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( २५ )
जो ते बखते आकाशतत्व चालतु होय तो धान्यनी तंगी पडे अने शांतिनो अभाव थाय.
जो योग्यस्वर att होय अने योग्यतत्व चालतु होय तो सर्व प्रकारनो विजय मळे छे. जो चंद्र अने सूर्यस्वर प्रतिकूळ चालतां जगाय तो ते वर्षने माटे अनाज भरी राखवुं.
जो अग्नितत्व चालतु होय तो कीमत एक सरखी रहेशे नहि. जो आकाशतत्व चालतुं होय तो दुकाळ लांबो काळ चालशे. माटे वस्तुओ भरी राखवी. ते पछी बे मास पछी कीमतम वधारो जरुर थशे.
ज्यारे चंद्रस्वर बदलाइने सूर्यस्वर थइ जाय त्यारे भयंकर रोगोने ते जन्म आपे छे.
जो आकाश अने चायुतत्व जोडे अग्नितत्व चाले तो आ पृथ्वी
नरक समान थइ जाय.
तत्वोनी समानतानो नाश थवाथी रोग थाय छे, अने दरेक तत्वने लगता रोग होय छे.
रोग.
पृथ्वीतत्वमा पृथ्वीने लगतो रोग थाय छे, जळतत्वमां जळने लगतो, अग्नितत्वमा अग्निने लगतो अने वायु के आकाशमा वायु के आकाशने लगतो रोग याय छे.
जो दूत ( सवाल पूछनार ) प्रथम आपणी खाली नाडी तरफ . आवे अने पछी आपणी पूर्ण नाडी तरफ बेसे तो जेना संबंधां ते सवाल पूछवा आव्यो होय ते मरणनी मूर्छामाँ कदाच पडयो होय तो पग जरुर जीवे.
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* ज्यारे बे मनुष्यों एक बीजाना संबंधमां आवे छे त्यारे तेओना प्राणनो रंग बदलाय छे. आ रीते पोतानी पासे बैठेला कोइ पण मनुयनो रंग पोताना शरीरमी ते क्षणे थयेला क्षणिक फेरफारथी जाणी शकाय छे. वर्तमानकाळ ए भविष्यनो पिता छे. आ उपरथी ते मनुष्यना रंगनी परीक्षा करीने लेना रोगनो क्यारे अंत आवशे अथवा तो ले क्यारे मरशे ते कही शकाय.
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