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... (२२) जो प्राग आठ भौगळ ओछो थाय पटले फक्त चार ओगळ हे नो अगिमा वगैरे योगनीं आठ सिद्धिओ ते मेळवे छे. जो नव आंगळ ओछो थाय तो नवनिधिओ तेना हाथमा आवी बेसे छे. जो प्राण दर्श आंगळ ओछो थाय तो दश आंकडा तेना हाथमा आवे छे, अर्थात् गमे सेवा हिसाबो एक क्षगमा ते गगी शके छे. ज्या अगोआर आंगळ प्राग भोटो थयो त्यारे तेना शरीरनी छाया पाती बंध थाय छे.
___ अने ज्या बारबार आंगळ प्रागं ओछो थइ गयो त्यो तो श्वास अने उच्छवासमा ते मनुष्य अमृत ज पीए छे. ते वखते छेक नख सुधी प्राग तेना शरीरमा व्यापी रहे थे, तो पछी खोराकनी तेने जरुर ज क्या रही ?
प्राग संबंधी आ महा गुप्त नियम छे. गुरु पासेथी ज ते मेळवी शकाय. हजारो सायन्सो के शास्त्रो अवलोकतां पग ते मळी शके नहि.
जो नशीबजोगे चंद्रस्वर सवारमा अने सूर्यस्वर संध्या समय शरु न थाय तो तेओ घणुं करीने मध्यान्ह भने मध्य रात्रि पछी अनुक्रमे शरु थाय छे.
युद्ध. दूर देश साधेना युद्धमा चंद्रस्वर मंगलकारी छ; अने पासेना देश साथैनी लडाइमां सूर्यस्वर मंगळकारी छे. चालती वखते प्रथम जे पग उपाउवामां आवे ते तरफनी नाडी वहेती होय तो अवश्य वि. जय मळे छे.
मुसाफरी करवामां, लग्न प्रसंगे, कोइ शहेरमा प्रवेश करवामां अने सघळां मगळकार्यामां चंद्रस्वर विजयकारी छे.
पोताना लश्करने पूर्ण नाडी तरफ अने शत्रुना लश्करने खाली नाडी तरफ उभु राखीने अनुकूळतत्व प्रमाणे मनुष्य आखी दुनिआने जीती शके. . . . . . . .
. . . जे बाजुए नाडी वहेती होय ते बाजु उपर उभा रहीने लडवानो - पोताना शत्रुओने हुकम आपवो. आम करवाथी, सामो इन्द्र आन्यो
होय तो पण जरुर विजय मळे.
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