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उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
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परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है
रत्नप्रभसूरि
यक्षदेवसूरि
कक्कसूरि
सिद्धसूरि
देवगुप्तसूरि
सिद्धसूरि
[समरसिंह के गुरु
कक्कसूरि [वि० सं० १३९३/ई० सन् १३३६ में नाभिनन्दनजिनोद्धारप्रबन्ध
के कर्ता] उपकेशगच्छ की पट्टावलियाँ-जहाँ अन्य गच्छों की मात्र दो या तीन पट्टावलियां ही मिलती हैं, वहाँ उपकेशगच्छ की कई पट्टावलियों का उल्लेख मिलता है, किन्तु दुर्भाग्यवश अद्यावधि मात्र तीन पट्टावलियां ही प्रकाशित होने से अध्ययनार्थ उपलब्ध हो पाती हैं, शेष पट्टावलियां या तो नष्ट हो गयीं अथवा किन्हीं प्राचीन हस्तलिखित भण्डारों में पड़ी होंगी।
प्रकाशित पट्टावलियों का विवरण इस प्रकार है
१. उपकेशगच्छप्रबन्ध'- रचनाकार-कक्कसूरि, रचनाकाल वि० सं० १३९३ १. देसाई, मोहनलाल दलीचन्द--जैनगुर्जरकविओ (प्रथम संस्करण), भाग
३, खण्ड २, पृष्ठ २२५४-२२७६
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