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देवगुप्तसूरि [ वि० सं० १५०३ - १५२१ ]
सिद्धसूरि [वि० सं० १५१५ - १५४० ]
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कक्कसूरि [ वि० सं० १५३७ - १५४९ ]
अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर सिद्धाचार्यसंतानीय मुनिजनों की तालिका ऊपर प्रदर्शित की गयी है । साहित्यिक साक्ष्यों द्वारा भी उपकेशगच्छीय- सिद्धाचार्यसंतानीय कुछ मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, इनका विवरण इस प्रकार है
उत्तराध्ययन सूत्र सुखबोधावृत्ति की प्रतिलेखन प्रशस्ति
उपकेशगच्छीय सिद्धाचार्य संतानीय देवगुप्तसूरि के शिष्य विनयप्रभ उपाध्याय ने वि०सं० १४७९ में अपने गुरु की आज्ञा से स्वपठनार्थ वडगच्छीय आचार्य नेमिचन्द्रसूरी की प्रसिद्ध कृति उत्तराध्ययनसूत्रसुखबोधावृत्ति की प्रतिलिपि करायी ।" इसके अन्त में उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा दी है, जो इस प्रकार है
सिद्धाचार्य संतानीय देवगुप्तसूरि
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श्रमण, जुलाई-सितम्बर, १९९१
१. संवत् १४७९ वर्षे ज्येष्ठ सुदि षष्ठ्यां रवौ श्री श्री उपकेश गच्छे श्री सिद्धाचार्य संताने...
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विनयप्रभ उपाध्याय
[वि० सं० १४७९ / ई० सन् १४२३
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एवंविधगुणोपेत भट्टारकश्रीश्री देवगुप्तसूरीणामादेशेन शिष्याणुरुपाध्याय श्रीविनयप्रभेण आत्मपठनार्थ श्रीनेमिचन्द्रसूरिविरचिता श्रीउत्तराध्ययनलघुवृत्तिर्निजसंच ( ? ) पुस्तके निजगुर्वाज्ञया लिखापिता लेषकेन लिखिता श्रीउत्तराध्ययनवृत्तिः संपूर्णा ॥
Kapadiya, H. R.-Descriptive Catalogue of the Govt Collections of the Mss deposited at the B. O. K. I, Punc... Volume XVII Part III ( Pune - 1940) Pp: 32-33.
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