Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah
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पृथ्वी तत्व पीळ छे, जळ तत्व धोळ छे, अनि रातु छे, वायु आकाशना से, भूरु छे, अने आकाशमा परेक रंगना पडछाया पडे छे.
प्रथम वायु तत्व वहे छे, बीजं तेजस्तत्व वहे छ, त्रीजु पृथ्वी तत्व वहे छे, चोथु जळ तत्व वहे छे.
बे खभानी वचा अग्नि तत्व आवेलुं छे, नाभिना मूळमां वायु तत्व रहेलुं छे, घुटगमा जळ तत्व वसे छे, पगमा पृथ्वी तत्व आवेलं छे. अने माथामा भाकाश तत्व वसे छे.
पृथ्वी तत्वनो स्वाद मीठो छे, जळ सत्वनो कटु छे, तेजनो तीखो छे, वायुनो आम्ल छे, अने आकाशनो कडवो छे.
- वायु तत्व आठ आंगळ पहोळ वहे छे, अग्नि चार आंगळ, पृथ्वी बार आंगळ, जळ सोळ आंगळ पहोळु वहे छे.
वायुनी उर्ध्व गति मरण लावे छे, नीचि गति शांति तरफ कोरे छे, काटखुगानी गति बेचेनी उपजावे छे, मध्य गति सहनशीलता प्रे छे अने आकाश तो सर्वने समान छे.
पृथ्वी तत्व वहेतुं होय त्यारे लांबा समय सुधी चाले तेवां कामो करवां, जळ तत्व वखते दररोजनां कामो करवां, तेजस्तत्व चालतुं होय त्यारे सख्त अथवा दीत कामो करवां. मारनारा लोको वायु वखतनो लाग साधे छे. ... पण आकाश तत्व चालतुं होय त्यारे तो योग वगेरेना अभ्यास सिवाय बोजु कांह पण काई करवु नहि; कारण के ते स्थितिमा बीजा कार्यानुं फळ आवशे नहि.
' पृथ्वी अने जळ तत्वमा विजय मळे छे. तेजस्तत्वमा मरण थाय छे, वायु तत्वमा घटारो थाय छे. अने तत्वना जाणकार लोको जणावे छे के आकाश तत्व तो तद्दन निरुपयोगी छे.
पृथ्वी तत्वमा लाभ बहु मोडो :मळे, जळ तत्वमा लाभ तरत ज आवे, तेजस्तत्वमा अने वायु तत्वमा नुकशान थाय, अने आकाश तो निरर्थक गणवं.
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