Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 24
________________ ( २४ ) . वर्ष. चैत्र सुद पडवे * दिवसे तत्वोर्नु पृथक्करण करीने सूर्यनी उत्तर तथा दक्षिग तरफनो गति डाह्या योगीए जागवी जोइए. जो चंद्रस्वर वखते पृथ्वी, जळ के वायुतत्वमो योग होय तो पु. प्कळ धान्य पाके छे. - जो आकाश अने वायुतत्व बहेतुं होय तो भयंकर दुःष्काळ आवे छे. आ काळy माहात्म्य छे. आ प्रमाणे वर्षमा, महिनामा के दिवसमा काळनुं शुं परिणाम आवशे ते जगाइ आवे छे. सघळा सांसारिक कार्यामा अशुभ गणाती एवी सुषुम्णा नाडी जो ते वखते चालती होय तो देशमा गभराट थाय; राज्यनी उथलपाथल थाय, अथवा राज्यने भय थाय, मरकी अने बीजा अनेक रोगोनो उपद्रव याय. ज्यारे सूर्य इ--मां जाय, स्यारे योगीए स्वरखें ध्यान करवू, अने ते वस्त्रते चालतुं त-त्व जोइने आखा वर्षतुं फळ अथवा भाव कहेवा. भाखं वर्ष, महिनो के दिवस लाभकारी थशे ए, पृथ्वी वगेरे त-स्वथी जणाय छे. अने ते सर्व खराब नीकलशे ए, वायु के आकाशतत्वथी जगाय छे. जो ते दिवसे पृथ्वीत-त्व चालतुं होय तो राज्यमा सुख अने. वै. भव पुष्कळ थशे, पृथ्वीमा धान्य पुष्कळ पाकशे, अने ज्या त्या शांति • अने सुख व्यापी रहेशे. जो जळत-त्व चालतु होय तो पुष्कळ वरसाद वरसशे, पुष्कळ धान्य पाकशे, कोइ पग बाबतनी तंगी पडशे नहि, ज्या त्या शांति प्रसरशे अने खेतो पाकथी उभराइ जशे. जो अग्नित-त्व चालतुं होय तो दुकाळ पडे, राज्यनी उथलपाथरू थाय, अथवा ते संबंधी भय थाय, भयंकर मरको वगेरे रोगो थाय अने. अम बने तेम ओछो यरसाद वरसे. जे वखते. सूर्य--नक्षत्रमा जाय त्यारे जो वायुत-स्व चालतुं होय तो. अकस्मातो, गभराट उपजावे तेवा बनावो, दुकाळ, भोछो वासाद अने छ प्रकारनी इतिओ ( उपद्रवो) थाय.. * आ दिवसे विक्रमादित्यमा संवत् वर्षनो आरंभ थाय छे. ... Scanned by CamScanner

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