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जय के परमकृपालु महात्माओ साथै एक थइ, तेमना एक गरीब दास बनी, तेमने करवाना अनेक परोपकारोनो बने तेटलो बोजो पोते उपाडी लेवो ए एक परिश्रम नहि पण आनंदनुं काम छे, तो सेवा मनुयने खरेखर भाग्यशाली मानवो.
आवो प्रेम ! भावी प्रीति ! आवी दया ! खरेखर ते उत्तमोत्तम गुण है. प्रेम हदबगरनो होय छे अने दुनियाना कोइ पण प्रेमनी साधे से सरखावी शकाय तेम नथी.
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उपर जगावेला सद्गुगो खीलवबाने 'गुप्त मददगार' थवा इच्छनारे सतत अने वालु कोशीश करवी जोइए. अने कोइ पग : महात्मा अथवा महात्मानो शिष्य सूक्ष्म भुवन उपर परोपकारी काम करवाने जगाडे से पहेली, आमांना बधा गुणो थोडे घणे अंशे तेनामां खीलेला होवा जोइए. आ· स्थिति बहु उच्च छे अने रेटलाज वास्ते प्राप्त करवी ए मुश्केल छे. से छत कोइए पण आ काममां नासीपास धनुं जोइए नहि, अथवा तो ते मूकी देवु जोइए नहि. तेणे जागनुं जोइए के ते निरंतर संपूर्ण भान साथै सूक्ष्म भुवन उपर भय अथवा जोखम विना काम करवाने समर्थ नथी, छतां हमण पण ज्यारे ते तेवी हालत मेळववाने खेल राखे छे, त्यारे पोतानी शक्तिमा प्रमाणम सूक्ष्म भुवन उपर जोखम भने जवाबदारी वगरनुं केटलुक काम ते बजावी शकशे.
ज्यारे रात्रे आपणे उंधीए छीए, त्यारे आपणा शरीरमांयी व्हार नीकली दूर जइए छीए. ते वखते आपणामांनो कोइ पण मनुष्य कांड पण दयाळु के भलं काम करो शकतो नथी, एम नथी. मनुष्य जो ईच्छा करे, तो उघम पग केटलंक परोपकारी काम करी शके छे. उघ आपणे घणे भागे एक विचारमां तल्लीन अथवा गरक थइए छीए. आपणा दिवसनी जागृत स्थितिमा जे विचार मुख्य होय, से विचारमां घणे भागे आपणे उंधर्मां रोकाइए छीए. तेमां मुख्य करीने सूती घखते आपणे जे हेल्लो विचार कर्यो होष छे, ते विचार उधमां घणे भागे पोषाय है. आपणो को प्रिय मित्र, अथवा सेतुं व्हालु, अथवा तो कोइ पण मनुष्य जेने आपणे मदद करवा इच्छता होइए, ते मनुष्यने सघळी रीसे मदद करवानो विचार करी, तेना तेज विचारनुं रटन करता आपणे संषधुं नोइए. आनुं परिणाम ए जहर भावशे के जैने मे मदद कर
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