Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 38
________________ ( ३८ ) पर्वतोनी गमे तेवी उंची टोचtपरथी बगर हरकते नीचे कुछको मार शके छे, पुरता विश्वासथी अने सहेज पण भय विना ज्वालामुखी पर्वतोन मुखमा पेशी शके छे, तेमज महासागरना अथांग अने उँडा जळनी तळीए सहेलाइधी अने वगर हरकते जइ शके छे. काम कर तो पण एक माणस ज्यां सुधी सारी पेडे जाणे नहि-जागे एटलं ज नहि पण ते प्रमाणे पोताना ज्ञान अने अनुभवधी काम करवाने ते लायक बने नहि त्यां सुधी, तेवो मनुष्य सूक्ष्म भुवन उपर वाने घणोखरो नालायक छे; कारण के अगत्यना प्रसंगे, जे प्रसंगो घगीवार आवे छे तेवे प्रसंगे- कोइ पण कार्यमा बेधडक थागळ वधतां ते अचकी जाय अथवा बीकथी पाछो हठे, अने भा स्थूल शरीरना संबंधथी मनमां दाखल थयेली बीकथी या होम करीने पोतानुं शरीर झीपलावत डरी जाय. आम न धनुं जोइए, तेटलाज माटे सूक्ष्म भुवन उपर काम करवानी इच्छावाळा अभ्यासीने सघळी कसोटीओमांथी अने तरेहवार अनुभवर्माथी पसार थयुं पडे छे. आ रीते ते धीमे धीमे शिखे छे-ज्ञान मेळवे छे. घगाज भय भरेला अने त्रास उपजावे तेवा देखावो अने कमकमाट उपजावे तेवा संजोगो साने तेने शांतिथी अने हिम्मतथी काम करवानुं होय छे, अने ज्यारे गुरुनी संपूर्ण खात्री थाय छे के गमे सेवा अगगमता अने त्रासदायक बनावो के देखावो बच्चे पण पोतानो शिष्य गभराशे नहि पण हिम्मत राखी शकशे, अने फरमावेलु काम करी शकशे, त्यारे ज आ सूक्ष्मभुवन उपर ते नवा शिखाउने तेनुं कार्य करवा गुरु तरफथी एकलो छूटो मुकवामां आवे छे. आ साथे आपण मन अने लागणीओ उपर पण काबु मेळववानी जरूर छे. जेनुं भन वश नथी, फेनुं मन एकान नथी, ते कदापि बीजाने मदद करवाने लायक बनी शकशे हि अनेक प्रकारनां खेवाणकारक प्रसंगो अने भयकारक बनावो बच्चे तेने काम करवानुं होय छे. जो हवे पोताना मनने एकाग्र बनावतां न शीख्यो होय तो ते मनुष्य कांइ पण सा काम धामाजे करी शकशे नहि. भटकता मनवाळो मनुष्य आ भुवन तेमज सूक्ष्मभुवन उपर नाम है. Scanned by CamScanner

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