Book Title: Sramana 2011 04 Author(s): Sundarshanlal Jain, Shreeprakash Pandey Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 4
________________ CONTENTS सम्पादकीय Parshwanath Vidyapeeth: At a Glance News Letter of PV Our Contributors 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. सभी विरोधों का समाधान है : अनेकान्तवाद एवं स्याद्वाद प्रो० सुदर्शन लाल जैन तत्त्वार्थवार्तिक में प्रतिपादित सप्तभङ्गी एवं स्याद्वाद प्रो० कमलेश कुमार जैन जैन ज्योतिष में वार (दिन) की प्रवृत्ति का वैशिष्ट्य प्रो० रामचन्द्र पाण्डेय आचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि में सम्यग्दर्शन डॉ० वीरसागर जैन जैन दर्शनानुसार वर्तमान में धर्मध्यान सिद्धि के प्रमाण डॉ० अनेकान्त कुमार जैन विपाकसूत्र में वर्णित चिकित्सा - विज्ञान डॉ हेमलता बोलिया आगम-प्रणीत आहारचर्या और शाकाहार डॉ० (श्रीमती) कल्पना जैन A Short History of Jaina Law Prof. Peter Flugel Social Implication of Enlightened World View (Samyak Darśana) Dr. Samani Shashiprajna स्थायी स्तम्भ ISJS News Encyclopaedia of Jain Studies जिज्ञासा और समाधान साभार प्राप्ति पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में जैन जगत् साहित्य-सत्कार IV V-VI VII-IX X 1-10 11-18 19-22 23-27 28-34 35-41 42-46 47-62 63-80 81-84 85-88 89-92 93-95 96-98 99-101 102-106Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 120