Book Title: Sramana 2012 10
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 40
________________ लोकानुप्रेक्षा में वास्तुविद्या : 33 रहता है तथा वल्गुप्रभ नामक उत्तम विमान के परिवार विमान 6 लाख 66 हजार 666 है तथा उस वन के मध्य में चूलिका से पूर्व की ओर सौ कोस प्रमाण उत्तर दक्षिण दीर्घ और पचहत्तर कोस प्रमाण ऊँचा जिनेन्द्र प्रासाद है। इस प्रकार उत्तर दिशा कुबेर का निवास स्थान होने के अतिरिक्त जिनेन्द्र भगवन्तों के जिनभवन का स्थान भी है तथा विदेह क्षेत्र की मुख्य दिशा भी यही है। ब्रह्म स्थान सभी दिशाओं के मध्य बिन्दु को ब्रह्म स्थान कहते हैं। यह वास्तु पुरुष का मर्मस्थान भी कहलाता है। इस स्थान में किसी भी प्रकार का कार्य करना अशुभ माना गया है। तिलोयपण्णत्तीकार ने कहा है कि - बम्हुत्तरहेढुवरिं रज्नु घणा तिण्णि होंति पतेक्क। लंतव कप्पम्मि दुगं रज्जु घणो सुक्क कप्पम्मि॥ अर्थात् ब्रह्मोत्तर स्वर्ग के नीचे और ऊपर का क्षेत्र समान माप वाला है अर्थात् यह स्वर्ग का केन्द्र बिन्दु है। 7 यहाँ पर एकभावातारी लोकान्तिक देव निवास करते हैं जो ब्रह्मचारी होते हैं तथा इनका स्थान अत्यधिक पवित्र है। यह स्वर्ग प्रथम स्वर्ग से 3.5 राजू प्रमाण है। इसीलिए गृह या मंदिर के केन्द्र बिन्दु में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहों करते तथा गृह के मध्य में पौधे आदि लगवा देते हैं जिससे किसी के पैर उस पर न पड़ें तथा मंदिर के मध्य में वेदिका आदि बनवा कर उसकी अविनय होने से बचाते हैं। यह सभी स्थानों को स्वर्गों के स्थानों से तुलना करने का तुच्छ प्रयास है। वैदिक मान्यता में देवों को पूजनीय मान कर दिशाओं की पूजा करने की परम्परा है जो जैनदर्शन की मान्यता से पृथक् है। अतः स्वर्गों को देवों के स्थान का प्रतीक माना है न कि देवों का निवास माना है। जिनालय एवं जिनबिंब निर्माण के लाभ जिनप्रतिमा का निर्माण कराने से जीव संसार के पार उतरता है। जिनभवन की टीका, छाप और आरस पलस्तर करने से समीहित स्थान की प्राप्ति होती है। जो जिनभवन को सफेदी कराकर धवल करता है उसका यश कहीं भी नहीं समाता। शरद् ऋतु से मिली हुई किरणों का समूह समस्त जगत् को धवलित कर देता हैं। जो मनुष्य जिनवर की प्रतिष्ठा करता है, उसकी कीर्ति जगत् में फैलती है। पूर्णमासी के चन्द्र के गुणों से प्रसार को प्राप्त होती हुई समुद्र की तरंगों को कौन रोक सकता है? जो जिनदेव की आरती करता है, उसका सम्यक्त्व उद्योत होता

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