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(२९) हुं एवा प्रयोगो-अख्तराओ जणावीश के जेनी मारफते मृत्यु दूर होय ते पण जागवामां आवे. आ बधुं प्राचीन आचार्योना अभिप्राय प्रमागे जणावीश.
एकांत जग्यामा जइने अने सूर्यना सामी पीठ करीने पोतानी जे छाया जमीन पर पडे ते पर एक पित्तथी जोइए.
ज्या सुधी " ॐ काम् परब्रह्मणे नमः " आ मंत्र १०८ बार शांतिथी उच्चारी शके त्या सुधी ते जोया करवू. पछी एकदम आकाश भगी जोवं, तो त्या एक पुरुषनी आकृति जणाशे.
आवु छ मास सुधी करवाथी से योगी पृथ्वी उपर चालता सर्व जीवोनो अधिपति थाय छे. बे वर्षमा तो ते तद्दन स्वतंत्र अने पोताना आत्मानो स्वामी बने छे.
ते त्रिकाळ ज्ञान अने अपूर्व आनंद मेळवे छे. योगमा सतत अभ्यासीने आ जगतमा काइपण असाध्य के दुर्लभ नथी.
ज्यारे योगी निर्मळ आकाशमा काळा रंगनी आ आकृति जुए छे, त्यारे ते मासमा मरण पामे छे.
ज्यारे ते पीळी देखाय छे, त्यारे रोगनो भय रहे छे. जो ते लाल देखाय तो नुकशान थाय छे. ज्यारे ते आकृतिमां घगा रंग होय त्यारे उदासी अने गभराट थाय छे..। ___जो ते आकृतिने पग, अने जमणो हाथ न होय तो जरुर कोह . स्वजन मरण पामे.
- जो डाबो हाथ न होय तो पोतानी स्त्री मरण पामे, छाती अने जमणो हाथ न जणाय तो जरुर नाश अने मृत्यु थायछे..
जो वायु संचारनी साथे ज झाडो थइ जाय तो ते मनुप्य जरुर पश दिवसमा मरण पामे.
___ जो चंद्र नाडीज चाल्या करे अने सूर्य नाडी बीलकुल न चाले तो जरुर एक मासमा मरण थाय. आ प्रमाणे काळशास्त्र जणावे छे.
जेनुं मृत्यु नजदीक होय ते अरुन्धती, भुव, विष्णुपद, भने मातृ. मंडळ ज्यारे बताववामां आवे त्यारे जोइ शकतो नथी.
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