Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 10
________________ (१०) आठ दिवस सुधी लागलागर ऋणे वखते ( सवारे, बपोरे अने सांजे ) स्वर विपरित चालतो होय तो अवश्य तेनी असर माठी थाय छे. पण जो ते प्रमाणे न होय तो असर थोडी घणी सारी थाय छे * ज्यारे सवारमा अने बपोरे ( मध्याह्न काले ) चंद्र स्वर चालतो होय अने संध्या समये सूर्य स्वर वहेतो होय तो जरुर विजय अने लाभ मळे छे. आथी उलटो स्वर होय तो ते दुःखना कारणरुप थाय छे. . चंद्र स्वर चालतो होय त्यारे झेर नाश पामे छे. सूर्यस्वर समये कोइ पग शरीर उपर सत्ता मेळवी शकाय छे. सुषुम्णा नाडी चालती होय त्यारे मोक्ष मेळवी शकाय. एकज स्वर पिंगला, इडा अने सुषुम्णा नाडीरुपे परिगाम पामे छे. ज्यारे आपणे कांइ काम करवा मागता होइए, अने ज्यारे योग्य . रघर न चालतो होय त्यारे कार्य तो न करी शकाय; तो पछी व्यापारी आ स्वाना आधारे केवी रीसे वर्ती शके ? दिवसे तेमज रात्रे शुभ के अशुभ कार्यो थाय छे. ज्यारे जरुर पढे स्यारे नाडीने फेरबंधी जोइए अने योग्य बनाववो जोइए. इडा. . जे कार्यो लांबा वखत सुधी चाले तेवा होय तेवा कार्यामा, अलं- . कार पहेरवामां, दूर मुसाफरी जवामा, कोइ पग आश्रममा दाखल थवामा, धन एकहुं करवामां तथा कूवा, तळाव अने सरोवर खोदाववामा, स्तंभ आदि स्थापवामां, वासग खरीदवामां, लग्नमां, वस्त्र झवेरात अथवा दागीना तैयार कराववामा शांत अने पोषण करनारी दवाओ तैयार करवामा, पोतामा शेठ ( रवामी ) ने मळवामा, व्यापारमा, अनाज एकहुं करवामा तथा * खाय रवानी असर तेना बळ उपर आधार राखे छे. धणे भागे तो आयु परिणाम आववानो संभव थाय छ; अथवा चिंता थाय छे.. Scanned by CamScanner

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