते आ ज्ञानने जाणनार वंदनीय छे. " जे स्वरशास्त्रनुं अने तत्वोनुं ज्ञान मेळवे छे, तेनी- साथे हजारो अमृतनी शीशीओ पण सरखावी शकाय नहि..
जे माणस तमने आ बाबतनुं अने ओंकारनुं ज्ञान आपे तेना देवामांथी, गमे तेटलो बदलो वाळो.छतां, मुक्त थइ शको नहि. __ पोताना स्थानमां बेसीने, नियमित खोराक अने उंघ लेइने, योगीए आत्मा के जेतुं प्रतिबिंब स्वर छे, ते उपर ध्यान करवं. तेवो मनुष्य जे बोले छे, ते प्रमाणे जरुर थाय छे..
GAVA
। ..
...
शुभमभयात् ।
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गुप्त मददगारो.
प्राचीन समयथी लोको मानता आव्या छे के, आ जगतमा गुरु मददगारो वसे छे. असलना लोकोने ते बाबत पर संपूर्ण विश्वास हतो. देवो मदद करे छे अथवा सहाय आपे छे, ए बाबतनी मान्यता प्रथम पूरेपूरी जामेली हती; पण ज्यारथी पश्चिमना जडवादना विचारोनो विशेष फेलावो थवा लाग्यो, अने लोकोनी नजर जगतनी सूक्ष्म बाबतो करता; ब्हारनी वस्तुओ तरफ विशेष खंचावा लागी, अने लोकोमा दयनी निर्मळता ओछा प्रमाणा जगावा मांडी, त्यारथी आवा मददगारोनी हयाती विषे लोकोना मनमा संशय पडवा लाग्या, अने लोकोनी ते बाबतनी श्रद्धा दिन प्रतिदिन घटवा लागी. आ स्थिति हाल एटले सुधी हेची छे के केटलाक मनुष्यो एम पग कहेवा मंडी पडया छे के:
. “ देव गया डूंगरे अने पीर गया मक्के !" "
देव डंगरपर नाशी गया अने पीर मक्के चाल्या गयाः अर्थात् देवो बधा अदृश्य थह गया ! केटलाक एम पण कहेवा लाग्या के हाल कळियुगना समयमा देवो अहीं आवी शकेज नहि
पण आम कहेवु अथवा माने ते तद्दन भुलभरेल के. देवो भने पोरस्ताओ तो तेना तेज छे. प्रथमनी माफक हाल पण तेओ पोतानपरो.
कये जाय छे. लोकोने तेमनी हयातीमा अविश्वास आववाथी
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( ३३ )
ओए पोतार्ने काम करवानु छोडी दीधुं नथी, पण असलनी माफक खुल्लीरीते
कावाने बदले मोटे भागे तेओ छुपी रीते अने शांतिथी काम करे साचा देवो जगतना माननी के कीर्तिनी दरकार करता नथी, तेथी मन नाम अथवा काम छुपुं रहे तो सेनी तेमने रती मात्र परवाह नथी.
ओ तो जे काम करता आन्या छे. ते कर्य जाय छे. मारी खात्री छे के जेम जेम लोकोनी विशेष श्रद्धा थती जशे, जेम जेम लोको देवोनी हयातीमा अने तेमना परोपकारी कार्यमा विश्वास राखता जशे, तेम तेम देवो असलनी माफक लोकोनी साथे वधारे ने धधारे परिचयमा आवता जशे अने खुल्ली रीते पोतानां लोकोपयोगी कामो बजावता जशे.
उपर जणाव्या प्रमाणे बधा धर्मावाळा आवा गुप्त मददगाशने मानता आच्या छे. धर्मशास्त्रोमां आवेला जूनां चरित्रो वांचशो तो तमने जणाशे के देवो के देवीओए घणा प्रसंगे मदद करेली छे. हिंदुओ तथा जैनो तेमने 'देवो' कहे थे, पारसीओ अने मुसलमानो तेमने 'फोरेस्ता' तरीके ओळखावे छे, अने युरोपीयनो तेमने 'एन्जल' अथवा देवदूत तरीके जगावे छे. नाम गले ते आपीए, छतां तेवा दुतोनी आवश्य हयाती छे, अने तेओ पोतानुं काम कय जाय छे, ए बायत तोचोस ज छे. आ कळियुगना समयमां ज्यां जडवाद अथवा नास्तिकता चारे बाजुए फेलायेली छे, तेवा जमानामां पण जो कोइ पण मनुष्य आ बावत जाणवानी महनत करे तो तेने घणाक दाखलाओ खुद हमणां पोतानी नजर आगळ बनता मालम पडया विना रहेशे नहि. जे लोको जगतना व्यवहारेनो अने तेमा बनता बनावानो बारीक अभ्यास करे छे, तेओ तो एवा अनुमान पर आच्या विना रहेशे नहि के आ सर्व बनावीमा थोडे घगे अंश देवोनो हाथ रहेलो छे. आपणी अश्रद्धाथी देवो के पीरस्ताओ काम करता अटकी गया नथी अने जशे पण नहि.
आ नानकडा पुस्तकमा आवा केटलाएक हालमा बनेला बनावो आपवा धार्यु छे; पण ते दाखलाओ अहीं टांकवामां आवे ते पहेला आ संबंधमा उपजती केटलीक शंकाओ दूर करवी ए वधारे योग्य अने वाजवी गणाशे.
प्रथम शंका ए थाय छे के, जो देवो मदद करता होय तो तेओए
बधाने मदद करवी जोइए. जो थोडाने मदद करे अने थोडाने न करे Scanned by CamScanner
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(३४) तो तेओ पक्षपाती गणाय. अने जो देवो पक्षपाती होय तो जगतमा न्याय क्यों रहो ?
आ शंका वाजबी छे, पण ते गेरसमजथी उठेली. छे. नीचेमो खुलासो पांचयाथी ते शंका जरूर दूर थइ जशे. देवो मदद करे छे ए बात तो सत्य जछे, पण जेओ से सपने लायक होय अथवा पोतानां पूर्वकनेनि लीधे तेमनी मदद भेळधवाने जेओ योग्य होय तेमने जरुर तेओ मदद करे छे. तमे जो सारा कामो को होय छे तो देवो तमने सहाय आपेठे. आ भवनां पण जो तमे सारा कामो करो, तो तेना बदलारुपे देवो जरुर तमने मदद आपशे. जे मनुष्य जेटलाने लायक होय छे, तेटलुं तेने तेओ आपे छे. तमारे वधारे जोइतुं होय तो वधारे भेळववागे लायक बनो. एक अंग्रेजी कहेवत जणावे छे के "कोइ पण वस्तुनी इच्छा करो, ते पहेलो ते मेळववाने लायक बनो.” * मात्र पूर्व भवना ज सारी कृत्यथी देवोन ध्यान तमारा तरफ खेचाय छ, एम नथी; पण हाल पण जो तमे सारा कृस्यो करता रहो, अधवा तो देवोनी प्रार्थना के बंदगी करो अने तेमनापर संपूर्ण श्रद्धा राखो तो जरुर तमारी प्रार्थनाथी तेओर्नु ध्यान तमारा तरफ खेंचाशे, अने तमने योग्य मदद मळशे. तमारा प्रार्थना तमारा कर्माने तोडी नाखे छे, अने देवो तमने सहायभूत थाय छे. जो तमा 'कर्म' बहु जोरावर होय तो विशेष प्रार्थनानी जरूर पडे छे. देवोने कोइ उपर पक्षपात नथी. पण तेओ तो कर्मना महान् नियमोने अमलमा मूकनार दिव्य शक्तिओ छे. * *
बीजी शंका ए उभी थाय छे के जो देवो मदद करता होय तो शा सारुं तेओ आपणी नजरे पडता नथी ? माटे देवो छ ज नहि.
* Deserve before you desire.
** बधा मनुष्योए वोनी मदद इच्छवी जोइए एम पण काइ । नथी, जेओ महात्माओ छे तेओ पोताना आत्मोत्क्रान्तिना काममा आगळ वध्या करवामां ज सर्व लक्ष आपीने संतोष माने छे. त्हेमनी मददमा' नहि पण रहेमनी सेवामां' देवो हरेश तैयार रहे छे. देवोनी बाबतमा
र शक लइ जवा पहेलां घणी बाबतो लक्षमा लेवानी छे. सर्व देवा एक सरखा नथी होता, हेमां अनेक 'इड' अथवा वर्ग छे. अने हेमना ज्ञान-शक्ति पण एक सरखां नथी होतां, एटलुं याद राखवाथी केटलीक शंकाओ दुर थशे.
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बारा कहे ए पग भूल भरेलु छे. अही एल अगत्यनी बाबत ए सम
के ज्यां सुधी आ जगतनो कोइ पण मनुष्य अमुक काम करयाने मळी आवे छे त्यां सुधी तेओ तेनी मारफले काम करे छ; अने जना नियमोनी गोठवण प्रमाणे घणीवार तो कोइने कोइ मनुष्य मळी मालेले एटले तेना द्वारा तओ ते काम करे छे पग जो कोइ पण भनु य न मळी आवे, अने छतो कोइ मनुप्यने मददनी जरुर होय अने ते मेळववाने ते योग्य होय तो तेओ प्रसंगने अनुसरतुं रुप धारण करी आवे छे, अमुक कार्य करे छ, अने पाछा चाल्या जाय छे. __ आ विषयने अंते जगावेला दृष्टान्त उपरथी आपगने जगाय छे के 'देवो' अने 'सूदेवो' आ जगतने मदद करवाना काममा पोतानी शक्तिना प्रमाणमा भाग लेछे. आपणे पण जो भूदेव थq होय, पृथ्वोपर वसवा छतो देव जेवं बीजाओने मदद करवानु उत्तम अने पवित्र काम करवं होय तो आपणामां कया सद्गुणो जोइए ते बाबत हवे आपणे विचारीशुं. आ संबंधमां आ बाबतना जाति अनुभवी एक गुप्त मददगार अथवा भू-देवना शब्दोनो ज उतारो आपवो ए सने वधारे उचित लागे छे. ते पूज्य भू-देव जगावे छे के:
जे गुप्त मददगार थवानी इच्छा राखे तेनामां फेवा सद्गुणो होवा जोइए, ते विषे कांइ छुपुं नथी. कया सद्गुणो आ काम माटे जरुरना छे, ते जाणवु मुश्कल नथी, पण ते गुणो आपणामां पुरेपुरा खीलववान काम तो अलबत मुश्केल छे. १. पवित्र मन; मननी एकाग्रता अथवा मननी एकज
विषयपर संपूर्ण आस्था. प्रथम तो महात्माओ अथवा महान् देवो अथवा आपणां इष्टदेव जेथी प्रसन्न थाय एवं, आपणाथी बनी शके ए, एक मोटुं काम आपणे शोधी काढq. अने जगतनां सर्व कामो करवा छतां आपणा उदय आगळ्थी ए मोटुं काम-ए मोटी उच्चभावना-जरा पण दर न थाय एम काळजी राखवी.ते कामने ज मुख्य गगीने आपणे अंतःकरणपूर्वक आपणुं सर्वस्व ते काम पाछळज लगाडवु. आपगे, प्रथम तो, उपयोगी अने निरूपयोगो कामो वच्चेनो तफावत जोतां शिखा, एटलुज नहि पग उपयोगी कामोमां
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( ३६ ) पग आपगाथी बनी शके एवं उत्तममां उत्तम काम पसंद करवू. कोई नजी भलु काम जे बीजा मनुष्यथी सहेलाइथी थइ शके, अने बीजो मनु-य जेथी पुण्य मेळवी शके, तेवा उतरता काममां आपणो समय आपणे गुमाववो नहि. पण आपणा ज्ञान अने :शक्तिना प्रमाणमां कोई चडता प्रकारमुंज काम बजाववार्नु माथे लेवु. जे मनुष्य आवो गुप्त मद. दगार थवानी इच्छा राखे छे, तेगे ब्रह्मज्ञान अथवा आत्मज्ञानने माटे आ स्थूळ भुवन उपर तेनाथी बनी शके एवं उत्तममां उत्तम काम हाथमा लेइ ते बजावबानो प्रारंभ करवो जोइए.
आ स्थळे मारे चेतवणी रुपे जणावq जोइए के, आपणे माथे लीधेली सांसारिक फरजो नाखी देवी एम हु कहेवा मागतो नथी. आपणा संजोगोने लेइ आवो पडेली सांसारिक फरजो जरुर अदा करवी, पण कोइ पण प्रकारको नवी सांसारिक जोखसदारी माथे लेवी ए डहापण भरेलु नथी. जे कांइ फरजो कर्मना नियम प्रमाणे आपणे माथे आवो पडी होय, ते अवश्य बजाववी. ते छोडी देवानो आपणने हक नथी. आपणी स्त्री अथवा तो आपणी संतति अथवा तो घरडां माबापने निराधार स्थितिमा रखडतां सूकी सन्यासी थइ जवानो आपणने हक्क नथा. ज्यां सुधी कर्म प्रमाणे जे सजोगोमां आपणे मूकायेला होइए, ते संजोगोने लगती फरजो आपणे अदा न करीए, त्या सुधी आपणे उत्तम प्रकारनां कामो करवाने कदापि लायक बनी शकीशु नहि. पण उच्च काम करवानी उत्तम भावना पय आगळ दरेक पळे राखी आपणी फरजो । बजावयी जोइए, अने आपणे जे जे काम करीए ते ते आपणे कृपाळु महात्माओना चरणकमळमां अर्पण करई जोइए.
२. संपूर्ण आत्मसंयम-पोतानी जातपर काबु.
सूक्ष्म-जुप्त शक्तिओ आपणने मळे ते अगाउ आपणे आपणी इंद्रिओ उपर संपूर्ण काबु मेळववो जोइए. आपणा स्वभाव अथवा लागणीओ उपर एटलो काबु मेळववानी जरुर छे के आपणे जे जोइए अथवा सांभ लीए, तेथी आपणने जरा पण गभरामण के संक्षोभ उत्पन्न थाय नहि. कारण के आवा संक्षोभथी आ जगत् करतां सूक्ष्म भुवनोमां वधारे भयभरेलो गभराट थाय छे. विवारबळ ए जगतसां बधां बळो करतां वधारे मोर्ट बळ छे. पण अहीं आ जगतमां आ स्थूळ मगजने लीधे ते बळ
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( ३७ ) बरावर प्रकट थइ शकतुं नथी, पण सूक्ष्मभुवनोमा ते विचारबळ घणुज छुटुं होवाने लीधे हद वगरनु होय छे. जेनी शक्तिओ खीलेली छे, देवो मनुष्य जो सूक्ष्मभुवन पर बीजा कोइ मनुष्य पर क्रोध करे तो ते मनुप्यने ते घणीवार गंभीर अथवा तो प्राणघातक नुकशान करे छे, एटले के मनु
नु मरण पण थाय छे. आपणा ज्ञानतंतुओ (Nerves) उपर आपणो एटलो बधो का होवो जोइए के के जेथी करीने सूक्ष्मभुवन उपर जो कोइ आपणे एकार कल्पित के भय भरेलो देखाव जोइए, तो तेथी डरीए नहि अने तेनी सामे पुरती हिम्मतथी टटार उभा रही शकीए. आ संबंधमां एन्टुं खुश थवा जे छ के ज्यारे कोइ पण गुरु अथवा महात्मा कोइ पण मनुष्यने सूक्ष्मभुवन पर प्रथम जागृत करे छे, स्यारे ते मनुष्यगां ते भुवनपरनां काम माटे अने सलामती माटे ते गुरु अथवा महात्मा पोसाने माथे जोखमदारी लेले. माटे जो नवा शिखाउमां एकला रही सूक्ष्मभुवनमां काम करवानी हिम्मत न आवी होय तो तैना सब करनारने तेलो सलामती माटे हमेशां तेनी पाछळ पाछळ भमg पडे, अ आम करवाने माटे ते गुरुने पोताना अमूल्य समयनो मोटो भोग आपको पडे, माटे ज्यारे चेलामा धणे अंशे हिम्मतनो गुण खोल्यो होय छे, त्यारेज तेने सूक्ष्मभुवन पर जगाउवामां आवे.छे. शिखाउनी हिम्मतनी खातरी करवाने माटे, अने तेने ते काममा लायक बनाघवाने माटे असलना समयनी माफक हालमां पण पृथ्वी, पाणी, हवा अने अलिनी कसोटीमोमाथी तेने पसार थर्बु पडे छे. बीजी रीते कहीए तो आ नवा शिखाउने शझोधी नहि पण खास अनुभवथी खात्री करवी पडे छे के अमितना सूक्ष्म शरीरने वाली शकशे नहि, पाणी तेने डुबाही शकशे नहि, पाणी तेने भींजवी शकशे नहि, अने पर्वत तेना मार्गमां विघ्नरुप थशे नहि. ज्यारे आपणे आ स्थूल शरीरमा होइए छीए, त्यारे आपणने एवं मानवाली मजबूत टेव पडी गयेली होय छे के अनिथी आपणे बळीए छीए, पाणीमा दुबी मरीए छोए, नकर पदार्थमाथी आपगाथी पसार थइ शकातुं नथी. अने आसपासनी खुल्ली हवानी वचमा आपणाथी अधर रहेवातुं नथी.आ विचार एटलो बधो हृदयमा सज्जड चेौटी गयेलो होय छे के सूक्ष्म शरीर आ सघळी अडचणोधी मुक्त छे, एवी खात्री तेमने महामहनते अने बहु वखते थाय छे. तेओने एकदम खात्री थती नथी के आ सूक्ष्म शरीर गमे एवा म्होटा पर्वतो के खडकोनी बच्चेथी के जमीनना नीचला भागमा अडचण वगर सहेलाइथो पसार थइ शके छे, ते शरीर
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( ३८ ) पर्वतोनी गमे तेवी उंची टोचtपरथी बगर हरकते नीचे कुछको मार शके छे, पुरता विश्वासथी अने सहेज पण भय विना ज्वालामुखी पर्वतोन मुखमा पेशी शके छे, तेमज महासागरना अथांग अने उँडा जळनी तळीए सहेलाइधी अने वगर हरकते जइ शके छे.
काम कर
तो पण एक माणस ज्यां सुधी सारी पेडे जाणे नहि-जागे एटलं ज नहि पण ते प्रमाणे पोताना ज्ञान अने अनुभवधी काम करवाने ते लायक बने नहि त्यां सुधी, तेवो मनुष्य सूक्ष्म भुवन उपर वाने घणोखरो नालायक छे; कारण के अगत्यना प्रसंगे, जे प्रसंगो घगीवार आवे छे तेवे प्रसंगे- कोइ पण कार्यमा बेधडक थागळ वधतां ते अचकी जाय अथवा बीकथी पाछो हठे, अने भा स्थूल शरीरना संबंधथी मनमां दाखल थयेली बीकथी या होम करीने पोतानुं शरीर झीपलावत डरी जाय. आम न धनुं जोइए, तेटलाज माटे सूक्ष्म भुवन उपर काम करवानी इच्छावाळा अभ्यासीने सघळी कसोटीओमांथी अने तरेहवार अनुभवर्माथी पसार थयुं पडे छे. आ रीते ते धीमे धीमे शिखे छे-ज्ञान मेळवे छे. घगाज भय भरेला अने त्रास उपजावे तेवा देखावो अने कमकमाट उपजावे तेवा संजोगो साने तेने शांतिथी अने हिम्मतथी काम करवानुं होय छे, अने ज्यारे गुरुनी संपूर्ण खात्री थाय छे के गमे सेवा अगगमता अने त्रासदायक बनावो के देखावो बच्चे पण पोतानो शिष्य गभराशे नहि पण हिम्मत राखी शकशे, अने फरमावेलु काम करी शकशे, त्यारे ज आ सूक्ष्मभुवन उपर ते नवा शिखाउने तेनुं कार्य करवा गुरु तरफथी एकलो छूटो मुकवामां आवे छे.
आ साथे आपण मन अने लागणीओ उपर पण काबु मेळववानी जरूर छे. जेनुं भन वश नथी, फेनुं मन एकान नथी, ते कदापि बीजाने मदद करवाने लायक बनी शकशे हि अनेक प्रकारनां खेवाणकारक प्रसंगो अने भयकारक बनावो बच्चे तेने काम करवानुं होय छे. जो हवे पोताना मनने एकाग्र बनावतां न शीख्यो होय तो ते मनुष्य कांइ पण सा काम धामाजे करी शकशे नहि. भटकता मनवाळो मनुष्य आ भुवन तेमज सूक्ष्मभुवन उपर नाम है.
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(३९) इच्छाओने काबुमा राखवानो हेतु ए छे के सूक्ष्मभुवनमा मनुष्य अनी इच्छा करे छे ते पोतानी नजर आगळ जुए छे. त्यां कोइ पण चीज मेळवकाने माटे 'इच्छा'ज पुरती छे. हवे जो आपणी इच्छाओ हलकी होय तो हलका पदार्थो आपणी नजर आगळ आवी उभा रहेशे; आधी आपणे तेमा लोभार जइशं, अने बीजाओने सहाय करवानें काम थइ शकशे नहि. जो ते समये आपणा गुरुदेव आपणी पासे होय तो ते वखते आपणने भारे लज्जा उत्पन्न थाय छे. माटे आ कामना अभ्यासीए हलकी इछाओं उपर पूर्ण काबु मेळववो जोइए.
३. शांति-आ गुणनी. आ मार्गना अभ्यासीमा खास जरुर छे. चिंता, उदासी, उद्वेग, शोक वगेरे बिलकुल असर न करी शके तेवी मननी शांति जाळववानी घणी जरुर छे. गुप्त मददगार थवा इच्छनार जे काम करवानां छे, तेमार्नु मुख्य लोकोने शांति आपवानु, लोकोनी दिलगीरी उदासी अने फीकर दूर करवानुं छे. पण मदद करनारनुं पोतार्नु ज मन खोजवाट, उस्केरणी, चिंता, शोक वगेरेथी भरपूर होय तो ते बीजाने शुं मदद करी शके ? जे पोते बंधायेलो होय से बीजाने शी रीते मुक्त करी शके ? आ वीसमी सदीनी कांइक जुदाज प्रकारनी धांधळ, धेघाट, नजीवी बाबतो माटे लांबी लांबी चर्चाओ, अने ‘कागनो वाघ' अथवा तो ' रजनुं गज ' बनावानी टेव-शा सर्व गुप्त ज्ञानना वधाराने माटे घणुज नुकसानकारक छे. आपणामांना घणाखरा पुरुषो एक नजीवी बायतने मोटुं रुप आपवानो ख्याल करीए बीए, अने नापी गंभीर जेवी गणीने चिंतातुर थवामा आथी शांत आपणाथी हजार गा
जेओ ब्रह्मविद्याना भक्त हे ...न नी नकामी
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तीमा सघळु शांत, आनंदथी अने सूक्ष्म आशीर्वादोथी भरपुर छे." आ कारणथोज आ बाबतना जाणकार महात्माओ, पवित्रपुरुषो अने जगदुद्धारको सदा शांत स्वभाव राखे छे. तेओ जाणे .छे के आखरे सर्छ ठीक अने सारंज थशे. तेथी तेवा जानने लीधे सेओ शांति साये आनंद पण मेळवी शके छे. आकारणथी ओने महात्मा पुरुपोने पगले चालq होय तेओए चिंता शोक अथवा उग वगरनी स्थितिमा रहेवानी देव पाडवी जोइए.
४. ज्ञान-मनु यने जे भुवन उपर काम करवातुं छे, ते भुवनने लगतुं ज्ञान तेणे मेळव, जोइए. आ बाबतन ज्ञान जेसा मनु-यने वधारे होय तेम ते वधारे उपयोगी बनी शके. आ कामने माडे लायक थवाने गुप्तशान अने अध्यात्मने लगतां पुस्तकोमा जे कांइ माहेतीको प्रकट थयेली छे ते सपळ संभाळथी धांजी, विचारी मनन करघु जोइए. लेओने वधारे उपयोगी काम करवानु होय, तेओने वारे घडीए पूछो तेजोनो अमूल्य वखत लेवो जोइए नहि. पण अपार अगाउ पुस्तकोमा जे काइ प्रकाट थयु होय ते जाते वांधीने अभ्यास करवो जोइए. ले कोइ अभ्यासी आवां पुस्तको वांची, तेने लगतुं ज्ञान मेळवया उधम करतो नथी, तेणे कदापि सूक्ष्मभुवनमा परोपकारने लगता /कामो करवानी आशा राखत्री नहि.
५. स-सौथी छेलो पण सौथी वधारे अगत्यनो गुण प्रेमनो के. आ HTT) -- जोइए के आ प्रेम ते प.क्त शब्दोमा
* बलातो, काइक क्षणिक जुरूसो उभु देवानी जेनामा ताकात नथी,
प्रापि कायना रुपाना बदलाती
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( ४१ )
जय के परमकृपालु महात्माओ साथै एक थइ, तेमना एक गरीब दास बनी, तेमने करवाना अनेक परोपकारोनो बने तेटलो बोजो पोते उपाडी लेवो ए एक परिश्रम नहि पण आनंदनुं काम छे, तो सेवा मनुयने खरेखर भाग्यशाली मानवो.
आवो प्रेम ! भावी प्रीति ! आवी दया ! खरेखर ते उत्तमोत्तम गुण है. प्रेम हदबगरनो होय छे अने दुनियाना कोइ पण प्रेमनी साधे से सरखावी शकाय तेम नथी.
ए
उपर जगावेला सद्गुगो खीलवबाने 'गुप्त मददगार' थवा इच्छनारे सतत अने वालु कोशीश करवी जोइए. अने कोइ पग : महात्मा अथवा महात्मानो शिष्य सूक्ष्म भुवन उपर परोपकारी काम करवाने जगाडे से पहेली, आमांना बधा गुणो थोडे घणे अंशे तेनामां खीलेला होवा जोइए. आ· स्थिति बहु उच्च छे अने रेटलाज वास्ते प्राप्त करवी ए मुश्केल छे. से छत कोइए पण आ काममां नासीपास धनुं जोइए नहि, अथवा तो ते मूकी देवु जोइए नहि. तेणे जागनुं जोइए के ते निरंतर संपूर्ण भान साथै सूक्ष्म भुवन उपर भय अथवा जोखम विना काम करवाने समर्थ नथी, छतां हमण पण ज्यारे ते तेवी हालत मेळववाने खेल राखे छे, त्यारे पोतानी शक्तिमा प्रमाणम सूक्ष्म भुवन उपर जोखम भने जवाबदारी वगरनुं केटलुक काम ते बजावी शकशे.
ज्यारे रात्रे आपणे उंधीए छीए, त्यारे आपणा शरीरमांयी व्हार नीकली दूर जइए छीए. ते वखते आपणामांनो कोइ पण मनुष्य कांड पण दयाळु के भलं काम करो शकतो नथी, एम नथी. मनुष्य जो ईच्छा करे, तो उघम पग केटलंक परोपकारी काम करी शके छे. उघ आपणे घणे भागे एक विचारमां तल्लीन अथवा गरक थइए छीए. आपणा दिवसनी जागृत स्थितिमा जे विचार मुख्य होय, से विचारमां घणे भागे आपणे उंधर्मां रोकाइए छीए. तेमां मुख्य करीने सूती घखते आपणे जे हेल्लो विचार कर्यो होष छे, ते विचार उधमां घणे भागे पोषाय है. आपणो को प्रिय मित्र, अथवा सेतुं व्हालु, अथवा तो कोइ पण मनुष्य जेने आपणे मदद करवा इच्छता होइए, ते मनुष्यने सघळी रीसे मदद करवानो विचार करी, तेना तेज विचारनुं रटन करता आपणे संषधुं नोइए. आनुं परिणाम ए जहर भावशे के जैने मे मदद कर
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मागता हो, तेने जरूर मदद मळशे. ते हजारो माइल पूर होय. पण अवश्य तमे तेने मदद करी शको छो. मदद करती घखते मदत करनारनुं सूक्ष्म शरीर मदद लेनारनी · बाजुए भमर्नु घणी वार म लेनारना जोवामां आवे छे. आवा धगा दाखला धायेलो छे..
... .. कोइए पण नाउमेद थइ एम न. धार के आवा भला काममा
ते काइ पग भाग लेइ शके नहि. भाम - विचार, ए भूलभरेलु छे. कारण के जे मनुष्य विचार करी शके छे, ते बीजाने मदद पण करीशके. आq परमार्थी याने परोपकारी काम उघती वखतेज करवु एम पग नथी. कोइ पग वखते दिवप्ले के रात्रे ज्यारे तमने मालूम पडे के तमारो कोइ सगो के दोस्त मांदो छ, के दुःख के संतापमा छ, अने तमे तेने मदद करवा हाता हो, तो जरुर तमारे तेने माटे भला, प्रेमना, दिलसोजी भाः विवार जोरथी करवा. कदाच समज सहित तमारु सूक्ष्म शरीर व्हार काढी मोकलवानुं तमने नहि आवतुं होय, तोपण तमारा मजबूत अने भला पिवारोनुं एक रुप-आकार बंधाशे, अने ते जेने तमे मदद करवाने धारता हो तेने जरुर मदद करशे, एमां जरापण शक । के संदेह राखवा जेवु नथी. जे प्रमाणमा तमारा विचारो एकाग्र हो,
भने जे प्रमाणमा तमारी शुभ लागणी बळवाळी अने विखराया वगरनी 'हशे, ते प्रमाणमा वधारे जलदीथी अने फायदाकारक रीते, ते मनुष्यने
मवद थशे. 'विचार ए खाली हवाइ कल्पना नथी, पण विचार ए खरी वस्तु के अने जेनी अंतष्टि खीलेली छे तेवा मनुष्यो ते विचारने जोह पण शके छे. आ उपरथी आपणने जगाशे के जगतनुं भलं करवाने जेटलो एफ पैसादार मनुष्य समर्थ छे, तेटलोज एक गरीषमा गरीब मनुष्य पण छे. तद्दन अपंग अने लाचार मनुष्य पण पोताना विचारो, अने शुभ मा. शिषथी बीजार्नु कल्याण करी शके छे. आपणे भान सहित सूक्ष्म भुवन उपर काम करवाने शक्तिमान् थइए, ते अगाउ पण, उपर प्रमाणे कामकरीने अत्यारथी पण आपणे गुप्त मदद करनाराओन टुकडीमा सामेल यह शकीए. आ लेख वांची दरेक मनुष्ये भला विचारो करीने ते पर.
मार्थी टुकडी साथे जोडावु जोहए.
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गुप्त मददगारनां थोडांक दृष्टान्तो.
लंडनना परामा काम करतो एक मजुर बे छोकरांने निराधार अने मा वगरनां मुकी मरी गयो. तेना मरण पछी ते बे छोकरानी सभाळ करमार कोइ नथी, ए विचारमा तेनुं मन एटलुं बधुं गरक थइ गयुं हतुं के ते आगळ वधी शक्यो नहि. ते मजुर हतो अने चिलायतमा खर्च पुष्कळ होवाथी ते कांह पण धन बचावी शक्यो नहतो. ही स्त्री अगा मरण पामी हती. अने जे घरमा ते रहेतो ते घरनी मालीक बाइ जो के बहु दयाळु अन्तःकरणनी हती, छतां आवे छोकरांने दत्तक लेइ नछेरी शके एवी पैसा संबंधी तेनी स्थिति महती. तेथी तेणी नाखुशीथी एवा ठरावपर आवी हती के, अनाथाश्रममा ते बे छोकराने मोकली भापवां. आथी ते मरण पामेला पिताने अत्यंत दुःख थतुं हतु; जोके से घरनी मालीक बाइने ठपको आपतो नहतो छतां शु करवं ते तेने सूझतुं नहतु... ... . . ..
.. - आपणा गेबी मददगारे' ते पिताने पूछयुः " जेने तमे आ छोकराओ निर्भयरीते सेपी शको एवो कोइपण तमारो स्वजन छे ?"
" ते मरण पामेलाए जवाब आप्योः “एवो तो कोइ मारो सगो मथी पग मारे एक नानो भाइ हतो, अने जो ते मारी हकीकत जाणे तो जरुर मपदे आज्या विना रहे नहि. पण छेल्ला पंदर वर्षथी ते मने छोडी चाल्यो गयो छे, अने हाल ते क्यों रहे छ, अथवा जीवे छे के .मरी गयो छे, तेनी. पण मने खबर नथी. छेल्लीवार ज्यारे मने पत्र
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( ४ ) मळयो स्यारे पी खबर पडी हती के ते सुतारने त्या मोका रहेलो . ते हशीआर भने महेनतु होवाथी मने भाषा के बराबर रीते ते चाल्यो हशे तो भत्यारे तेनु कारखाने सारी पालत हशे"
भारला ज उपरथी तेना भाइने शोधी काढवो ए काम पर नहत, छतां ते बिचारी निराधार बाळकोनी तेमज तेना पितानी वयाम स्थिति खातर ते काम ते 'मददगारे' मन उपर लीधुं. ते मरण पामेला। साथे लेह ते 'मददगार' पोताना सूक्ष्म शरीरमा शोधवा नीकळ्यो भने घगी महेनते अने घणा कलाक सुधी शोध कर्या पछी से भाग मालुम पडयो.
___ अत्यारे ते पोतेज मोटो सुतार बनेलो हतो अने धगाक नोकरी तेना हाथ नीचे काम करता हता. तेनी पैसा संबंधी स्थिति सारी हती. ते परणेलो हतो, छोकरांनी ते बहु इच्छा करतो हतो पण तेने छोक छैयं नह. टुंकमा कहीए तो आ कामने बराबर बंधबेसतो आवे तेवो न ते मनुष्य हतो.
- हवे,तेने खबर शी रीते आपवी एटलोज सवाल हतो. सारा भाग्ये ते निर्मऊ दयनो हतो अने तेथी आपणा 'मददगारे' ग रात्री सुधी तेने स्वम आप्या अने स्वम मारफते तेने सूचन्यु के " तारो भाइ मरी गयो छे, तेना बे छोकरा निराधार स्थितिमा छ, ते अमुक गामा अमक स्त्रीने त्यो रहेला छे, माटे तुं त्यो जा अने तेमने लावीने उमेर." भावो भावार्थ जे रीते तेना मनपर ठसे तेवा स्वम आप्या. आ स्वमनी तेने एटली बधी असर थह के तेणे पोतानी स्त्रीने ते रवमनी हकीकत कही, तेथी तेगीए से शिरनामे पूछाववा कयु, पण ते तने पसंद पप्यु नाहि. नालेज त्यां. जवानो ने ते घर आगळ पुछपरछ करवानो विचार - फो. एवामा नी स्त्री बोली डठी: “ स्वम तो आळपंपाळ छ; एवा मगजना खोटा ख्याल सारु आखा दिवसनो रोज शा सारु खोवो ? माटे त्या जशो करशो नहि. " . . तेगे त्यो जवानो विवार मांडी वाळ्यो. आ रीते ज्यारे ते मददगार पोताना काममा फतेहमंद न नीवडयो, स्यारे सेणे बीजी युक्ति पसंद
करी. आ पृथ्वी उपर वसता से 'मददगारे' एक कागळ तेना भाइ Scanned by CamScanner
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(५५) यो अने ते कागळमा स्वममा तेगे जे जोयु हतुं देवी बधी त भने छोकराओनी स्थिति वगेरे लखी मोकल्यु. आ कागळ, मळताज असा स्वाननी तेने खात्री थइ, अने जरा पण विलंब न करता से चाली नोकळ्यो अने ज्यां तेना भाइना बे छोकरा रहेता ते घर आगळ आदी पहोच्यो. ते घरनी मालीक स्त्रीए तेने सारो आदर सत्कार भाप्यो. आ. टला दिवस सुधी ते 'मददगारे' स्वम मारफते ते डोशीने पण सूचच्यु हतं के कोइने कोइ माणस आवी ते छोकरीने तेडी जशे, माटे तेटला थोडा दिवस सुधी तमे छोकरांने साचवी राखजो. आ कारणथीज ते होशीए छोकरांओ अनाथाश्रममा मोकली दीधा नहता. हवे ते छोकरांनो काको तेमने पोताने घेर लेइ गयो, अने पोताने छोकरं न होयाथी, तेमने तेणे पोताना पेटना छोकरानी माफक पाळ्या. ते मरण पालो पिता पण हवे चिंतारहित थयो अने आनंद पामी 'आगळ चाल्यो गयो.' आवी गुप्त रीते देवो काम करे छे.
मरण पामेलाने देवे आपेली सहायनो दाखलो आपणे उपर विवारा गया. हवे जीवताने तेओ केवी रीते मदद करी शके छे ते भापणे विवारीए. . एक वखते मद्रासना नाना गामडामा एक खेडुत अने तेनी श्री पोताना खेतीना कामा रोकायला हर्ता, अने तेकोना थे नाना छोकरी देता हार रमतां हां. रमता अने रमतां तेओ घणे दर चाल्यो गयां, अने भूला पडयां. ज्यारे आखा दिवसना कामथी कंटाळी गयेला
बाप पोताने घेर पाछा आया, त्यारे तेमने मालुम पटयु के छोकरीमो
तो घेर नथी पण खोवायां छे. पाडोशीओना घरमा तपास कर्या पली me चारे बाजुए पोताना नोकरोने सगा व्हालाने अने आोशीपाडोशीकोने ५ नोकरांनी संभाळ काढवा दोडाव्या. तेओए चारे बाजुए तपास करी,
कांड पत्तो लाग्यो नहि. तेथी तेो निराश थइ पाछा फो. सेवामा आधी तेओए कोइक प्रकारनो प्रकाश खेतरमा थइ मुख्य मार्गपर भावतो जोयो. ते साधारण दीवाना प्रकाश जेवो नहतो, पग गोळा जे कांड चळकतुं हतुं. तेवा ते प्रकाशमा बे भूला पडे। छोकरी भर बधा मनुष्योनो नजरे पडयां. वे छोकराओनो बाप अने तेना सोबती
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( ४६ ) एकदम से प्रकाश भगी दोउया. ज्या सुधी तेओ ते छोकरानी नजदीक भावी पहच्या, त्या सुधी ते प्रकाश चालु रह्यो, पण जेवा तेओए ते छोकराने हाथमा लीधा के प्रकाश अदृश्य थयो अने तेओ अंधारामा गोथा खावा लाग्या.
छोकरांओने पूछतां तेओए जवाब आप्योः “ रात पडी गइ तेथो अमोए जंगलमां बूमो मार्या करी, पण कोइए ज्यारे ते बूम न. सांभळी, त्यारे अमे झाड तळे सूइ रह्या. तेवामा कोइ सुंदर स्त्री हाथमा दीवा सहित आवी. तेणे अमने जगाडया. हाथथी दोरी ते अमने घरे भणी लाववा लागो. ज्यारे अमे तेने कोइ सवाल पूछता, त्यारे ते हसती हती. पण एक पण शब्द बोलती न हती ! " आ प्रमाणे ते बे छोकराओए वात करी अने उथलावी उथलावीने सवाल पूछता छतां तेओ तो ते मतने ज वळगी रह्या.
आ बनाव एटलो बधो स्पष्ट छे के तेमा देवे लीधेला भागना संबंधा विशेष समजग आपवानी जरुर नथी.
५ एक वकील नी भी एक वर्ष उपर मरण पामी हती ते पोताना एक छोकरा बने छोडीने लेइ पोताना मित्रने पासेना गाममा मळवा
यो हतो. ते ने छोकस तेमज तेना मित्रना छोकरी साथे रमवा लाग्यो. तेना मित्रनु मकान एक भव्य महेलना खंडेरमा आवेलुं हतुं, अने ते खंडेरेना लांबा अंधारा गलीवाळा रस्तामा छोकराओ रमता रमता आगळ बधी गया, पण त्यांथी तेओ एकदम पाछा दोडी आव्या अने तेमना पिता पासे उपर जइ कहेवा लाग्या के “ अमने अमारी मा मळी, तेणे अमने कह्यु के अहीं रमशो नहि, उपर जता रहो; एम कही ते अदृश्य थइ गइ ! " पाझळथी तपास करता मालूम पडयु के ते गलीवाळा मार्गमा उडो कुवो हतो अने ते छोकराओ जराक आगळ वध्या होत तो तरत कुवामां पडी मरण पामत. आ रीते मानो प्रेम मरण पछी छोक राओनी संभाळ राखे छे.
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________________ छेवटना बे बोल. आ लखनार सारी रीते जाणे छे के आ विषय पर सर्वनी श्रद्धा बेसी शकशे नहि. आजकाल देवो'ना नामे अने 'भूतो'मा नामे एटला बधा ढेग सेग चाले छे के जेथी खरी वातो पण मनावी मुश्केल थइ पडी छे. पण ते माटे शोक करवो नकामो छे. जेओ पवित्र छे-जेओ परोपकारी छे--जेओ विवेक साथै श्रद्धा धरावे छे तेओने तो आ वातो जेवी वातो पोताना संबंधा बन्याना दाखला जोवा मळ्या हशे ज अगर नजीकना भविष्यमे मळशे ज. जेमने आ वातो मानवी न गमती होय महेमने आ लेखक टुंकमा अरज करे छे के, आ वात मानो तो तेथी तमारा धर्मवे कोड नुकसान थवानुं नथी अने न मानो तो सत्यने के देवोने का नुकशान थवानुं नथी. मानवाथी सारा कामो करवामा तमने श्रद्धा बंधाशे अने श्रद्धाथी तमे :परोपकारना काममा कंटाळो के डर राखवानुं भूली जा हिमतवाळा. बनशो ( कारण के एवा काभमां गुप्त मदद करनार देवो दूर नथी:एवी तमने खात्री होय छे ): एटलो लाभ छे. आ मान्यतामा श्रया राखदी, ए खोट वगरनो धंधो छे. Scanned by CamScanner