Book Title: Sramana 1991 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 196
________________ ( १९४ ) (1) विनय गुण, (२) आचार्य गुण, (३) शिष्य गुग (४) विनयनिग्रह गुग (५) ज्ञान गुण (६) चारित्र गुण (७) और मरण गुण । प्रस्तुत कृति की विशेषता यह है कि इसमें प्रारम्भ में एक विस्तृत एवं गवेषणात्मक भूमिका दी गयी है जो ग्रन्थ के विविध पक्षों को गम्भीरता पूर्वक प्रस्तुत करती है। इसमें विवेच्य ग्रन्य की गाथाएं अन्य आगमों में कहाँ एवं किस रूप में पायी जाती हैं - उनका विश्लेषणात्मक विवरण दिया गया है। यह भूमिका इस ग्रन्थ के सम्पादक एवं अनुवादक का संयुक्त प्रयास है। ग्रंथ की विषयवस्तु और उसकी गाथाओं का ऐतिहासिक दृष्टि से किया गया तुलनात्मक अध्ययन ग्रन्थ को उच्च कोटि का बना देता है। सम्पादक एवं युवा अनुवादक दोनों बधाई के पात्र हैं । ग्रन्थ सर्वथा पठनीय एवं संग्रहणीय है। नोः उल्लेखनीय है कि आगम अहिंसा समता एवं प्राकृत संस्थान जयपुर द्वारा प्रीणक आगम ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद संस्थान के प्रवक्ता डा० सुभाष कोठारी एवं श्री सुरेश सिसोदिया द्वारा किया जा रहा है। अभी तक ४ प्रकीर्णकों-- देवेन्द्रस्तव, तन्दुलवैचारिक, चन्द्र देध्यक और महाप्रत्याख्यान का सानुवाद प्रकाशन हो चका है। --सम्पादक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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