Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 19
________________ ( १९ ) ब्रह्मविद्या जगावे हे के:-मेळववानी इच्छा, दूर करवानी इच्छा, शरम, भय अने विस्मृति आ पांच आकाशतत्वना विभाग छे. पृथ्वीने पांच गुण छे, जळने चार, तेजस्ने त्रग, वायुने बे अने आकाशने एक गुण छे. तत्व संबंधी ज्ञाननो आ एक अंश छे. पृथ्वीतत्वनुं वजन ५० पळ छे, जळतत्वनुं ४० पळ छे, तेजस्तत्वनुं ३० पळ छे, वायुंनु २० पळ छे अने आकाशनं १० पळ छे. पृथ्वीतत्वमां लाभ मळतां वार लागे छे, जळतत्वम तरत मळे छे, वायुतत्वमां थोडो लाभ मेळे छे, अतित्वमा तो हाथम भावेलु पंग नाश पामे छे. धनिष्ठा, रोहिणी, ज्येष्ठा, अनाराधा, श्रावणं, अभिजित् भने उतराषाढा - आटली नक्षत्र पृथ्वीतत्व सूचये छे. भरणी, कृत्तिका, पुष्प, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वभाद्रपदा अने स्वाती आटलो नक्षत्र तेजस्तत्वं सूवर्क है. पूर्वाषाढा, आश्लेषा, मूल, आर्द्रा, रेवती, उत्तराभाद्रपदा अने शतभिषज-आटला नक्षत्र जळतत्व सूचक छे. विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, पुनर्वसू, अश्विनी, मृगशीर्ष आटला नक्षत्र वायुतत्वने सूचवे छे. आपणी पूर्ण नाडी तरफ उभा रहीने पूछवा भावनार में शुभ के अशुभ बाबत संबंधी आपणने पूछे छे ते तेमज बने छे. खाली नाडी तरफ उभो रहीने पूछे तो तेथी उलटं परिणाम आवे छे. * नाडी पूर्ण होय पण ओो तत्व अनुकूल न होय तो विजय मळतो नथी. तत्वनी साधे अनुकूळ होय त्यारे ज चंद्रस्वर के सूर्यस्वर 'विजय आपे छे. रामने मंगळसूचक तत्वमां ज विजय मळ्यो हतो भने अर्जुनने पण सेमज थयुं हतुं. प्रतिकूळ तत्वने लोधे ज कौरवो युद्धमा मार्या गया हता. पूर्व * जे नाडीमांथी वायु नोकळतो होय ते 'पूर्ण' नाडी समजवी अने जे नाडीमांथी वायु न नीकळतो होय ते 'खाली' जाणवी. Scanned by CamScanner

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