Book Title: Sramana 2012 10
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 30
________________ 3 लोकानुप्रेक्षा में वास्तुविद्या : 23 अर्थात् सौधर्म स्वर्ग में 84 हजार योजन, ईशान स्वर्ग में 80 हजार योजन, सानत्कुमार स्वर्ग में 72 हजार योजन, माहेन्द्र स्वर्ग में 70 हजार योजन, ब्रह्म युगल में 60 हंजार योजन, लांतव युगल में 50 हजार योजन, शुक्र युगल में 40 हजार योजन, शतार युगल में 30 हजार योजन, आनतादि चार स्वर्ग में 20 हजार योजन प्रमाण इन्द्र के नगर का विस्तार है तथा ये नगर समचतुरस्र हैं अर्थात् जितने लम्बे हैं उतने चौड़े हैं अर्थात् चौकोर हैं।” इसी प्रकार स्वर्गों की ऊँचाई के विषय में कहा है कि सौधर्म युगल में 300 योजन, सानत्कुमार युगल में 250 योजन, ब्रह्मयुगल में 200 योजन लान्तव युगल में 150 योजन, शुक्र युगल में 120 योजन, शतार युगल में 100 योजन, आनत युगल में 80 योजन नगर के कोट की ऊँचाई है" तथा नींव की ऊँचाई के विषय में कहा है कि सौधर्म युगल में 50 योजन, सानत्कुमार युगल में 25 योजन, ब्रह्मयुगल में 12.5 योजन, लान्तव युगल में 6.25 योजन, शुक्र युगल में 4 योजन, शतार युगल में 3 योजन, आनत युगल में 2.5 योजन कोट के नींव की ऊँचाई है। 19 प्रत्येक दिशा में नगर के द्वार की ऊँचाई के विषय में कहा है कि सौधर्म युगल में 400 योजन सानत्कुमार युगल में 300 योजन, ब्रह्मयुगल में 200 योजन लान्तव युगल में 180 योजन, शुक्र युगल में 140 योजन, शतार युगल में 120 योजन, आनत युगल में 100 योजन द्वार की ऊँचाई है20 तथा द्वार की चौड़ाई के विषय में कहा है कि सौधर्म युगल में 100 योजन, सानत्कुमार युगल में 90 योजन, ब्रह्मयुगल #80 योजन, लान्तव युगल में 70 योजन, शुक्र युगल में 50 योजन, शतार युगल में 40 योजन, आनत युगल में 30 योजन द्वार की चौड़ाई है। 21 " , इसी प्रकार इन्द्रों के महलों के विषय में भी स्पष्ट माप कहा है कि प्रथम के 6 युगलों में शेष कल्पों का 1 स्थान तथा 9 ग्रैवेयक के तीन स्थान, 1 अनुदिश का स्थान तथा 1 अनुत्तर का स्थान इस प्रकार 12 स्थानों की लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई बतायी है। कहा है- सौधर्म युगल में 600 योजन, सानत्कुमार युगल में 500 योजन, ब्रह्मयुगल में 450 योजन, लान्तव युगल में 400 योजन शुक्र युगल में 350 योजन, शतार युगल में 300 योजन तथा शेषकल्प में 250 योजन, प्रारम्भ के तीन ग्रैवेयक में 200 योजन, मध्यम तीन ग्रैवेयक में 150 योजन, अन्तिम तीन ग्रैवेयक में 100 योजन 9 अनुदिश में 50 योजन तथा 5 अनुत्तरों में 25 योजन इन्द्रों के महलों की ऊँचाई है 22 तथा सौधर्म युगल में 550 योजन, सानत्कुमार युगल में 500 योजन ब्रह्मयुगल में 450 योजन, लान्तव युगल में 400 योजन, शुक्र युगल में 350 योजन, शतार युगल में 250 योजन तथा शेषकल्प में 200 योजन लम्बाई है तथा शेष की लम्बाई ऊँचाई का 5वां भाग

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